इस बार मार्च,अप्रेल व मई में भीषण गर्मी का दौर रहा। अधिकतम तापमान ४८ डिग्री तक चला गया। जबकि रीलाइनिंग कार्य चलने की वजह से नहरबंदी भी लंबी चली। इसकी वजह से बागों को पानी नहीं मिला और पौधे झुलस गए। अधिक तापमान व पानी की कमी की वजह से किन्नू के पौधे फला अवस्था में ही जल गए। हालांकि डिग्गी व ड्रिप वाले बागों की स्थिति काफी ठीक बताई जा रही है।
जिले में उन्नत कृषि करने वाले किसान दुष्यंत बेनीवाल का कहना है कि इस बार किन्नू की फसल खराब होने की वजह से जो बचे हुए बाग हैं, उनके रेट अधिक जा रहे हैं। अभी से बागों के रेट लगने शुरू हो गए हैं। गत वर्ष २३ से २४ रुपए प्रति किलो भाव लगे थे। इस बार ३० रुपए प्रति किलो तक मिलने के आसार हैं।
हनुमानगढ़ जिले में किन्नू की खेती को मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल किया गया है। इसमें कुल ३० प्रतिशत प्रीमियम राशि बीमा कंपनी वसूल करती है। इसमें साढ़े बारह प्रतिशत केंद्र व इतना ही राज्य सरकार प्रीमियम पेटे बीमा कंपनी को जमा करवाती है। जबकि पांच प्रतिशत कृषक हिस्सा राशि निर्धारित है। इसमें किसानों से १०१२ रुपए प्रति हेक्टैयर प्रीमियम राशि निर्धारित है। एक हैक्टैयर में ८१ हजार रुपए बीमा राशि कवर करने का नियम है।
-हनुमानगढ़ जिले में ११२०० बीघे में किन्नू के बाग लगे हुए हैं।
-सिंचाई पानी नहीं मिलने की वजह से ८५ प्रतिशत तक बागों के झुलसने की सूचना है।
-मौसम आधारित फसल बीमा में किन्नू की फसल अधिसूचित है। किसानों से १०१२ रुपए प्रति हेक्टैयर प्रीमियम राशि वसूलने का नियम है।
-कम उत्पादन होने की वजह से इस बार किसानों को ३० रुपए प्रति किलो तक मिलने के आसार हैं। गत वर्ष २४ रुपए मिले थे।
......वर्जन.....
दो माह से अधिक समय तक नहरबंदी चलने की वजह से इस बार किन्नू के बागों को पानी नहीं मिला। इससे ८५ प्रतिशत तक पौधे झुलस गए हैं। नुकसान का सर्वे करवा रहे हैं। मौसम आधारित फसल बीमा योजना में किन्नू फसल अधिसूचित है। पोर्टल खुलने पर किसान क्लेम का दावा कर सकेंगे।
-डॉ. विपिन भादू, सहायक कृषि अधिकारी, उद्यान विभाग हनुमानगढ़