गुरुवार को करवाई थी गुमशुदगी दर्ज, मिला संत का शव मौके पर मौजूद सरपंच मक्खनराम, पूर्व सरपंच बलवीरसिंह, अमरपालसिंह, राजेंद्र, गुरमेलसिंह, पप्पूराम व पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार संत मोहननाथ का डेरा करीब 40 साल पुराना है। जो गांव नुकेरा, दीनगढ़ व संतपुरा के मध्य 3 एएमपी (बी) ढाणी में है। यहां कथा-कीर्तन व भंडारे होते रहते हैं। संत सेवादारों के यहां कथा-कीर्तन करने के लिए भी बाहर जाते रहे हैं। नाथ संप्रदाय के गद्दीनशीन संत अक्कलनाथ (70) डेरा संभाल रहे थे। वे शादीशुदा थे। उनका परिवार श्रीगंगानगर में रहता है। वे परिवार को छोड़ संत बन गए थे और भिक्षाटन करते थे। समय-समय पर मोबाइल पर परिवार से बात होती रहती थी।
सेवादार के साथ मुंबई जाने की बात कही 12 जुलाई को नोखा (बीकानेर) से डेरे में संत वापिस आए थे। तब उनके साथ नुकेरा गांववासी चेला गुरदेवसिंह उर्फ देव (40) पुत्र जीतसिंह था। सुबह भंडारा होना था। लोगों ने जब पूछा संत कहां है तो सिरसा चले जाने की बात कही। लेकिन जब परिजनों ने संत से बात करने की कोशिश की तो उनका मोबाइल बंद मिला। चेले देव से पूछा तो उसने किसी सेवादार के साथ मुंबई जाने की बात कही।
शुक्रवार को पुलिस परिजनों व ग्रामीणों के साथ डेरा पहुंची तो उन्हें एक चारपाई पर साफ चद्दर बिछी दिखी। शक की बिनाह पर चद्दर उठाई तो चारपाई खून से सनी थी। जो सूख चुका था। इस पर डेरा में सर्च ऑप्रेशन शुरु हुआ। करीब तीन बजे डेरे की पिछली दीवार के पास जलावन की लकडिय़ों व बनसटियों के ढेर से उठी बदबू पर जब उन्हें हटाकर देखा तो जगह खुदी हुई सी प्रतीत हुई। मुंह पर कपड़े बांधकर लोगों की मदद से पुलिस ने जगह खुदवाई गई।
सोई हुई अवस्था में हत्या करने की आशंका कुछ देर के प्रयासों से गड्ढे में संत का शव बदहाल स्थिति में बरामद हो गया। शव सात दिन पुराना बताया जा रहा है। संत के सिर पर किसी धारदार हथियार से वार कर सोई हुई अवस्था में हत्या करने की आशंका जताई जा रही है। परिजनों ने चेला देव उर्फ गुरदेवसिंह पर 12 जुलाई की रात ही उनकी हत्या कर फरार होने का आरोप लगाया है। मौके पर डॉ. अरविंद शर्मा व डॉ. बलवंत गुप्ता की टीम ने आकर सायं 6 बजे पोस्टमॉर्ट्म कर शव परिजनों को सौंपा। मामले में रिपोर्ट आने के बाद खुलासा हो सकेगा।