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जीपीएस रिपोर्ट पर नहीं, पर्ची में लिखे वजन को देख कर रहे भुगतान

locationहनुमानगढ़Published: Apr 22, 2019 12:12:29 pm

Submitted by:

Anurag thareja

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जीपीएस रिपोर्ट पर नहीं, पर्ची में लिखे वजन को देख कर रहे भुगतान

जीपीएस रिपोर्ट पर नहीं, पर्ची में लिखे वजन को देख कर रहे भुगतान

जीपीएस रिपोर्ट पर नहीं, पर्ची में लिखे वजन को देख कर रहे भुगतान
कचरा परिवहन वाहनों पर खराब जीपीएस को सही कराने के लिए नगर परिषद ने नहीं की कोई कार्रवाई
हनुमानगढ़. डेढ़ करोड़ की गड़बड़ी को रोकने के लिए लगाए गए जीपीएस कई समय से बंद पड़े हैं। इन्हें ठीक कराने के लिए नगर परिषद ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि कचरा संग्रहण में हेरा-फेरी को रोकने के लिए जीपीएस की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद कई समय से कचरा संग्रहण वाहनों पर लगे जीपीएस खराब पड़े हंै। इन्हें ठीक कराने के लिए कंपनी को एक-दो बार पत्र भी लिखा। लेकिन परिषद के कर्मचारियों ने आगामी कोई कार्रवाई नहीं की। लिहाजा जीपीएस टैक्नोलोजी खराब होने के कारण कचरा संग्रहण करने वाले वाहनों को कांटे की पर्ची में लिखे वजन के आधार पर भुगतान किया जा रहा है। जबकि स्वायत्त शासन विभाग ने इस तरह के भुगतान करने पर पाबंदी लगाते हुए जीपीएस की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान करने के निर्देश दिए थे। नए नियमों को इसलिए लागू किया गया था कि क्योंकि लगातार शिकायतें आ रही थी कि कचरा संग्रहण के दौरान वाहन ट्राली जल्दी भरने के लिए वार्ड में कचरे की जगह घरों के आगे मलबा उठाते हैं। इसकी एवज में मकान मालिक से पैसे भी लेते हैं और कचरे के उठाव नहीं होने पर नगर परिषद को चूना भी लगाते हैं। इसमें पारदर्शिता लाने के लिए डीएलबी ने सभी कचरा वाहनों पर जीपीएस लगाने की गाइडलाइन जारी की थी। उल्लेखनीय है कि हनुमानगढ़ नगर परिषद में फरवरी २०१८ में साढ़े चार लाख की लागत से लगे वाहनों पर सीपीएस तीन माह बाद ही ठप हो गया था। उसके बाद से अब तक इस व्यवस्था को ठीक करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
इस तरह होंता है कचरे का उठाव
शहर में नगर परिषद की ओर से १७ आटो टीपर व ४५ वार्डों में ठेका पद्धति से १७ ट्रैक्टर-ट्राली के माध्यम से कचरे का उठाव किया जाता है। इसमें प्रतिदिन एक ट्रैक्टर को दो कचरे की भरी ट्राली को अबोहर बाइपास स्थित कचरा स्थल पर डालना होता है। नगर परिषद प्रति ट्राली कचरे के लिए ९०० रुपए प्रतिदिन का भुगतान कर रही है। नगर परिषद के अनुसार टाउन व जंक्शन के निर्धारित धर्मकांटा पर कचरा तुलवाने के लिए नगर परिषद के एक-एक कर्मचारी की ड्यूटी रहती है। हालांकि यह कचरा संंबंधित वार्डों से लाया गया या नहीं। कचरे के नीचे मलबा या ईंटें तो नहीं, इसके बारे में नगर परिषद के पास कोई जानकारी नहीं होती। कचरा निर्धारित स्थल से उठाने व वार्डों में एक ट्रैक्ट्रर-ट्राली की ओर से पूरा चक्कर लगाने की पुष्टि जीपीएस से ही संभव है।
इतनी होती है खपत
१७ ऑटो टिप्पर से कचरे का उठाव किया जा रहा है। एक ऑटो टिप्पर में रोजाना ६ लीटर डीजल की खपत होती है और दो कर्मचारियों की ड्यूटी रहती है। अस्थाई कर्मचारी को २८२ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इसी तरह ठेका पद्धति से संचालित १७ ट्रैक्ट्रर-ट्राली ३४ ट्राली कचरे का उठाव करती हैं। एक ट्राली कचरे का उठाव करने पर नगर परिषद प्रतिदिन ९०० रुपए का भुगतान करती है। प्रतिदिन करीब ३१००० हजार रुपए में शहर के ४५ वार्डों में कचरे का उठाव नगर परिषद कर रही है।
लिख चुके हैं पत्र
नगर परिषद के स्वच्छता निरीक्षक जगदीश सिराव के अनुसार कचरा संग्रहण के कई वाहनों पर जीपीएस खराब है। इसे ठीक कराने के लिए कंपनी को पत्र लिखा जा चुका है। कचरे के उठाव में गड़बड़ी न हो इसके लिए एक-एक कर्मचारी की ड्यूटी निर्धारित टाउन व जंक्शन के धर्मकांटे पर रहती है।

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