आधा मानसून बीता, रीत रहे बांध
हनुमानगढ़Published: Jul 30, 2018 10:10:32 am
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आधा मानसून बीता, रीत रहे बांध
– रबी सीजन में किसानों को गेहूं बिजाई व पकाई के वक्त करना पड़ेगा संघर्ष
हनुमानगढ़. इस वर्ष भाखड़ा व पौंग बांध के जल ग्रहण क्षेत्रों में बरसात नहीं होने से दोनों बांध लगातार खाली हो रहे हैं। भराव के पीक सीजन में भी आवक की कमजोर स्थिति से जल संकट की स्थिति बढ़ती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि आधा मानसून गुजरने के बावजूद भाखड़ा बांध का लेवल 77 फीट व पौंग बांध का लेवल 40 फीट नीचे चला गया है। नामात्र आवक होने से राजस्थान की चिंता बढ़ती जा रही है। यही हालात रहे तो आगामी रबी सीजन में किसानों को गेहूं की बिजाई के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। हलांकि मानसून का आधा सत्र अभी बाकी है।
इसलिए जल संसाधन विभाग के अधिकारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आता मानसून भले सूखा रहा हो लेकिन जाता मानसून कुछ भला जरूर करेगा। गौरतलब है कि भाखड़ा, पौंग व रणजीत सागर बांधों से राजस्थान की इंदिरागांधी, भाखड़ा, गंगकैनाल व सिद्धमुख-नोहर नहर परियोजनाओं को पेयजल व सिंचाई के लिए पानी मिलता है। इन नहरों से हनुमानगढ़, चूरू, श्रीगंगानगर, बीकानेर, नागौर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, सीकर, झुंझुंनू आदि जिलों को जलापूर्ति होती है।
इन नहरों पर दो करोड़ से अधिक लोगों का जीवन निर्भर है। बांधों में पानी की आवक घटने के कारणों पर बीबीएमबी सदस्य भी विचार-विमर्श कर रहे हैं। इसके तहत मौसम विभाग के अलावा हाइड्रोलॉजी डिपोर्टमेंट भी इसकी जांच में जुटा है। जल संसाधन उत्तर संभाग हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता केएल जाखड़ ने बताया कि जिन वर्षों में सूखे की स्थिति रही है, इस वर्ष उससे भी बदतर हालात हैं। बांधों में कुल भराव क्षमता की तुलना में अब तक दस से बारह प्रतिशत पानी की आवक होने से आगे रबी सीजन में संकट की स्थिति बन सकती है।
महज 12 प्रतिशत आवक
बांधों के जल ग्रहण क्षेत्रों में इस वर्ष कमजोर मानसून रहने से तकरीबन सभी बांध खाली हो रहे हैं। रणजीत सागर बांध में गत वर्ष की तुलना में छह मीटर कमी दर्ज की गई है। इसी तरह पौंग में 40 व भाखड़ा में 77 फीट की कमी दर्ज होने से पानी की कमी मानसून सत्र में महसूस की जा रही है। कुल भराव क्षमता की तुलना में जुलाई में अब तक भाखड़ा में 16 प्रतिशत व पौंग बांध में केवल 12 प्रतिशत पानी की आवक ही हुई है। जो जल संकट के हालात बयां करने को काफी है। पौंग बांध में आवक की स्थिति का सुधरना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस बांध में सर्वाधिक करीब 50 प्रतिशत शेयर राजस्थान का निर्धारित है।