रेगुलेटर गैस रिसाव से भभकी आग
झुलसी महिला रीतू (42) पत्नी भूषण गर्ग पुत्र विलायतीराम के जेठ नारायण गर्ग, जेठानी, पूर्व पार्षद जगदीश सागर एवं पड़ौसियों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार रात सिलेंडर रेगुलेटर के पास से लीक हो रहा था। इस पर रीतू ने उसे सुबह बदलवाने के लिए रसोईघर से हटाकर दूसरा सिलेंडर लगा दिया था। रोज की तरह वह अपने घर में और उसके जेठ का परिवार दूसरे मकान में सो गए। मंगलवार सुबह करीब चार बजे उठकर रीतू ने जैसे ही चाय बनाने के लिए नया सिलेंडर चालू किया तो अचानक धमाके के साथ आग भभक उठी। बावजूद इसके झुलसी हालत में बदहवास हुई रीतू ने हिम्मत दिखाई। मुख्य दरवाजे को धक्का देकर चिटखनी तोड़ते हुए बाहर की ओर निकल भागी। शोर मचाते जेठ-जेठानी को जगाया। आस-पड़ौसी भी पहुुंच गए। पानी भरी बाल्टियों से आग बुझानी शुरु कर दी। मौके पर फायर ब्रिगेड भी आ गई। दमकल प्रभारी रामसिंह बगडिय़ा ने बताया कि दमकलकर्मी पवन, फूलाराम व पप्पूराम ने आकर सिलेंडर को बाहर फेंककर बुझाया। कुछ देर में ही आग पर काबू पा लिया।
दीवार में आई दरार, टूटे शीशे घायल
रीतू को पड़ौसी डॉक्टर गर्ग के यहां ले गए। झुलसने से उसके हाथ, मुंह व पीठ प्रभावित हुए। हाथों में फफोले हो गए चेहरे का रंग बदल सा गया। गैस रिसाव, आग व धमाके की तीव्रता से घर का पूरा सामान हिल गया। दीवारों में दरारें आ गई। मेज व कुछ सामान जल गया। खिड़कियों के शीशे टूटकर सड़क के दूसरी ओर बिखर गए।
ईश्वरीय कृपा से टला बड़ा हादसा
ईश्वरीय कृपा से गनीमत रही कि सिलेंडर नहीं फटा। अन्य सिलेंडर व पैट्रोल से भरी कार, स्कूटर आदि चपेट में नहीं आने से भीषण हादसा टल गया। पड़ौसी ने बताया कि झुलसने के बाद शरीर से चिपके कपड़े बड़ी मुश्किल से कैंची से काटकर उतारे। हाथ की चूड़ी व कड़ा भी सुनार को बुलाकर कटाने पड़े। रीतू के पति भूषण गर्ग अहमदाबाद में ठेकेदारी करते हैं जबकि बेटा मुंबई में आईआईटी, बेटी श्रीगंगानगर में पढ़ती है। रीतू घर में अकेली थी। खबर फैलते ही इष्ट-मित्र व रिश्तेदार कुशलक्षेम जानने पहुंचने लगे।