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जाहरवीर के दर पर छलक रहे जाम, कलयुगी श्रद्धा खूब बिकवा रही सुरा

locationहनुमानगढ़Published: Aug 26, 2019 12:38:49 pm

Submitted by:

adrish khan

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हनुमानगढ़. जाहरवीर गोगाजी के दर पर खूब जाम छलकाए जा रहे हैं। कलयुगी श्रद्धा ने गोगामेड़ी में पिछले कुछ बरस में शराब की दुकानें पांच गुणा बढ़ा दी है। सरकारी तंत्र राजस्व के चक्कर में चुप बैठा है। ऐसे में धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की पाबंदी को लेकर की गई चोपड़ा आयोग की सिफारिशें धूल फांक रही हैं। मेले के दौरान गोगामेड़ी में शराब की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी तथा दुकानों को पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तक स्थानांतरित करने की सिफारिश चोपड़ा आयोग ने की थी। लेकिन इन सिफारिशों पर ध्यान देकर उनको लागू करने का समय किसी सरकार के पास नहीं है।

जाहरवीर के दर पर छलक रहे जाम, कलयुगी श्रद्धा खूब बिकवा रही सुरा

जाहरवीर के दर पर छलक रहे जाम, कलयुगी श्रद्धा खूब बिकवा रही सुरा

जाहरवीर के दर पर छलक रहे जाम, कलयुगी श्रद्धा खूब बिकवा रही सुरा
– गोगामेड़ी मेले में शराब की बिक्री पर पाबंदी संबंधी चोपड़ा आयोग की सिफारिशें रद्दी में
– मेले में एक से बढ़कर पांच हुई शराब की दुकानें
हनुमानगढ़. जाहरवीर गोगाजी के दर पर खूब जाम छलकाए जा रहे हैं। कलयुगी श्रद्धा ने गोगामेड़ी में पिछले कुछ बरस में शराब की दुकानें पांच गुणा बढ़ा दी है। सरकारी तंत्र राजस्व के चक्कर में चुप बैठा है। ऐसे में धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की पाबंदी को लेकर की गई चोपड़ा आयोग की सिफारिशें धूल फांक रही हैं। मेले के दौरान गोगामेड़ी में शराब की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी तथा दुकानों को पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तक स्थानांतरित करने की सिफारिश चोपड़ा आयोग ने की थी। लेकिन इन सिफारिशों पर ध्यान देकर उनको लागू करने का समय किसी सरकार के पास नहीं है। पिछले चार-पांच साल में गोगामेड़ी में शराब की दुकानों के राजस्व में करीब 70 लाख रुपए तक की बढ़ोतरी की जा चुकी है। मतलब निरंतर शराब की बिक्री बढ़ती जा रही है।
बड़ी बात यह है कि मेले में करीब छह साल पहले कई यात्रियों की मौत हुई थी। इसका एक वजह यह भी मानी गई थी कि उन यात्रियों ने डटकर शराब का सेवन कर रखा था। ***** माह में अत्यधिक उमस में लगने वाले इस मेले में जब उनको पानी नहीं मिला तो मौत हो गई। ऐसा कमोबेश हर साल होता है। लेकिन प्रशासन व सरकारलीपापोती कर पिंड छुड़ा लेता है। नोहर व भादरा क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठन मेले के दौरान शराब की बिक्री पाबंदी की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं। मगर उनकी बात अब तक सरकार के कानों तक नहीं पहुंची है। या फिर सुनकर भी अनसुना किया जा रहा है।
किसी ने नहीं माना
प्रदेश के विभिन्न धार्मिक मेलों की व्यवस्था जांचने तथा उनमें सुधार के लिए गठित चोपड़ा आयोग की 16 सदस्यीय टीम ने 26 अगस्त 2009 को गोगामेड़ी का दौरा किया। आयोग ने रिपोर्ट में कहा था कि गोगामेड़ी में आबकारी विभाग की पांच शराब की दुकानें ठेके पर दी हुई है। मेला क्षेत्र में शराब की दुकानें होने के कारण रोज दर्जनों लोग शराब पीकर हुड़दंग व मारपीट करते हैं। इससे मेले का माहौल दूषित होता है तथा कानून व्यवस्था भी बिगड़ जाती है। आबकारी विभाग राजस्व का हवाला देकर दुकानें बंद करना नहीं चाहता। मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसलिए मेले के दौरान शराब की दुकानें बंद करवाई जानी चाहिए। अगर दुकानें खोलनी ही हैं तो मेला क्षेत्र से पांच किलोमीटर दूर खुलवाई जाए। पांच किलोमीटर के एरिया में शराब बिक्री पर पूर्णत: पाबंदी लगे। आयोग ने पिछली कांग्रेस सरकार को रिपोर्ट सौंप दी। इसे सरकार ने एक बार भी उठाकर नहीं देखा। इस आयोग का गठन वसुंधरा सरकार ने जोधपुर में मेहरानगढ़ दुखान्तिका के बाद 30 सितम्बर 2008 को किया था। इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति जसराज चोपड़ा को बनाया गया था। मगर आयोग की सिफारिशों पर भाजपा व कांग्रेस किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया।
पड़ी डांट, नहीं की हिम्मत
वर्ष 2005 में तत्कालीन जिला कलक्टर टी रविकांत तथा एसपी विनीता ठाकुर ने मेले के दौरान एक माह तक गोगामेड़ी मंदिर क्षेत्र में शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने का प्रयास किया था। आबकारी विभाग ने इससे 75 लाख रुपए के राजस्व की चपत लगने की बात उच्चाधिकारियों तक पहुंचा दी। इसके बाद पुलिस व प्रशासन के उच्चाधिकारियों ने एसपी व कलक्टर को फटकार लगाई। उसके बाद किसी अधिकारी ने ऐसा प्रयास नहीं किया।
रोक नहीं सकते, खूब बेचो
गोगामेड़ी मेले में शराब बिक्री पर पाबंदी के खिलाफ आबकारी विभाग के तर्क हैं कि इससे लगभग सवा दो करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा। इसके अलावा शराब पाबंदी के कारण मेले में अवैध रूप से हरियाणा निर्मित शराब की बिक्री होगी। इन तर्कों का सहारा लेकर आबकारी विभाग मेले के दौरान पांच दुकानें ठेके पर देता है। सूत्रों के अनुसार इन दुकानों पर रात आठ बजे बाद भी धड़ल्ले से शराब बिकती है। यह सब आबकारी पुलिस की मौन सहमति से होता है। मेले के दौरान रात को बड़ी आसानी से शराब मुहैया हो जाती है।
पहले एक, अब पांच
जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में मेले के दौरान शराब की केवल एक ही दुकान चलती थी। अब यह संख्या बढ़कर पांच तक जा पहुंची है। पिछले पांच साल की बात करें तो राजस्व लक्ष्य भी 70 लाख रुपए से अधिक बढ़ा दिया गया है। भविष्य में इस संख्या में और इजाफा हो जाए, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
लगे पाबंदी
मेले में हर साल शराब पीने व उमस के कारण कई यात्रियों की मौत होती है। नोहर रिलीफ सोसायटी उनका अंतिम संस्कार कराती है। मेला क्षेत्र में शराब की बिक्री पर पूर्णत: पाबंदी लगनी चाहिए। – ओमप्रकाश चौधरी, सदस्य नोहर रिलीफ सोसायटी।
नहीं बिके शराब
गोगामेड़ी श्रद्धा का बड़ा केन्द्र है। चोपड़ा आयोग की सिफारिशों के अनुसार मेला परिसर में पांच किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं होनी चाहिए। इस मुद्दे को स्थानीय जन प्रतिनिधियों को जोर-शोर से उठाना चाहिए ताकि मेला क्षेत्र में शराब की बिक्री पर पाबंदी लग सके। – महंत रूपनाथ, अध्यक्ष, धूणा प्रन्यास गोरखटीला ट्रस्ट।
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