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सरकार का पांच लाख का सोलर सिस्टम बाजार में ढाई लाख में उपलब्ध

locationहनुमानगढ़Published: Oct 14, 2017 09:24:16 pm

Submitted by:

vikas meel

इस वर्ष अभी तक नहीं मिल रही सब्सिडीइसी कारण कम्पनियों ने कम दाम पर बाजार में उतारे उत्पाद

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संगरिया.

सरकार द्वारा क्लीन एनर्जी व कृषि उपयोग में सोलर को बढावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को सोलर पंप पर दी जा रही सब्सिडी किसानों को लाभ के स्थान पर सोलर कम्पनियों के लाभ के दिया जाना प्रतीत हो रहा है। क्योंकी जो सोलर पंप पिछले सत्र तक सरकार द्वारा पांच लाख में खरीदा जा रहा था अब वह बिना सब्सिडी के बाजार में मात्र ढाई लाख रुपए में ही उपलब्ध है। एक अप्रेल से पूर्व 60 प्रतिशत सब्सिडी के तहत 5एचपी का एसपीवी सबमर्सिबल सोलर पंप डीएलएस व फेंसिंग सहित सरकार द्वारा 510049 रुपए में प्रदान किया जा रहा था वह अब ओपन मार्केट में ही 2.54 लाख के करीब कीमत पर आसानी से उपलब्ध है। इसके लिए किसान को 195034 रुपए चुकाने पड़ते थे व शेष 315015 रुपए का भुगतान सरकार सोलर कम्पनी को किया करती थी। इसी प्रकार तीन एचपी सोलर पंप सिस्टम जहां सरकार द्वारा किए गए अनुबंध में 362049रुपए में खरीदा जाता था जिसमें किसान को 156234 रुपए किसान को भरना होता व शेष 205815 रुपए सरकार द्वारा सोलर कम्पनी को भुगतान किया जाता था जबकी वर्तमान में यह बाजार में 1.85 लाख रुपए में उपलब्ध है।

तीन चरण में है सब्सिडी

जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन व राजस्थान हॉरटिकल्चर डवलमेंट सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में किसानों को सरकार द्वारा दी जा रही यह सब्सिडी तीन भाग में दी जा रही है। जिसमें विद्युत कनेक्शन वाले कृषकों को तीस प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। वहीं ऐसे कृषक जिन्होने विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन भी नहीं किया है व ना ही वे विद्युत कनेक्शन की प्राथमिकता सूची में शामिल है वाले कृषक को 60 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त वे कृषक जिनका नाम कृषक विद्युत कनेक्शन की वरीयता सूची में आया हुआ है तथा उनके नाम का डिमांड नोट जारी हो चुका है उन्हे 75 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है। 60 व 75 प्रतिशत सब्सिडी वाले में कृषक को विद्युत कनेक्शन छोडऩे के लिए शपथ पत्र भरवाया जाता है।

किसी प्रकार की कागजी माथा पच्ची की आवश्यकता नहीं

किसान को सरकार की सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए जमाबंदी, भूमि प्रमाण-पत्र, नक्शा, पचास रुपए के स्टाम्प पर शपथ-पत्र व पांच सौ रुपए के स्टाम्प पेपर पर सोलर कम्पनी व सरकार के साथ अनुबंध पत्र बनाने की जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जबकी बाजार की दुकानों से खरीद करने पर ऐसा कुछ भी नहीं है। सहायक निदेशक उद्यान ओमप्रकाश नाई ने बताया की सरकारी सिस्टम में फाईल जमा कराने, कृषक का हिस्सा जमा करावाने, कम्पनी को पैसे भिजवाने, माल जारी होने व इंस्टाल होने की प्रक्रिया में डेढ से दो माह का समय लगता था।

कृषक स्वतंत्र है खरीद के लिए

इस सम्बंध में कृषि विभाग के सहायक निदेशक(उद्यान) ओमप्रकाश नाई ने पत्रिका को बताया की इस सम्बंध में मूल्यों का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा टेंडर के माध्यम से ही किया जाता है। इसमें केंद्र व राज्य सरकार दोनों द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है। गत सत्र में डेढ दर्जन के करीब कंपनियां इस सिस्टम में पंजीकृत थी। उन्होने कहा की किसान अपनी मर्जी के अनुरुप सोलर पंप खरीदने को स्वतंत्र है। बाजार में सस्ता उपलब्ध होने पर वे वहां से खरीद सकते है। उन्होने सरकार की प्रक्रिया के बारे में बताया की गत सत्र 2015-17(दो वर्ष) में कुल 636 कृषकों को सोलर पंप सिस्टम प्रदान किए गए जिसमें 30 प्रतिशत अनुदान के तहत दो, 75 प्रतिशत अनुदान के तहत 50 से 75 तथा सर्वाधिक 60 प्रतिशत योजना के तहत स्थापित करवाए गए। उन्होने निजी व सरकारी कंपनी के सेट में बीमा व पांच वर्ष सर्विस वारंटी का अंतर बताया। इस सम्बंध में बाजार में पता करने पर बीमा 5-6 हजार में तथा सर्विस वारंटी 2 से पांच हजार के मध्य उपलब्ध करवा दी जाती है।(नसं.)
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