यूनिट संचालन को लेकर लाइसेंस के लिए अस्पताल प्रशासन का प्रतिनिधि कागजी कार्रवाई पूरी कर सोमवार को फाइल जयपुर लेकर जाएगा। यहां से अनुमति मिलने पर गाजियाबाद की टीम फाइल को मंजूरी देते हुए लाइसेंस जारी करेगी। इसके बाद ही यूनिट शुरू हो पाएगी। गौरतलब है कि नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी) की पहल पर कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने जुलाई 2010 में हनुमानगढ़ सहित सात ब्लड बैंकों में सेपरेटर यूनिट या ‘ब्लड कंपोनेट प्रिपे्रशन यूनिट’ (तत्व विभाजक) स्थापित करने की स्वीकृति दी थी। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में इसके लिए भवन भी कई साल पहले बना दिया गया। लेकिन सरकार को मशीनें व चिकित्सकीय स्टाफ उपलब्ध करवाना याद नहीं रहा।
उस समय यूनिट के उपकरणों आदि पर 30 लाख रुपए से अधिक खर्च आ रहा था। इसके बाद चुनाव हुए और कांग्रेस निपट गई। भाजपा ने नए लिफाफे में पुराने माल की कहावत को चरितार्थ करते हुए वर्ष 2015 में प्रदेश के नौ अस्पतालों में तत्व विभाजक यूनिट स्थापित की घोषणा कर फिर प्रशंसा बटोर ली। इस घोषणा को भी तीन बरस बीत गए हैं। यूनिट में जनवरी 2018 के अंतिम सप्ताह में मशीनों को संचालित किया गया। इसके पश्चात दो फरवरी को सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑरगेनाइजेशन गाजियाबाद की टीम ने यूनिट के निरीक्षण के दौरान भवन में फेरबदल करने के निर्देश दिए। इनके निर्देशानुसार बताई गई खामियों को भी दूर कर लिया गया। इसके अलावा लाइसेंस जारी करने से पूर्व यूनिट के लिए टैक्नीकल सुपरवाइजर पद पर लगाने की हिदायत दी थी।
इसके चलते अस्पताल प्रशासन ने राज्य सरकार को पत्र लिख टैक्नीकल सुपरवाइजर लगाने की मांग की और 17 अप्रेल को डॉ. राजविन्द्र कौर को इस रिक्त पद पर लगाया गया।
फाइल तैयार है
जिला अस्पताल पीएमओ डॉ. नजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि ब्लड कंपोनेंट यूनिट के लिए अब तक बताई गई सभी कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। लाइसेंस लेने की अंतिम प्रक्रिया के लिए लिए सोमवार को फाइल जयपुर लेकर जाएंगे