मगर हकीकत में मंडियों में स्थिति यह रहती है कि किसान को मंडी में फसल बेचने में दो से तीन दिन का वक्त लग जाता है। इस स्थिति में किसान होटलों व ढाबों पर महंगी दरों पर भोजन करने को मजबूर हो रहे थे। मंडी समिति हनुमानगढ़ के चैयरमेन रामेश्वर चांवरिया ने किसानों की इस समस्या का समाधान करवाने को लेकर सीएम को प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इसमें उल्लेख किया था कि कृषि प्रधान हनुमानगढ़ जिले की जंक्शन व टाउन ऐसी मंडी है, जहां पर साल भर किसानों की आवाजाही रहती है, दोनों मंडियों में कृषि जिंसों की काफी अच्छी आवक होती है।
यहां फसल बेचने को लेकर आने वाले किसानों को सरकारी रेट पर फसल बेचने में दो से तीन दिन का वक्त तक लग जाता है। लेकिन तय नियमों के तहत किसान को केवल एक दिन में एक वक्त का भोजन करवाने का नियम है। इसके कारण किसानों को दूसरे होटलों पर ज्यादा रेट में भोजन करना पड़ रहा है। किसानों को राहत दिलाने के लिए दिन में दो वक्त का भोजन उपलब्ध करवाने को लेकर मंडी प्रशासन ने सरकार को प्रस्ताव बनाकर इस संबंध में अनुमति मांगी थी। सरकार ने प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करते हुए अब मंडी समिति को प्रति किसान अधिकतम तीन दिन तक दिन में दो बार भोजन करवाने को लेकर टोकन जारी करने की अनुमति दे दी है।
तीन दिनों तक दोनों वक्त का भोजन उपलब्ध करवाने की नई व्यवस्था जिले की हनुमानगढ़ टाउन व जंक्शन मंडी में लागू होगी। किसानों की मानें तो जिले के सभी मंडियों में यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए। क्योंकि हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिला ऐसा है, जो प्रदेश में सर्वाधिक गेहूं उत्पादन करता है। एफसीआई प्रदेश में जितनी गेहूं की खरीद करता है, उसमें ७० प्रतिशत इन्हीं दो जिलों से करता है। इस स्थिति में इन दोनों जिलों के किसानों को मंडी में दो वक्त की रोटी की सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर सरकार को जरूर सोचना चाहिए।
हनुमानगढ़ टाउन व जंक्शन मंडी को सलाना करीब २४ करोड़ का टैक्स प्राप्त होता है। करीब बीस हजार किसान इन दोनों मंडियों में अनाज बेचने आते हैं। इसमें सर्वाधिक टैक्स टाउन मंडी से प्राप्त होता है। इन दोनों मंडियों में किसान कलेवा योजना के तहत करीब दस लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन अब किसानों को तीन दिन तक दो वक्त का भोजन उपलब्ध करवाने पर इस राशि में बढ़ोतरी संभव है।
-हनुमानगढ़ टाउन व जंक्शन मंडी को २४ करोड़ का मिल रहा टैक्स।
– जंक्शन व टाउन मंडी में २० हजार से अधिक किसान आते हैं फसल बेचने।
-प्रदेश में गेहूं की कुल सरकारी खरीद का करीब ७० प्रतिशत गेहूं श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में होता है।
-किसान कलेवा योजना के तहत टाउन व जंक्शन मंडी में करीब १० लाख हो रहे खर्च।
सरकार से मिली मंजूरी
हनुमानगढ़ जंक्शन व टाउन मंडी में समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए जो किसान आएंगे, उन्हें अब फसल की तौल होने तक अधिकतम तीन दिनों तक दो वक्त का भोजन करवाने को लेकर टोकन जारी किया जाएगा। पहले केवल एक दिन में एक वक्त का भोजन करने के लिए किसान कलेवा योजना में टोकन जारी किया जाता था। इस संबंध में राज्य सरकार स्तर पर मंजूरी मिल गई है। आगे रबी सीजन में मंडी में फसल बेचने के लिए आने वाले किसानों को भोजन की दिक्कत नहीं रहेगी।
सीएल वर्मा, सचिव, मंडी समिति हनुमानगढ़