पिता के जुटाए प्रमाणों से फिर खुली हत्या की फाइल, मगर रफ्तार नहीं पकड़ रही पुलिस जांच
हनुमानगढ़Published: Apr 16, 2019 11:16:36 am
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पिता के जुटाए प्रमाणों से फिर खुली हत्या की फाइल, मगर रफ्तार नहीं पकड़ रही पुलिस जांच
पिता के जुटाए प्रमाणों से फिर खुली हत्या की फाइल, मगर रफ्तार नहीं पकड़ रही पुलिस जांच
– जीएसएस में तकनीकी सहायक की मौत का मामला, अन्य एजेंसी से जांच की मांग
– पुलिस आत्महत्या बता लगा चुकी एफआर, इंसाफ के लिए भटक रहा बूढ़ा पिता
हनुमानगढ़. तंदूरवाली कैंचिया, 18 एनजीसी स्थित 33 केवी जीएसएस में कार्यरत तकनीकी सहायक के फंदे पर लटकते शव मिलने के मामले की फिर से पुलिस जांच की जा रही है। मृतक के 64 वर्षीय पिता के अपने स्तर पर पड़ताल कर जुटाए गए प्रमाणों के आधार पर कोर्ट ने फिर से पुलिस को मामले की जांच का आदेश दिया था। मृतक के पिता अत्तर सिंह ने आत्महत्या बताए जाने संबंधी पुलिस की जांच रिपोर्ट पर असंतुष्टि जताते हुए न्यायालय में ऐसे तथ्य व तर्क प्रस्तुत किए जिनके आधार पर पुलिस को फिर से जांच का आदेश दिया गया। मगर मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामले की जांच में कोई रूचि नहीं दिखा रही है।
जब गत वर्ष इस प्रकरण की पुन: जांच का आदेश दिया गया तो यह फाइल तत्कालीन डीएसपी विरेन्द्र जाखड़ के पास थी। महीनों वे जांच करते रहे। अब उनके तबादले के बाद जांच का जिम्मा डीएसपी अंतरसिंह श्योराण के पास है। लेकिन मृतक के पिता अत्तर ङ्क्षसह का आरोप है कि डीएसपी हनुमानगढ़ से जब प्रकरण की जांच को लेकर मिला तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इसलिए मामले की निष्पक्ष व शीघ्र जांच के लिए इसकी पत्रावली सीआईडी सीबी के किसी अधिकारी को सौंपने की मांग को लेकर मृतक के पिता ने इस माह डीजीपी जयपुर से मुलाकात की। इसके अलावा इस संबंध में आईजी बीकानेर व राज्य मानवाधिकार आयोग को भी ज्ञापन भेजे जा चुके हैं।
क्या है प्रकरण
तकनीकी सहायक देवेन्द्र कुमार तंदूरवाली कैंचिया, 18 एनजीसी स्थित 33 केवी जीएसएस में कार्यरत था। उसकी 18 अक्टूबर 2016 को रात्रिकालीन ड्यूटी थी। उसका शव 19 अक्टूबर की सुबह कर्मचारियों ने फंदे पर लटकता देखा। सूचना मिलने पर टिब्बी पुलिस मौके पर पहुंची। मृतक के पिता अत्तर सिंह व अन्य परिजनों ने मौका देखा तो अज्ञात पर हत्या का आरोप लगाया। उनकी रिपोर्ट पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने माना खुदकशी
मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर में मौका-ए-वारदात के कई तथ्यों को शामिल नहीं किया जो आत्महत्या की बजाय हत्या का शक पैदा करते हैं। मृतक के पिता ने ऐसे कई साक्ष्य व तथ्य पेश भी पुलिस के समक्ष पेश किया जो आत्महत्या की बजाय मामला हत्या का होने का संदेश पैदा करते हैं। मामला दर्ज होने के बाद टिब्बी थाने के तत्कालीन सीआई ईश्वरानंद ने जांच की। वर्ष 2017 में 302 के इस मामले में एफआर लगा दी गई। विद्युत निगम से सेवानिवृत्त मृतक के पिता अत्तर सिंह व अन्य परिजनों को यह बात गले नहीं उतरी। वे निरंतर इस प्रकरण को लेकर जयपुर, दिल्ली के पुलिस सहित अन्य दफ्तरों की खाक छान रहे हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार देवेन्द्र की मौत दम घुटने से हुई थी। शरीर में कहीं चोट के निशान भी रिपोर्ट में नहीं आए थे।
बूढ़े बाप के सवालों का नहीं मिला जवाब
– फंदे पर लटकते समय उसके पांव चारपाई को छू रहे थे। जीएसएस में रस्सियां होने के बावजूद दो गमछे मिलाकर फंदा बनाया गया। उनमें से लाल रंग का गमछा देवेन्द्र का नहीं था।
– मृतक की जेब से पर्ची मिली, उसमें लिखा था कि हम लाइन चालू कराने के लिए धमकाने आए थे। इसे मारने का कोई इरादा नहीं था। फिर भी पुलिस ने इसे तथ्य को एफआईआर में शामिल नहीं किया। बाद में जब जांच संगरिया डीएसपी ने की तो उन्होंने टिब्बी थाना प्रभारी से उक्त पर्ची मांगी। मगर अंतत: डीएसपी ने भी सीआई की जांच रिपोर्ट पर मोहर लगा दी।
– मृतक के कमरे में रस्सियां पड़ी थी। जबकि दो गमछे जोड़कर फंदा बनाया गया था। देवेन्द्र आत्महत्या करता तो दो गमछे जोडऩे की बजाय रस्सी इस्तेमाल करता। लाल गमछा किसी अन्य व्यक्ति का था, जो वहां मौजूद था। रस्सी की बजाय गमछे जोड़कर फांसी लगाना संदेह पैदा करता है।
– मृतक के पैर चारपाई पर मुड़े थे। जबकि चादर बिलकुल साफ-सुथरी बिछी हुई थी।
– चारपाई से छूते मुड़े पैर देखकर किसी के भी खुद फांसी लगाने की बात गले नहीं उतर सकती।
– मृतक के कमरे का गेट खुलता था। इसका भी एफआईआर में जिक्र नहीं है।
– मृतक देवेन्द्र ने जो टी-शर्ट पहन रखी थी, वह फटी हुई थी। मगर एफआईआर में उसका जिक्र नहीं किया गया।
– मृतक के पास एक ही साफा था। लेकिन फंदा दो साफों को जोड़कर बनाया गया। एफआईआर में दूसरे लाल साफे की चर्चा नहीं है।
– मृतक के पिता का आरोप है कि घटनास्थल पर पंखे आदि पर फिंगर प्रिंट लेकर उनकी पड़ताल नहीं की गई। ऐसा होता तो मौके पर कई अन्य जनों की मौजूदगी साबित होती।
– देवेन्द्र रात्रिकालीन ड्यूटी पर था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसकी मौत रात बारह से चार बजे के बीच हुई। जबकि जीएसएस से सुबह सात बजे थ्री-फेस लाइन चालू की गई। और सुबह आठ बजे सुबह की पारी वाला कर्मचारी ड्यूटी पर आया। सवाल उठता है कि जब देवेन्द्र की मौत 12 से 4 के बीच हुई तो फिर सुबह सात बजे थ्री-फेस लाइन किसने शुरू की।
– देवेन्द्र के दो मोबाइल नम्बर थे। दोनों की कॉल डिटेल व लोकेशन के आधार पर जांच की मांग।
डीएसपी ने किया इनकार
कोर्ट के आदेश पर मामले की पुन: जांच पुलिस ने शुरू की। डीएसपी देवेन्द्र जाखड़ के तबादले के बाद नए डीएसपी अंतरसिंह श्योरण से मिला तो उन्होंने मामले की जांच करने से ही इनकार कर दिया। जब पुलिस का रवैया ही ऐसा है तो निष्पक्ष जांच कैसे संभव है। पुलिस के आला अधिकारियों से मिलकर सीआईडी सीबी से जांच की मांग कर चुका हूं। मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।