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गांव के इस शख्स ने अकेले दम पर लगा डाले हजारों पौधे, पिछले 16 सालों से जुटा है पर्यावरण बचाने में…

locationहनुमानगढ़Published: Jan 01, 2018 10:08:21 pm

औसत आय के किसान होने के बाबजूद दिनोदिया ने बिना किसी की आर्थिक मदद से स्वयं के खर्चे पर गांव में पौधे लगाए।

trees planted by a man
टिब्बी। सिर सांट्या जे रूंख बचै तो भी सस्तों जाण। मानव जीवन से भी ज्यादा पेडों की महत्ता बताने वाली इस उक्ति का अनुसरण करते हुए गांव मिर्जावाली मेर का एक ग्रामीण पिछले 16 सालों से वृक्षारोपण में जुटा हुआ है। आज के दौर में भले ही लोग भौतिक सुखों के पीछे भागते नजर आते हैं, लेकिन टिब्बी तहसील के गांव मिर्जावाली मेर के जगदीश दिनोदिया की दिनचर्या पौधों के सार संभाल से शुरू होती है। वो हर दिन सबसे पहले अपने द्वारा लगाए पेड़ों को पानी देना नहीं भुलते। इसके बाद ही वो कोई दूसरा काम करते हैं।
सुबह उठते ही जगदीश दिनोदिया गांव में लगाए अपने पौधों को देखने पहुंचते है और फिर पौधों में आवश्यक पानी डालते और उनकी संभाल करते है। वे पिछले 16 सालों से इस काम में जुटे है। उन्होंने गांव के खाली पड़े सार्वजनिक स्थानों पर भरपूर पौधे लगाए और उन पौधों लगाने के बाद उसकी सार संभाल कर उसे पेड़ बनाया। तो वहीं गांव में उनके द्वारा लगाए गए हजारों पौधे आज वृक्ष बनकर ग्रामीणों को छाया दे रहे है। अपने इन्हीं सराहनीय कामों के कारण गांव मिर्जावाली मेर में वो वृक्षमित्र के रूप में पहचाने जाते है। औसत आय के किसान होने के बाबजूद दिनोदिया ने बिना किसी की आर्थिक मदद से स्वयं के खर्चे पर गांव में पौधे लगाए।
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तो वहीं उनका कहना है कि बचपन से ही उनको वृक्षारोपण से लगाव रहा है। और जब उनके लगाए पौधे बड़े होते है तो उन्हें काफी खुशी होती है। पौधारोपण के लिए वे निरंतर प्रयासरत है, साथ ही आगे भी यह कार्य करते रहेंगे। दिनोदिया को पौधारोपण में उनके परिवार के सदस्य भी मदद करते है। उनके दोनों बेटे और एक बेटी के साथ उनकी पत्नी भी उनके इस कार्य में सहयोग कर रहे है। ग्रामीणों की मानें तो गांव के सरकारी स्कूल, सड़क किनारे, गुवाड, जोहड किनारे सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जो पेड लगे दिख रहे हैं।उनमें से अधिकतर जगदीश दिनोदिया की ही देन है।
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इस संबंध में मिर्जावाली मेर के सरपंच जगदीश बरोड का कहना है कि जगदीश दिनोदियां ने गांव में वृक्षारोपण की एक मुहिम चला रखी है और वे अब तक हजारों पेड लगा चुके हैं।जिससे गांव में पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ शुद्ध वायु भी ग्रामीणों को मिल रही है। उन्होंने जगदीश दिनोदियां के कार्य को अनुकरणीय बताते हुए अन्य युवाओं को भी पर्यावरण संरक्षण की ऐसी मुहिम में जुडने का आग्रह किया।
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