मनरेगा कार्य को जांचने में जिला व पंचायत स्तर के अफसर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके कारण कई जगह मेट सहित अन्य स्टॉफ की जुगलबंदी के चलते मनरेगा योजना में ठेंगा दिखाया जा रहा है। कई जेईएन तो ऐसे हैं जो बरसों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं। स्थिति यह है कि मनरेगा में पात्र श्रमिकों को पूरी मजदूरी का भुगतान क्यों नहीं मिल रहा है, इस सवाल का तार्किक जवाब किसी भी जिम्मेदार अफसर के पास नहीं है।
हनुमानगढ़ जिले में मनरेगा के तहत दो लाख ८२ हजार ५३३ जॉब कॉर्ड बनाए गए हैं। इनमें सितम्बर माह में अभी तक औसतन ६३ हजार श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिले में चालू वर्ष का मनरेगा प्लान १००००.२४ लाख रुपए का है। इसमें श्रम मद में ८०११.९५ लाख व सामग्री मद में १२४४.८९ लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
बदल रहे कार्यक्षेत्र
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मनरेगा की सही मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण भादरा मेें बीडीओ का चार्ज बदला गया है। इसके अलावा सघन अभियान चलाकर कार्य स्थलों को जांचा जा रहा है। मनरेगा में कुल ५० जेईएन लगे हैं। इनमें तीन वर्ष से अधिक समय से एक ही जगह पर जमे जेईएन का कार्य क्षेत्र बदल रहे हैं। निरीक्षण में जिन जगहों पर अनियमितता सामने आई है, वहां पर संबंधित मैट को तत्काल ब्लेक लिस्टेड कर रहे हैं।
कृष्ण चोटिया, जिला प्रमुख, हनुमानगढ़
मनरेगा में कार्यों को जांचने के लिए समय-समय टीमें कार्य स्थलों पर जाती है। हाल ही में जिला स्तर पर आदेश जारी कर पूरे जिले में मनरेगा कार्य स्थलों को जांचने का काम पूरा किया गया है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति का पता चलेगा।
-मदन गोदारा, सहायक अभियंता, जिला परिषद हनुमानगढ़