scriptनियमों के पेच में फंसा मूंग का भुगतान | Payment of moong stuck in the rules | Patrika News

नियमों के पेच में फंसा मूंग का भुगतान

locationहनुमानगढ़Published: Nov 09, 2019 09:57:33 am

Submitted by:

Purushottam Jha

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/
हनुमानगढ़. मूंग की सरकारी खरीद में सिस्टम का पेच अडऩे से किसानों का भुगतान अटका हुआ है। हालत यह है कि तुलाई के बाद किसानों को भुगतान किए जाने वाले बिल भी तैयार नहीं हो पा रहे।
 

नियमों के पेच में फंसा मूंग का भुगतान

नियमों के पेच में फंसा मूंग का भुगतान


-जंक्शन मंडी में मूंग की सरकारी खरीद का मामला
………फोटो………
हनुमानगढ़. मूंग की सरकारी खरीद में सिस्टम का पेच अडऩे से किसानों का भुगतान अटका हुआ है। हालत यह है कि तुलाई के बाद किसानों को भुगतान किए जाने वाले बिल भी तैयार नहीं हो पा रहे। जंक्शन मंडी की स्थिति यह है कि धोलीपाल गांव में किसानों को हल्का पटवारी ने गिरदावरी प्रमाण पत्र ही जारी किए हैं। किसानों ने गिरदावरी प्रमाण पत्र के आधार पर ही अपना पंजीयन करवाया है। इस स्थिति में नियमानुसार ई मित्रा से खसरा गिरदावरी को ऑनलाइन करने की स्वीकृति दिलाने को लेकर हनुमानगढ़ क्रय-विक्रय सहकारी समिति के मुख्य व्यवस्थापक बृजलाल जांगू ने सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार को अवगत करवा दिया है। अब विभाग स्तर पर इस संबंध में स्वीकृति मिलने के बाद ही किसानों के बिल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार अमीलाल सहारण ने बताया कि धौलीपाल के किसानों ने जो शिकायत की थी, उस समस्या का समाधान करवाने के लिए राजफेड के एमडी को पत्र भेज दिया गया है। वहां से उम्मीद है जल्द इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। गौरतलब है कि एक नवम्बर को जंक्शन मंडी में मूूंग की सरकारी खरीद जोर-शोर से शुरू करवाई गई थी। इस दौरान अधिकारियों ने मूंग बेचने के लिए आए किसानों को मिठाई खिलाकर सरकारी खरीद शुरू करवाई थी। लेकिन अब नियमों के पेच के चक्कर में किसानों का भुगतान एक सप्ताह से अटका हुआ है। इससे किसानों के चेहरे पर मायसूी छाई हुई है।
यह है समस्या
क्रय विक्रय सहकारी समिति के व्यवस्थापक के अनुसार जंक्शन खरीद केंद्र पर कुछ किसान मूंग बेचने के लिए आए थे। इनके पास जो दस्तावेज थे, उसमें खसरा गिरदावरी में पी-३५ दर्ज था। तथा इनके पास राजस्व विभाग द्वारा जारी गुलाबी/पीली गिरदावरी प्रमाण भी थी। इस पर फसल का पूर्ण विवरण मौजूद है। परंतु ईमित्रा पर पंजीयन के समय खसरा गिरदावरी के स्थान पर केवल गिरदावरी प्रमाण पत्र ही ऑनलाइन किया हुआ है। इस तरह खसरा गिरदावरी ऑनलाइन नहीं होने के कारण क्रय विक्रय सहकारी समिति को बिल बनाने में दिक्कत आ रही है।
आठ मंडियों में खरीद
सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार अमीलाल सहारण ने बताया कि जिले में आठ मंडियों में मूंग की सरकारी खरीद शुरू करवा दी गई है। इनमें खरीद निरंतर जारी है। किसान निर्धारित दस्तावेज लेकर मंडी में अपनी फसल बेच सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ हकीकत यह है कि जंक्शन मंडी में एक नवम्बर को मूंग को सरकारी खरीद शुरू करवाई गई थी। लेकिन बाद में बिल बनाने के दौरान जब दस्तावेज मिलान का काम शुरू किया गया तब गिरदावरी पर्ची व खसरे की समस्या किसानों के समक्ष आ गई। इस समस्या का समाधान करवाने में सभी लगे हुए हैं।
कम रेट में बेचने को मजबूर
मंूग का न्यूनतम समर्थन मूल्य ७०५० रुपए प्रति क्ंिवटल निर्धारित किया गया है। लेकिन वर्तमान में नियमों की पेचदगी के चलते किसान बाजार में व्यापारी को ही कम रेट पर मंूग बेच जा रहे हैं। खरीद व भुगतान के नियमों में पेचीदगी के चलते किसान हैरान व परेशान हो रहे हैं। जंक्शन मंडी में जो हालात कपास की सरकारी खरीद के दौरान बने थे, वही हालात अब मूंग खरीद के दौरान बन गए हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो