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हक के लिए 38 दिनों से किसान बैठे हैं कलक्ट्रेट के समक्ष धरने पर

locationहनुमानगढ़Published: Aug 12, 2019 09:28:58 pm

Submitted by:

Purushottam Jha

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हनुमानगढ़. राष्ट्रीय हाइवे निर्माण के बाद किसानों को छोडक़र बाकी सबकी रफ्तार बढ़ जाएगी। क्योंकि हाइवे निर्माण को लेकर किसानों की जो भूमि अवाप्त की जा रही है, उसका धरतीपुत्रों को उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है। किसान बाजार के अनुसार अवाप्त भूमि का मुआवजा देने की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
 

hanumangarh

हक के लिए 38 दिनों से किसान बैठे हैं कलक्ट्रेट के समक्ष धरने पर

किसानों को छोड़ बाकी सबकी बढ़ जाएगी रफ्तार
-बाजार भाव के अनुसार कृषि भूमि का मुआवजा नहीं मिलने से मजबूर किसान कर रहे आंदोलन
-हक के लिए 38 दिनों से किसान बैठे हैं कलक्ट्रेट के समक्ष धरने पर, होगी किसानों की महापंचायत
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हनुमानगढ़. राष्ट्रीय हाइवे निर्माण के बाद किसानों को छोडक़र बाकी सबकी रफ्तार बढ़ जाएगी। क्योंकि हाइवे निर्माण को लेकर किसानों की जो भूमि अवाप्त की जा रही है, उसका धरतीपुत्रों को उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है। किसान बाजार के अनुसार अवाप्त भूमि का मुआवजा देने की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन सरकार इस मांग को लगातार अनसुनी कर रही है। इससे किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। कलक्ट्रेट के समक्ष करीब सवा महीने से धरना लगा रहे किसानों ने अब आर-पार की लड़ाई लडऩे की चेतावनी दी है। इसे लेकर मंगलवार को किसानों की महापंचायत बुलाई गई है। इसमें विधायकों को भी पहुंचने के लिए निमंत्रण भेजा गया है। संघर्ष समिति से जुड़े किसानों ने महापंचायत को लेकर सोमवार को गांवों में संपर्क किया और किसानों से इसमें पहुंचने की अपील की। हाइवे निर्माण के लिए अवाप्त की जा रही कृषि भूमि का बाजार भाव के अनुरुप मुआवजा देने की मांग को लेकर चल रहे धरने में सोमवार को अध्यक्ष दलीप छिम्पा की अध्यक्षता व किसान नेता सुरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें जिला कलक्ट्रेट के समक्ष तेरह अगस्त को होने वाली किसानों की महापंचायत की तैयारियों के संबंध में चर्चा की गई। किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता सुरेन्द्र शर्मा ने बताया कि 13 अगस्त को पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार जिला कलक्टे्रट के समक्ष महापंचायत होगी। इसमें जिले के पांचों विधायकों को आमंत्रित किया गया है। उन्होने बताया कि महापंचायत में अगर विधायकों ने किसानों को संतुष्ट किया तो ठीक है वरना किसान 15 अगस्त को काला दिवस के रूप में मनाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रशासन व सरकार की हठधर्मिता को देखते हुए किसानो ने 13 अगस्त को महापंचायत बुलाने का निर्णय लिया है। इस महापंचायत में हजारों किसान भाग लेंगे और किसानों द्वारा विधायकों से सीधा संवाद कर उनसे किसानों की उक्त मांग के संबंध में उनका पक्ष लेंगे। जो विधायक किसानों की मांगों का समर्थन करेंगे, किसान उनके नेतृत्व में प्रदर्शन आगे बढ़ाएंगे। किसान संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष दलीप छिम्पा ने बताया कि राष्ट्रीय हाइवे निर्माण में कुछ किसानों की सारी जमीन इस हाइवे निर्माण में आ रही है। इसकी बाजार भाव की कीमत लगभग 25 से 30 लाख रुपए है। मगर सरकार उन्हे केवल दो लाख रुपए दे रही है। इस नाइंसाफी के चलते किसान संघर्ष करने को मजबूर हंै। बताया जा रहा है कि जामनगर से अमृतसर तक राष्ट्रीय हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए अनेकों किसानों की भूमि अधिग्रहण की जा रही है। जिला स्तरीय समिति द्वारा प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के लिए जो दर निर्धारित की है वह बहुत कम है। बाजार भाव डीएलसी रेट से 15-20 गुणा अधिक है। ऐसे में किसानों को बाजार भाव से चार गुणा मुआवजा दिया जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित बन सके। किसान नेता रघुवीर वर्मा ने कहा कि किसानों को उनको पूरा हक मिलना चाहिए। अवार्ड को महज छलावा बताते हुए कहा कि सभी किसानों को एकजुट होना पड़ेगा तभी हम अपना हक ले सकते हैं।
यह रहे मौजूद
कलक्ट्रेट के समक्ष सोमवार को संघर्ष समिति की हुई बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई गई। इस मौके पर संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष देवीलाल, लोकेश शिलू, मांगीलाल जाखड़, भूप जाट, गिरधारी सिंह, महावीर भाकर, संदीप पारीक, काला सिंह, हनुमान गोदारा, मदन जाखड़, राम कुमार, जगपाल सिंह, नंदलाल लिम्बा, गांधी राम, बलवीर डोगीवाल, भंवर सिंह, सुनील जाखड़ आदराम स्वामी, अर्जन बागडिय़ा व अन्य सदस्य मौजूद थे।
इस तर्ज पर मिले मुआवजा
जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ जिले में हाइवे निर्माण के दौरान एक सौ से अधिक किलोमीटर में निर्माण होगा। इसमें करीब तीन हजार किसानों की जमीन को अवाप्त करने की तैयारी है। किसानों का आरोप है कि राजस्थान सरकार नामात्र की राशि देकर किसानों के साथ छलावा कर रही है। वहीं पंजाब और हरियाणा में भूमि अवाप्त करने पर किसानों को अच्छे भाव सरकार दे रही है। पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान के किसानों को मुआवजा देने की मांग किसान कर रहे हैं।

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