22 माह में केवल साढ़े छह प्रतिशत ही कार्य हो पाया है। जबकि तीस माह में इसे पूरा किया जाना चाहिए था। कंपनी को शहर के 60 वार्डों में 522 किलोमीटर में पेयजल पाइप लाइन डालनी है। अभी तक चार किलोमीटर लाइन ही बिछाई गई है। इसी तरह शहर के चालीस हजार घरों में पेयजल कनेक्शन किए जाने थे। खुंजा की नई सड़कों को उखाड़कर 348 पेयजल कनेक्शन के लिए ही लाइन बिछाई जा चुकी है। घरों को जाने वाली 522 किलोमीटर की मिसिंग पेयजल पाइप लाइन को जोडऩे के लिए 21 किलोमीटर की मुख्य पाइप लाइन बिछाई जानी थी। इसमें से अभी तक करीब 800 मीटर ही पाइप लाइन बिछाई गई है। आरडब्ल्यूआर, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीडब्ल्यूआर की खुदाई का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है।
आरयूआईडीपी ने निर्माण एंजेसी को कार्य में तेजी लाने के लिए 12.5 करोड़ रुपए एडवांस दिए थे। लेकिन कार्य धीमी गति होने के कारण आरयूआईडीपी ने एडवांस दी गई राशि में से साढ़े छह करोड़ रुपए साढ़े छह प्रतिशत हो चुके निर्माण की राशि में से कटौती कर ली। इसके अलावा निर्माण एजेंसी प्रोजेक्ट के डिजाइन में बार-बार बदलाव करने का आरोप भी आरयूआईडीपी पर लगा चुकी है। फरवरी 2018 में निर्माण शुरू हुआ और अप्रेल में पेयजल के लिए नहरी पानी की सप्लाई के लिए सर्वे हुआ। इस कार्य को पूरा करने के लिए आरयूआईडीपी ने संबंधित कंपनी को तीस माह का समय दिया था।
टाउन इलाके में मेगा हाइवे पर भारत माता चौक से भटनेर दुर्ग तक 1200 मीटर में सीवरेज लाइन डालने का कार्य कई वर्षों से लंबित है। कई जगह मिसिंग लिंक का कार्य भी अधूरा पड़ा है। ऐसे में अब टाउन में सीवरेज लाइन का कार्य भी आठ वर्ष से अधर में हैं।
282 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर 17 को वार्ता होगी। इसमें प्रोजेक्ट को फिर से शुरू कराने के लिए ठोस निर्णय लिया जाएगा।
राजेंद्र स्वामी, अधिशासी अभियंता, आरयूआईडीपी