हनुमानगढ़

सिजेरियन वार्ड में लटका ताला, यूनिट पर ताला लगने की कगार पर

सिजेरियन वार्ड में लटका ताला, यूनिट पर ताला लगने की कगार पर – निजी अस्पतालों में भटकने को मजबूर हुई जननी
हनुमानगढ़. जिला अस्पताल में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण एमसीएच यूनिट के सिजेरियन वार्ड पर ताला लग चुका है।

हनुमानगढ़Feb 17, 2020 / 12:13 pm

Anurag thareja

सिजेरियन वार्ड में लटका ताला, यूनिट पर ताला लगने की कगार पर


सिजेरियन वार्ड में लटका ताला, यूनिट पर ताला लगने की कगार पर
– निजी अस्पतालों में भटकने को मजबूर हुई जननी

हनुमानगढ़. जिला अस्पताल में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण एमसीएच यूनिट के सिजेरियन वार्ड पर ताला लग चुका है। अब पूरी यूनिट में ताला लगने की कगार पर है। हाल यह है कि साधारण प्रसव के वार्ड में भी केवल 16 प्रसूताएं ही भर्ती हैं। जबकि आम तौर पर पचास बैंड की एमसीएच यूनिट में 70 से 75 प्रसूताएं भर्ती रहती थी। यूनिट के दोनों वार्ड में प्रसूता की संख्या अधिक होने के कारण एक बैड पर दो-दो प्रसूता भर्ती रहती थी या फिर बैड की कमी के चलते टेबल पर प्रसूता को भर्ती किया जाता था। लेकिन अब जिला अस्पताल में एक भी भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण अब गर्भवती को निजी अस्पतालों में सिजेरियन करवाना पड़ रहा है। इसके लिए निजी अस्पतालों की ओर से सर्जरी पर करीब 20 से 30 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। गौरतलब है कि गत सोमवार को जिला अस्पताल में एक मात्र नोहर से प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत एमएस गायनी डॉ. संगीता का आदेश निरस्त किया गया, इससे पूर्व डॉ. सीमा खीचड़ मातृत्व अवकाश पर चल रही है और श्रीगंगानगर जिला अस्पताल से हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में लगाए गए एमएस गायनी डॉ. मुकेश स्वामी ने अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। ऐसे में राज्य व केन्द्र स्तर पर पहचान बनाने वाले अस्पताल में गर्भवती को सर्जरी की सुविधा नहीं मिल पा रही। चिकित्सक नहीं होने के कारण अब साधारण प्रसव कराने के लिए लोग जिला अस्पताल में आने से कतराने लगे हैं।
180 सजेरियन, इसलिए नहीं कोई आता
जिला अस्पताल में प्रतिमाह 180 के करीब सिजेरियन किए जाने का रिकार्ड है। लैबर रूम में बेहतर सेवाएं के लिए राज्य सरकार की लक्ष्य योजना के तहत जिला अस्पताल अव्वल भी आ चुका है। इसके अलावा 570 के करीब प्रतिमाह साधारण प्रसव होने का आंकड़ा वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज है। वार्षिक 1232 सजेरियन करने का आंकड़ा दर्ज है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के ुअनुसार जिला अस्पताल में चार एमएस गायनी की आवश्यकता है। लेकिन एक ही एमएस गायनी होने के कारण और अत्यधिक कार्यभार होने के कारण यहां अन्य चिकित्सक आने से कतराते हैं।
13 करोड़ किए खर्च
मातृत्व व शिशु मृत्यु दर को कम करने व बेहतर इलाज देने के लिए राज्य सरकार ने कई वर्ष पूर्व साढ़े चार करोड़ की लागत से पचास बैड की एमसीएच यूनिट का निर्माण करवाया था। यूनिट में अक्सर 70 से 75 प्रसूताएं भर्ती रहने से अव्यवस्था होती थी। इससे निपटने के लिए अभी हाल ही में साढ़े सात करोड़ की लागत से एमसीएच यूनिट का विस्तार करते हुए निर्माण किया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व में निर्माण की गई एमसीएच यूनिट की मरम्मत के लिए एक करोड़ का बजट का और प्रावधान तैयार किया है। 13 करोड़ खर्च होने के बावजूद चिकित्सक के अभाव में जिले के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा।

68 दिन तक एक ही थी चिकित्सक
नागरिकों की शिकायतों के चलते राज्य सरकार ने जिला अस्पताल में 29 अगस्त को एमएस गायनी डॉ. चावला का तबादला कर दिया गया था। इनकी जगह पर राज्य सरकार ने किसी भी एमएस गायनी को नहीं लगाया। एक मात्र संविदा पर कार्यरत डॉ. सीमा खीचड़ ने 68 दिन तक सजेरियन किए। हालांकि इनके अवकाश के दिन अस्पताल प्रबंधन निजी अस्पताल के एमएस गायनी की सेवाएं लेता था। इसकी एवज में तीन हजार रुपए प्रति प्रसव के हिसाब से भुगतान भी किया गया। एमसीएच यूनिट में व्यवस्था बिगडऩे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 68 दिन के बाद नोहर से प्रतिनियुक्ति पर जिला अस्पताल में एमएस गायनी को लगाया था।

हायर सैंटर कर रहे रैफर
अब जिला अस्पताल में सिजेरियन की आंशका होने पर प्रसूताओं को बीकानेर पीबीएम में रैफर किया जा रहा है। दरअसल जिले की अन्य तहसीलों के सरकारी अस्पतालों में सजेरियन की जरूरत होने पर जिला अस्पताल में गर्भवती को रैफर किया जाता था। लेकिन अब यहां भी चिकित्सक नहीं होने के कारण एक मात्र विकल्प रैफर करना ही है।
विधायक ने भेज दिया पत्र
विधायक चौधरी विनोद कुमार ने 11 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा कर जिला अस्पताल में दो एमएस गायनी लगाने की मांग की थी। विधायक ने पत्र में लिखा था कि महात्मा गांधी राजकीय चिकित्साल व एमसीएच यूनिट सहित 300 बैड स्वीकृत है। चिकित्सालय में हर माह 500 से अधिक साधारण प्रसव होते हैं और 150 से अधिक प्रसव ऑपरेशन से होते हैं। जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ के 03 पद रिक्त हैं। लेकिन तीनों पद रिक्त हैं। चिकित्सालय में कम से कम दो स्त्री रोग विशेषज्ञ लगाने का आग्रह किया था।इस पत्र को दिए हुए चार दिन बीत चुके हैं। अभी तक राज्य सरकार की ओर से जिला अस्पताल के लिए एमएस गायनी की व्यवस्था नहीं की गई है।

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