बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज में फिसड्डी, मगर बचपन से दुराचार में जिला टॉप
हनुमानगढ़Published: Mar 07, 2019 11:41:21 am
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बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज में फिसड्डी, मगर बचपन से दुराचार में जिला टॉप
बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज में फिसड्डी, मगर बचपन से दुराचार में जिला टॉप
– बच्चियों से दुष्कर्म के मामले जिले में बीस प्रतिशत से ज्यादा बढ़े
– बचपन पर बुरी निगाह के प्रकरणों में हनुमानगढ़ टॉप टेन जिलों में शामिल
अदरीस खान. हनुमानगढ़. बेटियों के लिए सरकारी कन्या कॉलेज खुलवाने में जिला भले ही प्रदेश में सबसे फिसड्डी है। मगर दुर्भाग्य से मासूम बच्चियों से दुराचार के मामलों में हनुमानगढ़ का नाम बहुत ऊपर है। बचपन पर बुरी निगाह के प्रकरणों में जिले का नाम टॉप टेन में शामिल होना सबको शर्म से आंखें झुकाने पर मजबूर करता है। चिंतनीय यह है कि मासूमियत को रौंदने की घटनाएं बीते बरस बीस प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ी है। जिले में हर माह बालक-बालिकाओं से कुकर्म के आठ मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश स्तर पर स्थिति और भी खराब है। हर रोज मासूमों से दरिंदगी की छह घटनाएं सामने आ रही हैं।
नशे की जद में जकड़ते जा रहे जिले के लिए यह हालात खतरे की घंटी है। क्योंकि बढ़ती नशाखोरी के कारण डर है कि कहीं अबोधता पर आक्रमण की घटनाएं भी ना बढ़ जाए। ऐसे में जिले के हालात सुधारने के लिए नशे पर लगाम लगाते हुए बचपन को सुरक्षित करने पर मंथन करना होगा। पोक्सो एक्ट में जितने मामले दर्ज हुए हैं, उनमें से अधिकांश मामलों में पीडि़त बच्चे-बच्चियां स्कूली विद्यार्थी हैं। जाहिर है कि मासूमों को हकीकत से रूबरू कराना होगा ताकि कोई उनका बचपन ना छीन ले। उनकी मासूमियत कायम रखते हुए सुरक्षा का सबक सिखाना होगा।
बढ़ रहा हमला
पुलिस के आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2017 में पोक्सो एक्ट के 76 प्रकरण जिले के विभिन्न थानों में दर्ज किए गए। वहीं 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 93 हो गया। महिला थाने को छोड़ दें तो सबसे अधिक मामले संगरिया, रावतसर, नोहर व भादरा में दर्ज किए गए।
दुर्भाग्य से टॉप टेन में
प्रदेश में पिछले साल बच्चियों से दुष्कर्म के 2213 मामले सामने आए। इसमें हनुमानगढ़ आठवें नम्बर पर रहा। इनमें से 75 फीसदी से अधिक वारदातें स्कूली बच्चे-बच्चियों से हुई। जनसंख्या व क्षेत्रफल के लिहाज से बड़े होने के बावजूद चूरू, अजमेर, बीकानेर, कोटा, नागौर सहित कुल 25 जिले बच्चियों से दुराचार के मामलों में हनुमानगढ़ से पीछे रहे।
बचपन पर घाव
गत वर्ष 28 दिसम्बर को प्रेमपुरा के पास चक 139 आरडी में 4 वर्षीय बालक से कुकर्म का मामला सामने आया था। इस संबंध में दो जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। बालक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। गांव अराईयांवाली में पिछले साल जुलाई में 8 वर्षीय बालक से कुकर्म की घटना हुई। टाउन थाने में एक जने के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। दस वर्ष से कम बालिकाओं व बालकों से कुकर्म के दर्जनों मामले बीते बरस दर्ज किए गए।
फैक्ट फाइल : पोक्सो एक्ट प्रकरण
वर्ष जिले में प्रदेश में
2017 76 1555
2018 93 2213
समझकर बरते सावचेती
बच्चों के यौन शोषण खासकर बालकों के मामलों में आरोपी पेडोफिलिया नामक मानसिक विकार से ग्रस्त होते हैं। ऐसे लोग यकायक इस तरह का अपराध नहीं करते बल्कि वे शिकार की तलाश में रहते हैं। इन हालात में अगर रोगी नशा करने लगे तो स्थिति कोढ़ में खाज सरीखी हो जाती है। बचपन को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि अभिभावक, स्कूल प्रबंधन आदि विशेष सावचेती बरते। ऐसे लोगों के बारे में जाने-समझे जो पेडोफिलिया से ग्रस्त होते हैं। बच्चों को भी नैसर्गिक व सहज ढंग से समझाए ताकि उनकी मासूमियत भी कायम रहे और वे खतरे को पहचान भी सके। – डॉ. समीर सहारण, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, एमजीएम जिला अस्पताल।