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नहरबंदी को भाखड़ा क्षेत्र के किसानों ने एक सप्ताह आगे बढ़ाने की मांग की

locationहनुमानगढ़Published: Mar 15, 2019 06:22:38 pm

Submitted by:

Purushottam Jha

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नहरबंदी को भाखड़ा क्षेत्र के किसानों ने एक सप्ताह आगे बढ़ाने की मांग की

हनुमानगढ़ जिले में २५ मार्च से २५ अप्रेल तक हो रही नहरबंदी को भाखड़ा क्षेत्र के किसानों ने एक सप्ताह आगे बढ़ाने की मांग की है। मांग न माने जाने पर किसानों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। शुक्रवार को इस सम्बन्ध में भाखड़ा क्षेत्र के किसानों ने जल संसाधन उत्तर खण्ड हनुमानगढ़ के मुख्य अभियन्ता विनोद मित्तल का घेराव किया। किसानों ने मुख्य अभियन्ता से कहा कि अगर नहरबंदी को एक सप्ताह आगे खिसका दिया जाए तो इससे उनकी गेहूं की फसल पककर बर्बाद होने से बच जाएगी। लेकिन मुख्य अभियन्ता ने कहा कि किसी भी हालत में नहरबंदी आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं है। इस पर किसानों ने अल्टीमेटम दिया कि वे गांवों में जाकर किसान को जागरूक करेंगे तथा पानी लेने के लिए हजारों की तादाद में एकत्रित होकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों का घेराव करेंगे। इससे पहले भाखड़ा संघर्ष समिति के बैनर तले मुख्य अभियन्ता विनोद मित्तल का घेराव कर रहे किसानों की अगुवाई कर रहे समिति अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप सिंह ढिल्लों सादुलशहर ने बताया कि सिंचाई विभाग की ओर से २५ मार्च से भाखड़ा की नहरों में नहरबंदी की जा रही है। लेकिन अभी फसलों को एक सप्ताह पानी की और जरूरत है। अगर २६ मार्च से ४ अप्रेल तक नहरों में और पानी चलाया जाए तो गेहूं की फसल बर्बाद नहीं होगी। इस पर मुख्य अभियन्ता विनोद मित्तल ने बताया कि रेग्यूलेशन पूर्व में ही निर्धारित है। उसी के हिसाब से किसानों को २६ मार्च तक पूरा पानी दिया जा रहा है। नहरबंदी को लेकर राजस्थान-पंजाब ने मिलकर संयुक्त समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। फसलों के बिजान के कारण पंजाब नहरबंदी आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण नहरबंदी को आगे बढ़ाना नामुमकिन है। साथ ही यह भी कहा कि हर वर्ष क्लोजर लिया जाता है। उसी हिसाब से किसानों को गेहूं का बिजान करना था। नहरबंदी को आगे न बढ़ाए जाने की बात से किसान आक्रोशित हो गए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सिंचाई विभाग व सरकार नहीं चेती और मांग के अनुसार भाखड़ा क्षेत्र के किसानों को एक सप्ताह और पानी नहीं दिया गया तो वे गांव-गांव जाएंगे। किसानों को जागरूक करेंगे तथा एक बारी के कारण खराब हो रही फसल को बचाने के लिए उन्हें जो भी कदम उठाना पड़ा वे उठाएंगे। इसके खिलाफ भाखड़ा का किसान पूरी तैयारी के साथ आंदोलन करेगा।
पहले टरकाया, भीड़ में आए तो १२०० की जगह मिला १७०० क्यूसेक पानी

मुख्य अभियन्ता से हुई वार्ता बेनतीजा रहने के बाद गांव खैरूवाला के पूर्व सरपंच पालाराम ने कहा कि उन्होंने चीफ से बात की कि भाखड़ा की नहरों को २६ मार्च से बंद किया जा रहा है। इस बंदी को ३ अप्रेल तक बढ़ाया जाए ताकि पूरे भाखड़ा क्षेत्र की गेहूं पकाई जा सके। लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी टस से मस नहीं हो रहे। उन्होंने कहा कि हर बार देखा गया है कि जब भी थोड़ी संख्या में किसान पानी की मांग करने आते हैं तो सिंचाई विभाग हर बार यह कहकर टरका देता है कि डैम में पानी नहीं है। लेकिन जब किसान पूरी भीड़ के साथ आता है तो रातोंरात ही डैम भर जाते हैं और किसानों को मांग से अधिक पानी दे दिया जाता है। किसान पानी तो १२०० क्यूसेक मांगते हैं लेकिन भीड़ आने पर १७०० क्यूसेक पानी दे दिया जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पिछली भाजपा सरकार के समय किसान दिसम्बर २०१८ में पानी मांगने आए थे। लेकिन तब भी विभाग ने डैम में पानी कम बताते हुए किसानों को टरका दे दिया। लेकिन किसान गांवों में गए तथा तैयारी कर २० हजार की भीड़ के साथ जिला कलक्ट्रेट का घेराव किया तो रातोंरात १२०० क्यूसेक की जगह १७०० क्यूसेक पानी मिल गया।
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