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मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा के चक्कर में गुरुजी पर चढ़ गया दूध का कर्ज, उधार मिलना बंद

locationहनुमानगढ़Published: Oct 28, 2018 12:30:45 pm

Submitted by:

adrish khan

मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा के चक्कर में गुरुजी पर चढ़ गया दूध का कर्ज, उधार मिलना बंद- हनुमानगढ़ में तीन माह से स्कूलों को नहीं मिली दूध खर्च की राशि- जिले में सवा लाख बच्चे पी रहे दूध- उधार मिलने में भी आ रही मुश्किल

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हनुमानगढ़. गुरुजनों पर शिष्यों की वजह से ‘दूध का कर्जÓ चढ़ गया है। कखग और दो-दूनी चार का सबक भूलकर अध्यापक दूधियों व दुकानदारों को सुनाने के लिए बहाने सोचने पर मजबूर हैं। यह सब हो रहा चुनावी बरस में यकायक शुरू की गई मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा दुग्ध योजना के कारण। दो जुलाई को शुरू की गई इस योजना के लिए उस माह का पैसा तो मिल गया। मगर उसके बाद करीब तीन माह गुजरने को है, संस्था प्रधानों को दूध के पेटे एक पैसा भी नहीं मिला है। लेकिन विद्यार्थियों को सप्ताह में तीन दिन दूध पिलाना अनिवार्य है।
ऐसे में इधर-उधर के मद तथा उधारी से काम चलाना पड़ रहा है। कई संस्था प्रधानों को तो उधार में दूध मिलना भी बंद हो गया है। दूध योजना के भुगतान संबंधी जिम्मेदारी डीईओ प्रारंभिक को सौंपी हुई है। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि भुगतान की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। इसी माह सभी विद्यालयों के खातों में राशि जमा हो जाएगी। महत्वपूर्ण यह है कि दूध के धन की सबसे ज्यादा समस्या प्रारंभिक शिक्षा के विद्यालयों में है। क्योंकि इन विद्यालयों में कोई ज्यादा मद नहीं होते। वर्ष में एक निश्चित राशि मिलती है जो बिजली-पानी के भुगतान में ही पूरी हो जाती है।
प्रबंध बना परेशानी
जानकारी के अनुसार जिले में करीब सवा लाख विद्यार्थियों को सप्ताह में तीन दिन दूध पिलाया जा रहा है। इनमें आधे से अधिक विद्यार्थी प्रारंभिक शिक्षा सेटअप के हैं। पैसे का टोटा भी सर्वाधिक प्रारंभिक शिक्षा के विद्यालयों में ही है। विद्यालय कोष में सरकार नामांकन के आधार पर राशि जमा करवाती है। यह राशि औसतन २५ हजार के करीब मिलती है जो बिजली-पानी के बिल भरने में ही पूरी हो जाती है। अन्य किसी मद में पैसा नहीं मिलता। ऐसे में प्रधानाध्यापक दूध का इंतजाम उधार लेकर ही कर रहे हैं। वहीं माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों के संस्था प्रधान अन्य मद का पैसा दूध पर खर्च कर काम चला रहे हैं। मगर तीन माह से इस तरह जुगाड़ कर व्यवस्था संभालते-संभालते वे भी थकने लगे हैं। उनकी नजर दूध के बजट पर टिक गई है।
कितना रोज का खर्च
जानकारी के अनुसार जिले में सरकारी पाठशालाओं के कक्षा एक से आठवीं तक के सवा लाख विद्यार्थियों को योजना के तहत सप्ताह में तीन दिन दूध पिलाया जा रहा है। इसके लिए प्रतिदिन २१ हजार लीटर से अधिक दूध की खपत हो रही है। इस पर हर रोज आठ लाख चालीस हजार रुपए खर्च हो रहे हैं।
फैक्ट फाइल : खर्च-खपत
जिले में दूध के पेटे रोज खर्च – ८,४०,०००
कक्षा एक से पांच तक बच्चे – ७४८००
कक्षा छह से आठ तक बच्चे – ५०२५९
कुल कितने बच्चे पिएंगे दूध – १२५०५९
कितने लीटर चाहिए दूध – २१२७२
प्राथमिक स्तर तक मिलेगा दूध – १५० एमएल
उप्रा स्तर तक दिया जाएगा दूध – २०० एमएल
लम्बी प्रक्रिया से विलम्ब
दूध भुगतान संबंधी बिल ट्रेजरी भिजवाए जा चुके हैं। इसी माह सभी पाठशालाओं के खाते में राशि जमा हो जाएगी। बिल आने में देरी व भुगतान की प्रक्रिया लम्बी होने के कारण थोड़ा विलम्ब हुआ है। – अमर सिंह, डीईओ प्रारंभिक।
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