रिश्ते में चाचा लगने वाले व्यक्ति ने नाबालिग बच्ची के साथ की अश्लील हरकतें, अदालत ने दोष साबित होने पर सुनाई सजा
हनुमानगढ़Published: Feb 19, 2020 11:22:00 am
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हनुमानगढ़. पोक्सो कोर्ट ने नाबालिग बच्ची के साथ अश्लील हरकत करने व शारीरिक क्षति पहुंचाने के आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर उसे कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया है।
रिश्ते में चाचा लगने वाले व्यक्ति ने नाबालिग बच्ची के साथ की अश्लील हरकतें, अदालत ने दोष साबित होने पर सुनाई सजा
रिश्ते में चाचा लगने वाले व्यक्ति ने नाबालिग बच्ची के साथ की अश्लील हरकतें, अदालत ने दोष साबित होने पर सुनाई सजा
हनुमानगढ़. पोक्सो कोर्ट ने नाबालिग बच्ची के साथ अश्लील हरकत करने व शारीरिक क्षति पहुंचाने के आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर उसे कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया है। प्रकरण के अनुसार आरोपी भानीराम निवासी टोपरियां के खिलाफ पीडि़ता के परिजनों ने पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज करवाया था। बताया जा रहा है कि आरोपी रिश्ते में पीडि़ता का चाचा लगता था। वह पंद्रह जुलाई २०१८ की रात पीडि़ता के घर आया और अकेला पाकर बच्ची के साथ अश्लील हरकतें करने लगा। पीडि़ता को शारीरिक चोट भी पहुंचाई। रावतसर थाने में मामला दर्ज होने के बाद कोर्ट में मामला आने पर अदालत में सुनवाई चल रही थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान विशिष्ट न्यायाधीश मशरूर आलम खान ने दोष सिद्ध होने पर दोषी को सजा सुनाई। इसमें विभिन्न धाराओं में दोषी को सात वर्ष व दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। साथ ही जुर्माना भी लगाया। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी विशिष्ट लोक अभियोजक विनोद डूडी ने की।
चेक अनादरण पर कारावास की सजा
पीलीबंगा. सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट राजीव जांगिड़ ने सोमवार को एक व्यक्ति को एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई तथा परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति राशि अदा करने के आदेश दिए। प्रकरण के अनुसार चोहिल्यांवाली निवासी विकास पुत्र चेतराम ने वर्ष 2012 में चोहिल्यांवाली निवासी आरोपी बलराम पुत्र हनुमानराम सुथार को उधार पेटे दो लाख दिए। बलराम ने उक्त राशि के एवज में परिवादी विकास को चेक दिया जो अनादरित हो गया। इस पर न्यायाधीश ने आरोपी को एक वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई तथा परिवादी विकास को बतौर क्षतिपूर्ति 3 लाख 20 हजार के भुगतान के आदेश दिए। परिवादी विकास की ओर से पैरवी अधिवक्ता महेन्द्र चतुर्वेदी व महावीर अरोड़ा ने की। (पसं)