180 सजेरियन, इसलिए नहीं कोई आता
जिला अस्पताल में प्रतिमाह 180 के करीब सिजेरियन किए जाने का रिकार्ड है। लैबर रूम में बेहतर सेवाएं के लिए राज्य सरकार की लक्ष्य योजना के तहत जिला अस्पताल अव्वल भी आ चुका है। इसके अलावा 570 के करीब प्रतिमाह साधारण प्रसव होने का आंकड़ा वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज है। वार्षिक 1232 सजेरियन करने का आंकड़ा दर्ज है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के ुअनुसार जिला अस्पताल में चार एमएस गायनी की आवश्यकता है। लेकिन एक ही एमएस गायनी होने के कारण और अत्यधिक कार्यभार होने के कारण यहां अन्य चिकित्सक आने से कतराते हैं।
जिला अस्पताल में प्रतिमाह 180 के करीब सिजेरियन किए जाने का रिकार्ड है। लैबर रूम में बेहतर सेवाएं के लिए राज्य सरकार की लक्ष्य योजना के तहत जिला अस्पताल अव्वल भी आ चुका है। इसके अलावा 570 के करीब प्रतिमाह साधारण प्रसव होने का आंकड़ा वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज है। वार्षिक 1232 सजेरियन करने का आंकड़ा दर्ज है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के ुअनुसार जिला अस्पताल में चार एमएस गायनी की आवश्यकता है। लेकिन एक ही एमएस गायनी होने के कारण और अत्यधिक कार्यभार होने के कारण यहां अन्य चिकित्सक आने से कतराते हैं।
13 करोड़ किए खर्च
मातृत्व व शिशु मृत्यु दर को कम करने व बेहतर इलाज देने के लिए राज्य सरकार ने कई वर्ष पूर्व साढ़े चार करोड़ की लागत से पचास बैड की एमसीएच यूनिट का निर्माण करवाया था। यूनिट में अक्सर 70 से 75 प्रसूताएं भर्ती रहने से अव्यवस्था होती थी। इससे निपटने के लिए अभी हाल ही में साढ़े सात करोड़ की लागत से एमसीएच यूनिट का विस्तार करते हुए निर्माण किया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व में निर्माण की गई एमसीएच यूनिट की मरम्मत के लिए एक करोड़ का बजट का और प्रावधान तैयार किया है। 13 करोड़ खर्च होने के बावजूद चिकित्सक के अभाव में जिले के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा।
मातृत्व व शिशु मृत्यु दर को कम करने व बेहतर इलाज देने के लिए राज्य सरकार ने कई वर्ष पूर्व साढ़े चार करोड़ की लागत से पचास बैड की एमसीएच यूनिट का निर्माण करवाया था। यूनिट में अक्सर 70 से 75 प्रसूताएं भर्ती रहने से अव्यवस्था होती थी। इससे निपटने के लिए अभी हाल ही में साढ़े सात करोड़ की लागत से एमसीएच यूनिट का विस्तार करते हुए निर्माण किया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व में निर्माण की गई एमसीएच यूनिट की मरम्मत के लिए एक करोड़ का बजट का और प्रावधान तैयार किया है। 13 करोड़ खर्च होने के बावजूद चिकित्सक के अभाव में जिले के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा।
68 दिन तक एक ही थी चिकित्सक
नागरिकों की शिकायतों के चलते राज्य सरकार ने जिला अस्पताल में 29 अगस्त को एमएस गायनी डॉ. चावला का तबादला कर दिया गया था। इनकी जगह पर राज्य सरकार ने किसी भी एमएस गायनी को नहीं लगाया। एक मात्र संविदा पर कार्यरत डॉ. सीमा खीचड़ ने 68 दिन तक सजेरियन किए। हालांकि इनके अवकाश के दिन अस्पताल प्रबंधन निजी अस्पताल के एमएस गायनी की सेवाएं लेता था। इसकी एवज में तीन हजार रुपए प्रति प्रसव के हिसाब से भुगतान भी किया गया। एमसीएच यूनिट में व्यवस्था बिगडऩे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 68 दिन के बाद नोहर से प्रतिनियुक्ति पर जिला अस्पताल में एमएस गायनी को लगाया था।
हायर सैंटर कर रहे रैफर
अब जिला अस्पताल में सिजेरियन की आंशका होने पर प्रसूताओं को बीकानेर पीबीएम में रैफर किया जा रहा है। दरअसल जिले की अन्य तहसीलों के सरकारी अस्पतालों में सजेरियन की जरूरत होने पर जिला अस्पताल में गर्भवती को रैफर किया जाता था। लेकिन अब यहां भी चिकित्सक नहीं होने के कारण एक मात्र विकल्प रैफर करना ही है।
विधायक ने भेज दिया पत्र
विधायक चौधरी विनोद कुमार ने 11 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा कर जिला अस्पताल में दो एमएस गायनी लगाने की मांग की थी। विधायक ने पत्र में लिखा था कि महात्मा गांधी राजकीय चिकित्साल व एमसीएच यूनिट सहित 300 बैड स्वीकृत है। चिकित्सालय में हर माह 500 से अधिक साधारण प्रसव होते हैं और 150 से अधिक प्रसव ऑपरेशन से होते हैं। जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ के 03 पद रिक्त हैं। लेकिन तीनों पद रिक्त हैं। चिकित्सालय में कम से कम दो स्त्री रोग विशेषज्ञ लगाने का आग्रह किया था।इस पत्र को दिए हुए चार दिन बीत चुके हैं। अभी तक राज्य सरकार की ओर से जिला अस्पताल के लिए एमएस गायनी की व्यवस्था नहीं की गई है।
विधायक चौधरी विनोद कुमार ने 11 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा कर जिला अस्पताल में दो एमएस गायनी लगाने की मांग की थी। विधायक ने पत्र में लिखा था कि महात्मा गांधी राजकीय चिकित्साल व एमसीएच यूनिट सहित 300 बैड स्वीकृत है। चिकित्सालय में हर माह 500 से अधिक साधारण प्रसव होते हैं और 150 से अधिक प्रसव ऑपरेशन से होते हैं। जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ के 03 पद रिक्त हैं। लेकिन तीनों पद रिक्त हैं। चिकित्सालय में कम से कम दो स्त्री रोग विशेषज्ञ लगाने का आग्रह किया था।इस पत्र को दिए हुए चार दिन बीत चुके हैं। अभी तक राज्य सरकार की ओर से जिला अस्पताल के लिए एमएस गायनी की व्यवस्था नहीं की गई है।