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नहीं खुला बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज तो करना पड़ेगा आंदोलन

locationहनुमानगढ़Published: Feb 21, 2019 11:50:49 am

Submitted by:

adrish khan

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hanumangarh education news

नहीं खुला बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज तो करना पड़ेगा आंदोलन

नहीं खुला बेटियों के लिए सरकारी कॉलेज तो करना पड़ेगा आंदोलन
– डीवाईएफआई ने कन्या कॉलेज की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन
हनुमानगढ़. जिले में सरकारी कन्या कॉलेज खोलने की मांग तेज हो रही है। पत्रिका के अभियान ‘बेटियां मांग रही शिक्षा का हक’ में शामिल होते हुए भारत की जनवादी नौजवान सभा (डीवाईएफआई) की जिला कमेटी ने जिला मुख्यालय पर बालिका कॉलेज खोलने की मांग को लेकर शिक्षामंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। डीवाईएफआई के प्रदेशाध्यक्ष जगजीतसिंह जग्गी के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में जिले में एक भी सरकारी कन्या कॉलेज नहीं होने को सरकार के बेटी पढ़ाओ अभियान पर सवालिया निशान करार दिया। ज्ञापन में बताया गया कि जिला मुख्यालय पर सरकारी बालिका कॉलेज नहीं है। ऐसे में गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों की लड़कियों को बीच में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ती है। जबकि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का पुररस्कार भी हनुमानगढ़ जिले को मिला है। ऐसे में जिला मुख्यालय पर राजकीय बालिका कॉलेज खोला जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जिला मुख्यालय पर महिलाओं का राजकीय कॉलेज नहीं खोला गया तो डीवाईएफआई आंदोलन करने पर मजबूर होगी। इस मौके पर जिला सचिव मोहन लोहरा, वेद मक्कासर, तहसील सचिव श्यामदास, मेहरवाला के संदीप, कन्हैया मंडल, ओम प्रकाश कटारिया, राजेश नोखवाल, सुनील शर्मा आदि मौजूद रहे।
जिले की हालत खराब
गौरतलब है कि प्रदेश के 33 जिलों में से 31 में 47 सरकारी कन्या महाविद्यालय हैं। केवल हनुमानगढ़ व प्रतापगढ़ में कन्या कॉलेज नहीं है। हनुमानगढ़ को जिला बने 24 बरस हो चुके हैं। इसके बावजूद एक भी कन्या कॉलेज नहीं है। आस-पड़ोस के हर जिले में दो-दो और कहीं तो तीन-तीन कन्या महाविद्यालय संचालित हैं। प्रदेश में सबसे कम सरकारी कॉलेज वाले जिलों में भी हनुमानगढ़ शुमार होता है। जिले में महज तीन सरकारी कॉलेज हैं। बेटियों के लिए अलग से एक भी नहीं है। हालांकि वर्ष 2013 में तत्कालीन सरकार ने मीरा कन्या कॉलेज का अधिग्रहण कर सरकारीकरण कर दिया था। लेकिन 13 माह बाद नई सरकार ने इसे डिनोटिफाई करते हुए पुन: निजी घोषित कर दिया। इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जहां सरकार का फैसला गलत साबित हुआ।

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