scriptनिरीक्षण के नाम पर कॉलेज में नहीं कर सकेगा कोई फालतू की पंचायती | No extravagant Panchayati can do in college in the name of inspection | Patrika News

निरीक्षण के नाम पर कॉलेज में नहीं कर सकेगा कोई फालतू की पंचायती

locationहनुमानगढ़Published: Oct 15, 2019 10:40:48 pm

Submitted by:

adrish khan

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/
हनुमानगढ़. निजी महाविद्यालयों को सीटें बढ़वाने के लिए अब बार-बार निरीक्षण कराने की जरूरत नहीं होगी। अगर बीए या एमए में पहले से सीट मंजूर है तो और सीट बढ़वाने के लिए विश्वविद्यालय के निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है। बस, कॉलेज आवेदन करे, विश्वविद्यालय सीट बढ़ोतरी की नियमानुसार कार्यवाही करेगा।

निरीक्षण के नाम पर कॉलेज में नहीं कर सकेगा कोई फालतू की पंचायती

निरीक्षण के नाम पर कॉलेज में नहीं कर सकेगा कोई फालतू की पंचायती

निरीक्षण के नाम पर कॉलेज में नहीं कर सकेगा कोई फालतू की पंचायती
– संवाद कार्यक्रम में बोले एमजीएस विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति
– स्वयंपाठी के तौर पर नहीं होगी बीएससी, कॉलेज को दी जाएगी ग्रेडिंग
हनुमानगढ़. निजी महाविद्यालयों को सीटें बढ़वाने के लिए अब बार-बार निरीक्षण कराने की जरूरत नहीं होगी। अगर बीए या एमए में पहले से सीट मंजूर है तो और सीट बढ़वाने के लिए विश्वविद्यालय के निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है। बस, कॉलेज आवेदन करे, विश्वविद्यालय सीट बढ़ोतरी की नियमानुसार कार्यवाही करेगा। यदि सेक्शन बढ़ाना है या संकाय स्वीकृत कराना है तो निरीक्षण जरूरी होगा। यह निरीक्षण भी केवल संबंधित सेक्शन या संकाय के दृष्टिगत किया जाएगा। अगर बीए से संबंधित निरीक्षण है तो निरीक्षणकर्ता साइंस लैब को लेकर पूछताछ नहीं करेगा।
इस तरह की फालतू की पंचायती अब विश्वविद्यालय ने बंद करवा दी है। एक तरह से इंस्पेक्टर राज से कॉलेज संचालकों को राहत दी गई है। एमजीएस विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति भागीरथ बिजारणिया ने मंगलवार को बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज में आयोजित संवाद कार्यक्रम में यह बात कही। ‘विश्वविद्यालय महाविद्यालयों की ओरÓ अभियान के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में निजी महाविद्यालयों की प्रबंध समिति अध्यक्षों व सचिवों को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि हमारा उद्देश्य जीरो सेशन है। इसका अर्थ है कि एनओसी, शास्ति, सम्बद्धता आदि से जुड़ा कोई प्रकरण बकाया नहीं रहे। सबका 31 दिसम्बर से पहले निस्तारण कर दिया जाए।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय से एक बार निरीक्षण होने के बाद अब बीएड कॉलेजों का निरीक्षण नहीं किया जाएगा। कॉलेज संचालक जिले का नाम रोशन करने के लिए कार्य करें। कॉलेजों को राहत देने के लिए विश्वविद्यालय निरंतर प्रयासरत है। सवा करोड़ रुपए के लगभग शास्ति विश्वविद्यालय ने माफ की है। जहां तक हम नहीं फंसे और हमारा स्टाफ नहीं फंसे, उस हद तक व्यावहारिकता के नाते प्रकरणों का निस्तारण करने का प्रयास कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ. बि_ल बिस्सा ने अब तक किसी भी विश्वविद्यालय ने परीक्षा कैलेंडर जारी नहीं किया है। यह केवल एमजीएस विश्वविद्यालय ने किया है। हमसे पहले किसी विश्वविद्यालय का परिणाम जारी नहीं हुआ। कई विश्वविद्यालय तो अभी भी गत सत्र की परीक्षा कराने में ही व्यस्त हैं। इससे पूर्व बेबी हैप्पी कॉलेज के निदेशक तरुण विजय व अध्यक्ष आशीष विजय ने कुलपति तथा उप कुलसचिव का अभिनंदन कर उनको स्मृति चिह्न सौंपा। इस मौके पर कॉलेज एसोसिएशन जिलाध्यक्ष दारा सिंह, गौरीशंकर स्याग, जन कल्याण समिति अध्यक्ष गणेश बंसल आदि मौजूद रहे।
लागू होगा कॉलेज ग्रेडिंग सिस्टम
उप कुलसचिव डॉ. बिस्सा ने कहा कि जल्दी ही विश्वविद्यालय अपने अधीन सभी कॉलेजों की ग्रेडिंग जारी करेगा। इससे अच्छा कार्य करने वाले कॉलेज प्रोत्साहित होंगे। विद्यार्थी भी यह जान सकेंगे कि कौनसे कॉलेज का क्या स्तर है। इससे वह किसी भ्रम में नहीं रहेंगे।
अब नहीं कोई स्वयंपाठी
कुलपति ने कहा कि अब विश्वविद्यालय के किसी कॉलेज से विज्ञान संकाय तथा प्रायोगिक परीक्षा वाले विषय से स्वयंपाठी के तौर पर कोई पढ़ाई नहीं कर सकेगा। इनमें केवल नियमित विद्यार्थी के तौर पर ही अध्ययन किया जा सकेगा।
कॉलेज संचालकों को ज्ञान व आदेश
– विश्वविद्यालय अब कम्प्यूटर की फीस अलग से निजी कॉलेजों से नहीं वसूलेगा।
– 31 दिसम्बर तक कॉलेज संचालकों को खुद की जमीन व भवन को लेकर जमा करानी होगी एनओसी। इसके अभाव में नहीं मिलेगी सम्बद्धता।
– सम्बद्धता के बिना जहां परीक्षा सेंटर मंजूर है, वह सही नहीं है। जल्द संबंधित कॉलेज इसका निस्तारण करवाए।
– एडोमेंट फंड पांच लाख तय। बार-बार अलग पाठ्यक्रम के लिए एफडीआर की नहीं होगी जरूरत।
– यदि किसी की पांच लाख से ज्यादा की है एफडीआर तो विश्वविद्यालय वापस लौटा देगा राशि।
– सम्बद्धता शुल्क 31 दिसम्बर तक ऑनलाइन पोर्टल पर होगा जमा।
– शास्ति लगाकर कमाई करना विश्वविद्यालय का नहीं उद्देश्य।
– जितनी सीटें मंजूर, उतने पर दो प्रवेश। पेनल्टी लगवा कर प्रवेश देने की ना सोचें। कॉलेज की छवि होगी खराब।
– कॉलेज संचालक अपने शिक्षकों आदि को सम्मानजनक वेतन, भत्ते दे।
– सभी कॉलेज अपनी वेबसाइट बनाए ताकि दस्तावेज लेने में आसानी हो। विद्यार्थी भी सहजता से कॉलेज के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। स्थाई ईमेल आईडी बनवाए।
– तीन साल का पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय ने वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो