-जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की हुई समन्वय बैठक
हनुमानगढ़. जल संसाधन विभाग के शासन सचिव नवीन महाजन ने बुधवार को इंदिरागांधी फीडर के आरडी ६१२ से ६७१ तक का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने चल रहे मरम्मत कार्यों की गुणवत्ता भी जांची। मसीतांवाली हैड के पास चल रहे कार्यों को देखकर निर्माण संबंधी मानकों का विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया। इस दौरान शासन सचिव महाजन ने रावतसर में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। जिसमें मरम्मत संबंधी प्रोजेक्ट में इस वर्ष तथा अगले वर्ष होने वाले कार्यों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। मुख्य अभियंता विनोद मित्तल ने बताया कि रीलाइनिंग कार्य को अगले वर्ष तक पूर्ण करने का प्रयास रहेगा। प्रोजेक्ट पूर्ण करने को लेकर पूरी टीम मुस्तैदी दे रही है। बंदी की अवधि भी अगले वर्ष लंबी हो सकती है। बैठक में कुछ ठेकेदारों ने निर्माण में आ रही समस्याओं की तरफ इशारा किया तो शासन सचिव ने कहा कि इस संबंध में सरकार स्तर पर जितना संभव हो सकेगा, सहयोग दिया जाएगा। शासन सचिव के समक्ष जब सीमेंट के अभाव में कुछ जगह निर्माण कार्य प्रभावित होने की आशंका जताई गई तो शासन सचिव ने तत्काल संबंधित सीमेंट कंपनी के दिल्ली स्थित अधिकारियों से वार्ता की। इस दौरान शासन सचिव ने सीमेंट कंपनी के प्रतिनिधि से कहा कि तय अनुबंध के तहत सीमेंट उपलब्ध करवाएं। जिससे नहरों के मरम्मत प्रोजेक्ट में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हो। शासन सचिव महाजन ने निर्माण कार्य के दौरान आ रही चुनौतियों का सामना करके तय समय में सभी कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया। दो दिनों तक नहर पुनरोद्धार प्रोजेक्ट के हालात जानने के बाद शासन सचिव बुधवार को जयपुर के लिए रवाना हो गए। मुख्य अभियंता ने बताया कि जीरो से दो सौ आरडी तक तीन वर्ष में रीलाइनिंग कार्य पूरे करने हैं। अन्य कार्य पांच वर्ष में पूरे कर लिए जाएंगे। इस वर्ष करीब १३५ करोड़ रुपए से नहरों के मरम्मत के कार्य चल रहे हैं। गत दिनों मरम्मत प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय जल आयोग ने करीब तीन हजार करोड़ की मंजूरी दी थी। इसके बाद नहरों की स्थिति सुधारने का काम चल रहा है। पांच वर्ष बाद प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इंदिरागांधी नहर में तय रेग्यूलेशन के अनुसार पानी चलाना संभव होगा। वर्तमान में कई जगह नहर के क्षतिग्रस्त होने के कारण तय शेयर के जितना पानी चलाने में दिक्कतें आती है। इंदिरागांधी नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर सहित प्रदेश के करीब दस जिलों को पानी मिलता है।
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