हनुमानगढ़ जिला प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में 156071 लोगों के लॉकडाउन से प्रभावित होने का अनुमान लगाया है। इसी तरह शहरी क्षेत्र मेें 34446 परिवारों को शामिल किया है। इनको चरणबद्ध तरीके से राशन वितरण को लेकर सरकार स्तर पर प्लानिंग की जा रही है। इसमें तीन जून तक जिले में ग्रामीण क्षेत्र के 1307 व शहरी क्षेत्र के 495 प्रवासी लोगों चयन किया गया है। इनको राशन वितरित करने की तैयारी तेज कर दी गई है।
-जिले में खाद्य सुरक्षा सूची से वंचित पौने दो लाख लोगों के लॉकडाउन प्रभावित होने का अनुमान है।
-हनुमानगढ़ जिले में कुल 681 राशन डिपो संचालित हैं।
-02 लाख 64 हजार परिवार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े हैं।
-हनुमानगढ़ जिले में कुल 5 लाख 20 हजार परिवारों के राशन कार्ड बने हैं।
-लॉकडाउन में पीएम गरीब कल्याण योजना में करीब 5000 एमटी का विशेष आवंटन हो रहा है।
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पवित्र प्रयासों की जरूरत
बाहरी राज्यों व जिलों से हनुमानगढ़ आने के लिए करीब बारह हजार लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है। वहीं स्थानीय स्तर पर हजारों परिवार लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए हैं। इन परिवारों की जिंदगी को पटरी पर लाना सरकार का दायित्व ही नहीं इस वक्त बड़ी प्राथमिकता भी होनी चाहिए। इन परिवारों का भौतिक सत्यापन कर इन्हें नि:शुल्क राशन उपलब्ध करवाने का निर्णय सराहनीय है। इसमें प्रति परिवार पांच किलो गेहूं व एक किलो साबुत चने का वितरण सरकार जल्द करने जा रही है। मगर बेहतर होता कि सरकार दाल मिलों से अनुबंध करवाकर इसे पिसवा कर वितरित करवाती। इससे मुसीबत में फंसे लोगों को कम से कम दाल-रोटी तो नसीब होती। साथ ही दाल मिलो में इसी बहाने कुछ श्रमिकों को रोजगार भी मिल जाता। प्रवासियों की इतनी फिक्र जब सरकार कर ही रही है तो उसे नि:शुल्क राशन में गेहूं, चना के साथ चीनी व मसाले को भी शामिल करना चाहिए। संकट की घड़ी में उम्मीद कर सकते हैं कि राहत के नाम पर किसी तरह की खानापूर्ति नहीं हो। कृषि प्रधान राष्ट्र में इस वक्त इतना खाद्यान तो उत्पन्न हो रहा है कि पूरे देश का पेट भरा जा सके। हां इसके लिए सरकार को पवित्र प्रयास करने होंगे।