हनुमानगढ़. बीटी नरमा के बीज के विक्रय को लेकर सरकार स्तर पर अनुमति जारी कर दी गई है। इस बार भी बड़े पैमाने पर इसकी बिजाई का अनुमान है। कपास के अच्छे रेट मिलने की वजह से किसान इसकी बिजाई की तरफ रुझान बढ़ा रहे हैं। कपास बीज मूल्य नियंत्रण आदेश 2015 के खंड पांच के उपखंड (एक) की ओर से प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 के बीच कपास बीज विक्रय को लेकर रेट तथा मापदंड निर्धारित किए हैं। इसमें बीटी कपास बीज पैकेट में (475 ग्राम आरआईबी बीज पैकेट जिसमें न्यनूतम पांच प्रतिशत और अधिकतम दस प्रतिशत गैर बीटी कपास बीज हो ) की अधिकतम विक्रय कीमत अधिसूचित की गई है। इसमें बीजी-प्रथम पैकेट का मूल्य 635 तथा बीजी द्वितीय पैकेट का मूल्य 864 रुपए निर्धारित किया गया है। बीस अप्रेल से बीस मई तक इसकी बिजाई का उचित समय माना जाता है। इस तरह किसान अब इसकी बिजाई में जुटेंगे। किसानों की नजर अब नहरी पानी पर टिकी हुई है।
जल्द इसकी स्थिति साफ होने पर बिजाई कार्य शुरू होगा। जिले में इस बार सवा दो लाख हेक्टैयर में कपास की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बीते बरसों में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखा गया। इससे बड़े स्तर पर फसल को नुकसान भी पहुंचा। इसके तहत इस बार कृषि विभाग की टीम एहतियात बरतते हुए बिजाई के समय ही गुलाबी सुंडी नियंत्रण के ठोस उपाय करने में जुटी हुई है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार बीटी कॉटन की देरी से स्वीकृति विभाग के प्लान का हिस्सा है। क्योंकि गत वर्ष अगेती बुआई की गई कॉटन गुलाबी सुंडी के प्रकोप का कारण थी। मई तक मौसम कीट के प्रति अनुकूलता के कारण अधिक आक्रमण हुआ। किसानों को सलाह है कि बीटी कॉटन की लाइन से लाइन की दूरी कम से कम तीन फीट रखें। बेसल में आवश्यक उर्वरक अवश्य देें। प्रथम सिंचाई के बाद फसल में विरलीकरण करें। गुलाबी सुंडी का प्रबंधन किया जा सकता है। घबराने की आवश्यकता नहीं है।
काफी घटा उत्पादन
गत वर्ष बीटी कॉटन में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के चलते उत्पादन काफी कम हुआ था। बीटी कॉटन का औसत उत्पादन बीस क्विंटल प्रति हैक्टेयर माना जाता है। लेकिन गत वर्ष सुंडी के चलते इसका उत्पादन आठ से दस क्विंटल के बीच रहा। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ। अबकी बार गुलाबी सुंडी का प्रकोप होने पर अनुदानित दर पर कृषि आदान उपलब्ध करवाने को लेकर जिला प्रशासन ने कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा है।
गत वर्ष बीटी कॉटन में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के चलते उत्पादन काफी कम हुआ था। बीटी कॉटन का औसत उत्पादन बीस क्विंटल प्रति हैक्टेयर माना जाता है। लेकिन गत वर्ष सुंडी के चलते इसका उत्पादन आठ से दस क्विंटल के बीच रहा। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ। अबकी बार गुलाबी सुंडी का प्रकोप होने पर अनुदानित दर पर कृषि आदान उपलब्ध करवाने को लेकर जिला प्रशासन ने कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा है।
7200 लाख रुपए की मांग
कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजे गए प्रस्ताव में खरीफ 2024 में कपास की संभावित बिजाई को देखते हुए 7200 लाख रुपए के बजट की मांग की गई है। इससे कृषि आदान की उपलब्धता संभव हो सकेगी। समय पर उचित अनुदान मिलने पर गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण करना आसान होगा। कृषि विभाग के अधिकारियेां के अनुसार कपास की बिजाई के समय ही कुछ सावधानी बरतने पर आगे फसल अच्छी हो सकती है।
बीटी कॉटन क्या है
बीटी कपास अनुवांशकी परिवर्तित कपास की फसल है। इसमें बेसिलस थ्यूरेनजिनेसिस बैक्टीरिया के एक या दो जीन फसल के बीज में अनुवांशकीय अभियांत्रिकीय तकनीक से बीज में डाल दिए जाते हैं। जो पौधे के अंदर क्रिस्टल प्रोटीन उत्पन्न करते हैं। इससे विषैला पदार्थ उत्पन्न होकर कीट को नष्ट कर देता है। बीटी कपास सर्वप्रथम मॉनसेंटो समूह की ओर से बोलगार्ड कपास के नाम से 1996 में अमेरिका में प्रचलन में लाई गई थी। बाद में वर्ष 2006 में भारत में भी समझौते के तहत इसकी खेती शुरू कर दी गई। धीरे-धीरे बीटी कपास ने देश में प्रचलित देसी कपास पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया। हालांकि अब थोड़ा-बहुत देसी कपास की बिजाई की तरफ किसान रुझान दिखा रहे हैं।
कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजे गए प्रस्ताव में खरीफ 2024 में कपास की संभावित बिजाई को देखते हुए 7200 लाख रुपए के बजट की मांग की गई है। इससे कृषि आदान की उपलब्धता संभव हो सकेगी। समय पर उचित अनुदान मिलने पर गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण करना आसान होगा। कृषि विभाग के अधिकारियेां के अनुसार कपास की बिजाई के समय ही कुछ सावधानी बरतने पर आगे फसल अच्छी हो सकती है।
बीटी कॉटन क्या है
बीटी कपास अनुवांशकी परिवर्तित कपास की फसल है। इसमें बेसिलस थ्यूरेनजिनेसिस बैक्टीरिया के एक या दो जीन फसल के बीज में अनुवांशकीय अभियांत्रिकीय तकनीक से बीज में डाल दिए जाते हैं। जो पौधे के अंदर क्रिस्टल प्रोटीन उत्पन्न करते हैं। इससे विषैला पदार्थ उत्पन्न होकर कीट को नष्ट कर देता है। बीटी कपास सर्वप्रथम मॉनसेंटो समूह की ओर से बोलगार्ड कपास के नाम से 1996 में अमेरिका में प्रचलन में लाई गई थी। बाद में वर्ष 2006 में भारत में भी समझौते के तहत इसकी खेती शुरू कर दी गई। धीरे-धीरे बीटी कपास ने देश में प्रचलित देसी कपास पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया। हालांकि अब थोड़ा-बहुत देसी कपास की बिजाई की तरफ किसान रुझान दिखा रहे हैं।
……फैक्ट फाइल….
-जिले में इस बार सवा दो लाख हैक्टेयर में कपास बिजाई का लक्ष्य।
-बीटी नरमा में गुलाबी सुंडी नियंत्रण को लेकर विभाग ने मांगा 7200 लाख का बजट।
-बीटी नरमा बीज में बीजी-प्रथम पैकेट का मूल्य 635 तथा बीजी द्वितीय पैकेट का मूल्य 864 रुपए निर्धारित किया गया है।
-जिले में इस बार सवा दो लाख हैक्टेयर में कपास बिजाई का लक्ष्य।
-बीटी नरमा में गुलाबी सुंडी नियंत्रण को लेकर विभाग ने मांगा 7200 लाख का बजट।
-बीटी नरमा बीज में बीजी-प्रथम पैकेट का मूल्य 635 तथा बीजी द्वितीय पैकेट का मूल्य 864 रुपए निर्धारित किया गया है।
…….वर्जन…….
जिले में बीटी नरमा की बिजाई को लेकर सरकार स्तर पर बीज विक्रय की मंजूरी मिल गई है। अधिकृत डीलर से किसान बीज खरीद सकते हैं। गुलाबी सुंडी नियंत्रण को लेकर किसानों को कुछ सावधानी बिजाई के समय ही बरतने की सलाह दे रहे हैं।
-बीआर बाकोलिया, सहायक निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़
जिले में बीटी नरमा की बिजाई को लेकर सरकार स्तर पर बीज विक्रय की मंजूरी मिल गई है। अधिकृत डीलर से किसान बीज खरीद सकते हैं। गुलाबी सुंडी नियंत्रण को लेकर किसानों को कुछ सावधानी बिजाई के समय ही बरतने की सलाह दे रहे हैं।
-बीआर बाकोलिया, सहायक निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़