हनुमानगढ़

बेटी पढ़ाओ के लिए जो जिला देश में टॉपर, वहां बेटियों की पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेज ही नहीं

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हनुमानगढ़Feb 02, 2019 / 12:56 pm

adrish khan

बेटी पढ़ाओ के लिए जो जिला देश में टॉपर, वहां बेटियों की पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेज ही नहीं

बेटी पढ़ाओ के लिए जो जिला देश में टॉपर, वहां बेटियों की पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेज ही नहीं
– बालिका शिक्षा के लिए सम्मानित होने वाला हनुमानगढ़ प्रदेश का ऐसा दूसरा जिला जहां नहीं कन्या कॉलेज
– बरसों पुरानी कन्या कॉलेज की मांग अनसुनी
पत्रिका अभियान बेटियां मांग रही शिक्षा का हक
हनुमानगढ़. बेटी पढ़ाओ के लिए जो जिला देश में टॉपर रहा, वहां बेटियों को पढ़ाने के लिए सरकारी कन्या महाविद्यालय ही नहीं है। इससे भी शर्मनाक स्थिति यह है कि प्रदेश में हनुमानगढ़ ऐसा दूसरा जिला है जहां बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज नहीं है। साढ़े चौबीस बरस जिला बने हो गए हैं, मगर कोई भी सरकार हनुमानगढ़ की बेटियों को सरकारी कॉलेज की सौगात नहीं दे सकी है। इस अवधि में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दो बार से अधिक सत्ता पर काबिज रह चुकी हैं, लेकिन बेटी पढ़ाओ का नारा कॉलेज शिक्षा के दृष्टिकोण से जुमला ही साबित होता आया है।
पिछले माह २४ जनवरी को बालिका दिवस पर देश के २५ जिलों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया। राज्य के केवल दो ही जिले इसमें शामिल रहे। झुंझुनूं को पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत बेहतर कार्य के लिए तथा हनुमानगढ़ को बालिका शिक्षा के लिए नवाचार व अच्छे प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया। मतलब हनुमानगढ़ को बेटी पढ़ाओ के लिए पुरस्कृत किया गया, और विरोधाभास देखिए कि यही वो जिला है जहां कन्याओं के लिए राजकीय महाविद्यालय ही नहीं है। बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकारें बड़ी सफाई से इस तथ्य की अनदेखी कर रही हैं जो जिले के हर संवेदनशील व्यक्ति को चिंतित कर रही है।
सम्मानित जिला सबसे पीछे
जानकारी के अनुसार प्रदेश में हनुमानगढ़ जिला ही ऐसा है जहां बेटियों के लिए कॉलेज नहीं है। यद्यपि नए जिले प्रतापगढ़ में भी यही हाल है। मगर उसका गठन हनुमानगढ़ के जिला बनने के दस बरस से अधिक समय बीतने के बाद हुआ। जबकि हनुमानगढ़ को २४ बरस से अधिक समय जिला बने हो चुका है। पड़ोसी जिले चूरू में तीन तो श्रीगंगानगर में दो कन्या महाविद्यालय हैं। इस तरह हनुमानगढ़ जिला उच्च शिक्षा के दृष्टिकोण से हाशिए पर है। यह हालात जन प्रतिनिधियों की कार्यशैली व संवेदनशीलता पर सवालिया निशान लगाता है।
वो चले गए वादा कर
पिछली सरकार का चुनावी वादा था कि सरकार बनने पर हर तहसील मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज खोला जाएगा। तहसील मुख्यालयों पर तो कॉलेज खोले नहीं और जिले में जो एकमात्र सरकारी मीरा कन्या कॉलेज मंजूर हुआ था, उसे भी बंद करवा दिया। अपने पूरे कार्यकाल में सरकार कोर्ट में लड़ती रही कि हनुमानगढ़ में कन्या कॉलेज शुरू नहीं हो पाए। संगरिया में सरकारी कॉलेज सरकार को पचा नहीं और जिले में कहीं और कॉलेज खोला नहीं।
बजट के आधार पर कॉलेज का फैसला
संगरिया स्थित मीरा कन्या महाविद्यालय के सरकारीकरण व उसके संचालन का फैसला बजट की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा। यह मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र का कार्य है। यह प्रकरण उनकी नजर में है। सरकार बजट व जनता के हित के आधार पर ही निर्णय लेगी। इस पर मंथन चल रहा है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। – गोविन्द डोटासरा, शिक्षा मंत्री, राजस्थान।

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