क्षेत्र में गोबर खाद का उपयोग किसान अब ज्यादा नहीं कर रहे हैं। किसानों का पशुपालन से इतना वास्ता नहीं रहा है। हनुमानगढ़ जिले की मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा औसतन ०.२५ प्रतिशत रही है। जबकि ०.५ प्रतिशत तक होना चाहिए। खेती में जैविक व गोबर खाद का उपयोग कम होने तथा रासायनिक खाद का अधिक उपयोग करने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। जैविक खाद का अधिकाधिक उपयोग करके मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।
कृषि विभाग की ओर से संचालित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला हनुमानगढ़ के प्रभारी गुरसेवक सिंह तूर के अनुसार बीते दिनों लगे प्रशासन गांवों के संग अभियान में कुल ९००० सॉयल हेल्थ कार्ड बांटे गए। इसमें सभी में नाइट्रोजन व जैविक कार्बन की कमी पाई गई है। बीते छह वर्षों में जिले में आठ लाख से अधिक सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं। इनके नमूने जांचने पर जो स्थिति सामने आई है, वह खेती के लिहाज से ठीक नहीं है। इन नमूनों में जैविक कार्बन, पीएच मान, विद्युत चालकता आदि की मात्रा स्थिर नहीं है। जैविक खाद का अधिकतम उपयोग करके ही भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन किसान इसे समझ नहीं रहे। वह लगातार रासायनिक खाद के उपयोग पर जोर दे रहे हैं। जो खेती के लिहाज से भविष्य के लिए काफी चिंताजनक है।