दरअसल यहां पेट्रोलियम पदार्थ की बिक्री के मामले में नियमों का उल्लंघन बेरोक-टोक हो रहा है। जबकि प्रशासन भी इस ओर अपनी आंखें मूंदे बैठा है। जो डीजल-पेट्रोल केवल पंपों पर ही बेचा जा सकता है, उसकी यहां दुकान चल रही है। पंप से ज्यादा कीमत पर बिकते इस तेल की बिक्री को रोकने वाला कोई नहीं है। गांवों में परचून सहित ऑइल और सर्विस सेंटर की आड़ में पेट्रोल बिक रहा है। जबकि डीजल बिक्री का भी कमोवेश यही हाल है।
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बारुद से कम नहीं दुकान- बता दें कि ये सबकुछ आम लोगों के सामने ही बिकता है, लेकिन पुलिस-प्रशासन मामले पर कोई कार्रवाई नहीं करती। तो वहीं थोड़ी सी कमाई के लिए दुकान में बेचे जाने वाले इस तेल से लोगों की जान को भी खतरा रहता है। वहीं ये दुकानदार न केवल राजस्व को चूना लगा रहे बल्कि एक बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं। फिर इसके खिलाफ किसी तरह का एक्शन नहीं लिया जा रहा है। पैट्रोल पंप से केन में लाए तेल के गोरखधंधे से जहां वाहनों की सेहत खराब हो रही तो ग्राहकों की जेब भी ढीली हो रही है। समय नहीं होने या फिर पेट्रोल पंप दूर होने की स्थिति में लोग यहां से पेट्रोल खरीदते हैं। ये दुकानें आवासीय क्षेत्र में किसी बारुद से कम नहीं हैं। यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। दरों में अंतर और मिलावट- बता दें कि सीमावर्ती हरियाणा राज्य में पैट्रोल का मूल्य 71 रुपए प्रति लीटर है जो 80 से 90 रुपए तक बिक रहा है। डीजल हरियाणा पंप पर 60.58, पंजाब में 60.10 और राजस्थान में 67 रुपए लीटर है। जो करीब 70 रुपए तक बिक रहा है। लोगों की मानें तो केरोसिन मिलावट होने से इंकार नहीं कर सकते। वाहन को नुकसान होने के साथ आर्थिक और मानसिक परेशानी होती है। पर शायद सब इतने जल्दी में हैं कि ध्यान नहीं देते। वाहन की सर्विस कराने पर मिस्त्री भी मिलावटी तेल का संदेह जताते हैं।
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सेटिंग से चलता काम- पंप के अलावा पेट्रोल बेचने वाले दुकामों की जानकारी आम लोगों को तो है, लेकिन प्रशासन को जानकारी न होना संदेहास्पद है। पेट्रोल बेचने वाले खुद कार्रवाई नहीं होने के पीछे मिलीभगत की ओर इशारा कर रहे हैं। दुकानदार कह रहे हैं कि हर काम सेटिंग से होता है। जिला प्रशासन भी जांच करने या तलाशी लेने की बजाय शिकायत मिलने का इंतजार करता है। जबकि लोग बताते हैं कि पेट्रोल में मिलावट और अवैध बिक्री के नाम पर विभाग अपनी साफगोई का परिचय देते हैं पर कुंभकर्णी नींद में सोए हैं। असल में छापामारी प्रक्रिया में कई अधिकारियों को शामिल करने की वजह से अधिकारी इसमें रुचि लेते नहीं और ग्राहकों को इतनी फुरसत नहीं कि वह इसकी शिकायत बार-बार करें। तो ऐसे दुकानों तक पहुंचता है पेट्रोल- एक ओर अधिकृत पेट्रोल पंपों के अलावा कहीं पेट्रोल नहीं बिक सकता है। जबकि पंप के अलावा कहीं भी इसकी बिक्री एक्सप्लोसिव और पेट्रोलियम एक्ट के तहत अपराध है। बावजूद इसके चोरी छिपे बड़ी कैनों में भरकर अवैध तरीके से काला बाजारी करने वालों को पेट्रोल दिया जा रहा है। इन जगहों से पानी की बोतलों तक में पेट्रोल बेचा जा रहा है लेकिन कार्रवाई करने वाला महकमा खामोश है। तो इसे लेकर कई सवाल भी लोग खड़े कर रहे हैं।