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Patrika news Impact: अगर गर्भवतियों को जांच के लिए बेवजह भटकाया तो फिर खैर नहीं

locationहनुमानगढ़Published: Jul 25, 2019 11:34:24 am

Submitted by:

adrish khan

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/
हनुमानगढ़. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर गर्भवतियों की सहजता से सोनोग्राफी जांच हो जाए, यह सुनिश्चित किया जाए। अगर भविष्य में माह की नौ तारीख को कोई अल्ट्रासाउंड सेंटर बेवजह गर्भवतियों को इधर-उधर भटकाए तो एक्शन लो। सीएमएचओ इस संबंध में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों से बात कर उनको पाबंद करे ताकि गर्भवतियों को परेशानी से बचाया जा सके। जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने सरकारी विभागों के कामकाज की समीक्षा बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अरुण चमडिय़ा को यह निर्देश दिया।

Early sonography checks for pregnant women

Patrika news Impact: अगर गर्भवतियों को जांच के लिए बेवजह भटकाया तो फिर खैर नहीं

अगर गर्भवतियों को जांच के लिए बेवजह भटकाया तो फिर खैर नहीं
– पीएम सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत सहजता से नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड जांच के लिए संचालकों पाबंद करने का निर्देश
– कलक्टर ने सीएमएचओ को व्यवस्था सुधारने को कहा
हनुमानगढ़. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर गर्भवतियों की सहजता से सोनोग्राफी जांच हो जाए, यह सुनिश्चित किया जाए। अगर भविष्य में माह की नौ तारीख को कोई अल्ट्रासाउंड सेंटर बेवजह गर्भवतियों को इधर-उधर भटकाए तो एक्शन लो। सीएमएचओ इस संबंध में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों से बात कर उनको पाबंद करे ताकि गर्भवतियों को परेशानी से बचाया जा सके। जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने सरकारी विभागों के कामकाज की समीक्षा बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अरुण चमडिय़ा को यह निर्देश दिया। पत्रिका ने नौ जुलाई को स्टिंग ऑपरेशन कर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना की सच्चाई उजागर की थी। दस जुलाई को ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व के फेर में धक्के खाती रही गर्भवतियां, अपमान व दुत्कार के साथ जांच से इनकारÓ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में यह बताया कि योजना के तहत गर्भवतियों की नि:शुल्क जांच से टाळा लेने के लिए किस तरह मनमर्जी के नियम बनाकर अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक उनको टरकाते हैं।
जिला कलक्टर ने इस मुद्दे पर गंभीरता व संवेदनशीलता दिखाते हुए सीएमएचओ को निर्देश दिया कि व्यवस्था में सुधार किया जाए। सीएमएचओ डॉ. अरुण चमडिय़ा ने जब कहा कि कई केन्द्रों पर भीड़ अधिक हो जाती है, इस कारण भी कई दफा ऐसा होता है। इस पर कलक्टर ने कहा कि गर्भवती के घर के नजदीक या सहजता से जा पहुंचा जा सके उसी केन्द्र पर वह जांच कराएगी। इसमें संख्या अधिक होने का तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता।

ऐसी स्थिति आई थी सामने
राजस्थान पत्रिका के स्टिंग ऑपरेशन के दौरान शहर के कई अल्ट्रासाउंड केन्द्रों की पड़ताल की गई। भीषण गर्मी में गर्भवतियों को एक से दूसरे सेंटर पर जांच के लिए टरकाया गया। उनको फ्री जांच वाले कहकर संबोधित किया गया। सभी केन्द्रों ने अपनी मर्जी के हिसाब से नियम-कायदे बनाकर जांच नहीं करने को लेकर उनकी आड़ ली। कई केन्द्रों पर चार से पांच घंटे बाद जांच की गई। इस बीच प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के अलावा जो रोगी या गर्भवती आ रही थी कि उनकी जांच शीघ्रता से होती रही। सरकारी अस्पताल की पर्ची पर चिकित्सक के जांच के लिए लिखने के बावजूद उस पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना की मोहर नहीं लगी होने का कहकर जांच से मना किया गया। कई को नौवें तथा छठे माह में जांच नहीं करने का नियम बताकर टरकाया गया। जबकि इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता। जबकि कुछ केन्द्रों ने तो यह कहकर जांच से मना कर दिया कि उनका कोटा खत्म हो गया है। जबकि ऐसा कोई योजना के तहत मापदंड नहीं है।

वर्ष में सिर्फ 12 दिन
गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच का अभाव है। ऐसे में सरकार ने यह योजना शुरू की। इसके तहत निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर से बात कर उनको योजना में शामिल किया गया। साल में केवल 12 दिन ही निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर को सरकारी अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने वाली गर्भवती की नि:शुल्क जांच करनी होती है। मतलब हर माह की नौ तारीख को यह जांच होती है। इसके एवज में प्रति जांच 200 रुपए भी सरकार अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों को भुगतान करती है। इस सेवा कार्य के लिए आंशिक भुगतान भी सेंटर संचालकों को किया जाता है। इसके बावजूद वर्ष में मात्र 12 दिन जांच करने में कई केन्द्र आनाकानी करते हैं।
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