छह सौ साल पुराने गांव डाभली से बना डबलीराठान
हनुमानगढ़Published: Aug 16, 2023 12:20:25 pm
आओ गांव चलें: छह सौ साल पुराने गांव डाभली से बना डबलीराठान
माणेखां ने डाला था सबसे पहले यहां डेरा, अब रहते हैं कई जाति, धर्मों के लोग, अनेकता में नजर आती है एकता


छह सौ साल पुराने गांव डाभली से बना डबलीराठान
डबलीराठान. डाभली नाम से शुरू हुए हनुमानगढ़ जिले के गांव को डबलीराठान के नाम से पहचान बनाने में लम्बा सफर तय करना पड़ा था। इसके लिए ग्राम पंचायत के पूर्व सचिव एवं दो बार रहे उप सरपंच दिवंगत दीवान चंद अरोड़ा की अथक मेहनत को जाता है। 1989 में पंच रहे अशोक गुम्बर एवं अन्य बुजुर्ग बताते हैं कि किसी जमाने इसे डाभली के नाम से जाना जाता था लेकिन बोलचाल की भाषा में इसे डभली फिर ढबली एवं डबली फिर राठों का वाली डबली, वर्तमान में डबलीराठान इसका नाम हो गया। विभिन्न जाति धर्मों के लोग इस कस्बेनुमा गांव में निवास करते हैं। कस्बा विविधता में एकता तथा ऐतिहासिक घटनाक्रमों को भी अपने आंचल में समेटे हुए है। कहा जाता है कि करीब छह सौ साल पहले पंजाब के मुक्तसर तहसील क्षेत्र से माणे खां के नेतृत्व में आए मुस्लिम जत्थे ने यहां अपना पड़ाव डाला, यहां की अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए यहीं बस गया। वर्ष 1947 में देश विभाजन के दौरान पलायन, विस्थापन, पुनर्वास के दौर में कई जातियों के लोग यहां के वाशिंदे होते गए। राठ मुसलमानों के वर्चस्व के कारण डबली नाम के साथ राठान शब्द जुड़ा। वर्तमान में कुम्हार, अरोड़ा, मुसलमान, बावरी, रायसिख, राजपूत, ओड राजपूत, जाट, मेघवाल, नाई, जटसिख, सुनार, ब्राहम्ण, लुहार,नायक, मजहबी, रामदासिया सहित कई जाति एवं धर्मों के लोग निवास करते हुए विविधता में एकता का दर्शन कराते हैंं। इस गांव के 52 कुएं यहां की अनमोल धरोहर थे। जो दशकों तक इलाके की प्यास बुझाते रहे। नहरी पानी एवं वाटर वक्र्स के दौर से कुओं के रखरखाव की तरफ ध्यान नहीं देने पर लगभग सभी कुएं लुप्त हो गए हैं। इनमें से दो कुएं अपने अस्तित्व की अंतिम सांसें ले रहे हैं।