मुकदमा के तथ्यों के अनुसार सुनीता का विवाह दलबीर पुत्र रामचन्द्र निवासी भिरानी के साथ 24 दिसंबर 2000 को हुआ था। इसके बाद सुनीता ने तलाक लेने के लिए अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन किया जो 7 जनवरी 2006 को खारिज हो गया।
22 जनवरी 2006 को सुनीता ने अपने ननिहाल किशनगढ़ में रामेश्वर के साथ पुन: विवाह कर लिया था। इस पर सुनीता के पूर्व पति दलबीर सिंह ने न्यायालय में सुनीता व अन्य के विरूद्ध धारा 494 व 109 आईपीसी का परिवाद दायर किया। जिस पर बाद सुनवाई सुनीता को दोषी मानते हुए सजा व जुर्माना से दण्डित किया गया हैं। प्रकरण के शेष आरोपियों को न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।