स्कूल से हुए दोनों गायब दरअसल बच्चा उठा ले जाने वाले गिरोह की अफवाह के चलते राजस्थान पुलिस सुबह से दोनों को ढूंढ रही थी। यहां तक कि पुलिस ने नहरों में बच्चों को तलाश करना शुरू कर दिया था। दोनों बच्चे श्रीगंगानगर के एक निजी विद्यालय में छठी कक्षा के छात्र हैं। सुबह घर से विद्यालय के लिए निकले थे। मामले को खुलासा उस समय हुआ जब कुणाल जैन नाम के एक बच्चे का पिता स्कूल पहुंचा। विद्यालय के पास मोबाइल की दुकान चलाने वाला रामदेव निवासी बसंती चौक, सेतिया फार्म श्रीगंगानगर किसी काम से विद्यालय गया तो उसे पता चला कि उसका बेटा कुणाल स्कूल आया ही नहीं। कक्षा से एक अन्य बच्चा कर्ण निवासी बापू नगर वार्ड १९ श्रीगंगानगर भी गायब था।
रामदेव ने इसके बाद बच्चे के नाना वेदव्यास सोनी तथा मामा राघव पुत्र भूमिप्रसाद को कॉल कर जानकारी दी। मामले की सूचना सदर थाना श्रीगंगानगर को पहुंची तो पुलिस बच्चों को ढूंढने में जुट गई। कर्ण अपने नाना के पास रहता है जबकि उसकी मां बिहार के गोपालगंज में पिछले सात सालों से रह रही है। दोनों ही ब्ल्यू वर्डस पब्लिक स्कूल के छात्र बताए जा रहे हैं।
रचा अपहरण का नाटक शाम करीब 4 बजे डबवाली रेलवे स्टेशन पर मौजूद विनोद तथा कालू के पास बच्चे भागते हुए आए। उन्होंने हड़बड़ाहट में उससे एक कॉल करने के लिए मोबाइल मांगा। बच्चों ने बताया कि उनका कार सवार लोगों ने कुछ सूंघाने के बाद अपहरण किया है। रेलवे फाटक बंद होने के कारण वे भागकर आए हैं। बच्चों ने बताया कि कार में दो और बच्चे थे, जो सो रहे थे। संभव है कि उनका अपहरण किया हो। इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने दोनों बच्चों को डबवाली जीआरपी के हवाले कर दिया। इस बारे में सूचना मिलने के बाद शहर थाना पुलिस अलर्ट हो गई।
रेलगाड़ी से पहुंचे डबवाली बच्चों से पूछताछ के बाद इस बारे में उनके परिजनों को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद रामदेव तथा कर्ण के पिता वेदव्यास डबवाली पहुंचे। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि कर्ण साइकिल चला रहा था, कुणाल उसके साथ बैठा था। विद्यालय से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर दोनों ने बैग तथा आइ कार्ड फेंक दिए। इसके बाद पुलिस ने पूछताछ की तो दोनों ने बताया कि उनका किसी ने अपहरण नहीं किया था। वे तो नांदेड साहिब जाने वाली गाड़ी में सवार हुए थे। जैसे ही रेलगाड़ी डबवाली में रुक गई, तो डरकर ट्रेन से उतर गए।
मम्मी की याद आ रही थी, तो मिलने भागे डबवाली शहर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार के अनुसार कर्ण अपने नाना के पास श्रीगंगानगर में रहता है, तो वहीं तलाक के बाद कुणाल अपने पिता के साथ रहता है। दोनों अपनी-अपनी मां से मिलने घर से निकले थे। कर्ण बिहार तो कुणाल को अमृतसर जाना था। श्रीगंगानगर से डबवाली पहुंचकर बहनों की याद सताने लगी तो कुणाल ने कर्ण को रोक लिया, दोनों उतर गए। बाद में कहानी गढ़ दी। बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया है।