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72 लाख में उलझी बीस हजार लोगों की खुशियां

locationहनुमानगढ़Published: Mar 16, 2019 12:30:15 pm

Submitted by:

Anurag thareja

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72 लाख में उलझी बीस हजार लोगों की खुशियां

72 लाख में उलझी बीस हजार लोगों की खुशियां

72 लाख में उलझी बीस हजार लोगों की खुशियां
– पीडब्ल्यूडी नहीं कर पाई 72 लाख का जुगाड़
– गांधीनगर रेलवे अंडरपास तीन माह से अटका
हनुमानगढ़. जंक्शन की रेलवे लाइन के उसपार की आबादी की खुशियां 72 लाख रुपए के पेच में फंस गई हैं। रेलवे की ओर से अचानक पैंसों का भंवरजाल रचने के कारण गांधीनगर का बहुप्रतिक्षित अंडरपास अब अधरझूल में लटक गया है। हालात यह है कि रेलवे की ओर से 72 लाख की डिमांड किए हुए तीन माह से अधिक हो चुके हैं। इनकी खुशियों को लौटाने के लिए कांग्रेंस और भाजपा दोनों दलों ने चुप्पी साध ली है। सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार ने सार्वजनिक निर्माण विभाग को अभी तक 72 लाख के बजट के स्वीकृति नहीं दी। इसके वजह से गांधीनगर में निर्माणाधीन अंडरपास की स्थिति जस के तस है। खास बात है कि सात करोड़ की लागत से निर्माणाधीन अंडरब्रिज निर्माण के लिए 42 बॉक्स भी बनकर तैयार हैं। लेकिन इन्हें रेलवे लाइन के नीचे खुदाई कर रखने के लिए 72 लाख रुपए चाहिए, वो विभाग के पास है नहीं। इसकी स्वीकृति के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग ने वित्त विभाग को फेल भी भेज चुकी है। लेकिन अभी तक हरी झंडी नहीं मिलने व आचार संहिता लगने के कारण मई के अंत तक मामला ठंडा बस्ते में चला गया है। गौरतलब है कि गांधी नगर अंडरपास रेलवे व सार्वजनिक निर्माण विभाग के आपसी पेच में दिसंबर 2018 से फंस हुआ है। उस वक्त पीडब्ल्यूडी ने बॉक्स रखने के लिए रेलवे से अनुमति मांगने के दौरान 72 लाख का डिमांड नोटिस थमा दिया था। जबकि इस तरह की विभागों में लेन-देन व कागजी कार्रवाई दोनों विभाग के अधिकारियों की मौडूदगी में जीएडी (जनरल एरेंजमेंट ड्राइंग) अप्रवूड के समय किया जाता है। लेकिन दोनों विभाग के बीच संवादहीनता के कारण मामला उलझा हुआ है। जबतक सार्वजनिक निर्माण विभाग रेलवे को 72 लाख रुपए का भुगतान नहीं करेगा, तबतक सीमेंट ब्लॉक रखने की अनुमति नहीं देगा। यही वजह से तीन माह से गांधीनगर रेलवे लाइन के पास बॉक्स बनकर तैयार हैं।

2012 से की जा रही थी मांग
रेलवे लाइन के उसपार के नागरिकों ने अंडर पास निर्माण की मांग को लेकर 2012 को एक संघर्ष समिति का गठन किया था। यहां की आबादी को मुख्य बाजार में आने-जाने के लिए तीन से चार किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इसी वजह से ज्यादातर नागरिक रेलवे लाइन को पारकर मुख्य बाजार की तरफ आते हैं। ऐसे में इस इलाकें में ट्रैन की चपेट में आने से अबतक एक दर्जन से अधिक हादसे हो चुके हैं। इन हादसों को रोकने के लिए नागरिक सड़कों पर उतरे और शव को लेकर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर धरना प्रदर्शन भी किया था। तब जाकर पूर्व की सरकार ने गांधीनगर अंडरपास के लिए 6 करोड़ 82 लाख रुपए के बजट की स्वीकृति देते हुए हरी झंडी दी। रेलवे लाइन के उसपार आरसीपी कॉलोनी, सिविल लाइन, वार्ड 38, 10 आदि के दोपहिया वाहन इस अंडरब्रिज के माध्यम से आ जा सकेंगे।

यह है नियम
विभाग किसी भी प्रोजेक्ट के बजट की अनुमति लेने के लिए उसकी डीपाआर तैयार कर संबंधित विभाग के मुख्यालय भिजवाता है। इसमें निर्माण कार्य से लेकर कई खर्चों भी शामिल करने के बाद करीब दो प्रतिशत अन्य खर्च का आकलन भी किया जाता है। लेकिन डिमांड अधिक होने के कारण सार्वजनिक निर्माण विभाग अभी तक 72 लाख रुपए का जुगाड़ नहीं कर पाया। गांधीनगर निर्माण में अंडरपास का निर्माण 6 करोड़ 82 लाख की लागत से किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसके लिए आठ करोड़ का बजट स्वीकृत किया था। कार्य प्रारंभ 15 सिंतबर को हुआ था। निर्माण एजेंसी को एक वर्ष में कार्य पूरा करना है। लेकिन गत तीन माह से कार्य बंद पड़ा है।
जानकारी के अनुसार रेलवे विभाग की भूमि पर सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से प्रोजेक्ट का निर्माण करने से पहले भूमि की स्थिति स्पष्ट करनी होती है। इसके बाद प्रोजेक्ट की ड्राइंग तैयार की जाती है और इसकी स्वीकृति देने से पूर्व संबंधित विभाग इसके बदले में यूटिलिटी व शिफ्टिंग की राशि की डिमांड करता है। इस राशि का भुगतान व आपसी सहमति की कागजी कार्रवाई पूरी होने के पश्चात निर्माण एजेंसी निविदा की प्रक्रिया करवाती है। गांधीनगर अंडरपास की स्वीकृति के लिए दर्जनों बार बैठक होने के बावजूद दोनो विभाग यूटिलिटी व शिफ्टिंग की राशि लेन-देन की प्रक्रिया पूरी करना ही भूल गए।
बजट मिलते ही जमा करवाएंगे राशि
सरकार की तरफ से एनओसी प्राप्त नहीं हुई है। बजट प्राप्त नहीं हुआ है। बजट की स्वीकृति मिलते ही राशि जमा करवाकर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।
अनिल अग्रवाल, सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी
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