श्रम विभाग की ओर से लगाए गए शिविर में पहुंचे कुछ श्रमिकों का कहना था कि श्रम विभाग के अधिकारी दो वर्ष पहले आवेदन के समय जो नियोजक था, उससे लिखवाकर फिर से लाने की बात कह रहे हैं। सुरेशिया के लीलाधर वर्मा ने बताया कि उसकी पत्नी के नाम से श्रमिक कार्ड बना हुआ है। छात्रवृत्ति के लिए उसने आवेदन किया। दो वर्ष बीत गए लेकिन विभाग की ओर से अभी तक बच्चे की स्वीकृति जारी नहीं की गई है। लीलाधर का आरोप था कि तीन हजार तो आवेदन के समय दलाल ने ही ले लिए थे। लेकिन अब अधिकारी कागजों में जब कमियां निकालकर दो वर्ष पहले के कागज फिर से लाने की अनिवार्यता लागू करेंगे तो हमारे जैसे श्रमिकों को इन योजनाओं से क्या फायदा मिलेगा। लीलाधर ने बताया कि जिस नियोजक का प्रमाण पत्र उसने आवेदन में लगाया है, उसे अधिकारी गलत बता रहे हैं। इस स्थिति में श्रमिक परिवार जाएं भी कहां जाएं। कुछ श्रमिकों का कहना था कि दो वर्ष पहले जिस मालिक के यहां दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था, उसने उस वक्त तो कागज पर लिखकर मजदूरी करने का प्रमाण पत्र दे दिया था, जिसे आवेदन में भी लगा रखा था। लेकिन अब दोबारा जाने पर वह मालिक मजदूरी का प्रमाण पत्र देने से मना कर देता है।
श्रम विभाग की ओर से श्रमिक कल्याण को लेकर कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। इसमें भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण मंडल की ओर से संचालित योजनाओं में निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना अहम है। इसमें श्रमिकों के परिवार में पढऩे वाले विद्यार्थियों को २५००० रुपए तक की छात्रवृत्ति व ३५००० रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इसी तरह निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना में मकान बनाने पर करीब डेढ़ लाख रुपए तक का अनुदान मिलता है। शुभशक्ति योजना में लडक़ी के विवाह पर ५५००० रुपए तक का आर्थिक सहयोग, प्रसूति सहायता योजना में सहायता राशि देने की योजना है।
-एक अक्टूबर २०१९ तक हनुमानगढ़ कार्यालय में २३८०० लंबित मामले थे।
-अब २३ दिसम्बर २०१९ को लंबित प्रकरणों की संख्या ११००० रह गई है।
-जिला मुख्यालय पर २३ दिसम्बर को लगाए गए मेगा शिविर में ५ लाख ३० हजार रुपए की स्वीकृतियां जारी की गई।
-शुभशक्ति योजना में लडक़ी के विवाह पर श्रम विभाग की ओर से ५५००० रुपए तक का आर्थिक सहयोग देने की योजना है।