क्रय विक्रय सहकारी समिति के व्यवस्थापक के अनुसार जंक्शन खरीद केंद्र पर कुछ किसान मूंग बेचने के लिए आए थे। इनके पास जो दस्तावेज थे, उसमें खसरा गिरदावरी में पी-३५ दर्ज था। तथा इनके पास राजस्व विभाग द्वारा जारी गुलाबी/पीली गिरदावरी प्रमाण भी थी। इस पर फसल का पूर्ण विवरण मौजूद है। परंतु ईमित्रा पर पंजीयन के समय खसरा गिरदावरी के स्थान पर केवल गिरदावरी प्रमाण पत्र ही ऑनलाइन किया हुआ है। इस तरह खसरा गिरदावरी ऑनलाइन नहीं होने के कारण क्रय विक्रय सहकारी समिति को बिल बनाने में दिक्कत आ रही है।
सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार अमीलाल सहारण ने बताया कि जिले में आठ मंडियों में मूंग की सरकारी खरीद शुरू करवा दी गई है। इनमें खरीद निरंतर जारी है। किसान निर्धारित दस्तावेज लेकर मंडी में अपनी फसल बेच सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ हकीकत यह है कि जंक्शन मंडी में एक नवम्बर को मूंग को सरकारी खरीद शुरू करवाई गई थी। लेकिन बाद में बिल बनाने के दौरान जब दस्तावेज मिलान का काम शुरू किया गया तब गिरदावरी पर्ची व खसरे की समस्या किसानों के समक्ष आ गई। इस समस्या का समाधान करवाने में सभी लगे हुए हैं।
मंूग का न्यूनतम समर्थन मूल्य ७०५० रुपए प्रति क्ंिवटल निर्धारित किया गया है। लेकिन वर्तमान में नियमों की पेचदगी के चलते किसान बाजार में व्यापारी को ही कम रेट पर मंूग बेच जा रहे हैं। खरीद व भुगतान के नियमों में पेचीदगी के चलते किसान हैरान व परेशान हो रहे हैं। जंक्शन मंडी में जो हालात कपास की सरकारी खरीद के दौरान बने थे, वही हालात अब मूंग खरीद के दौरान बन गए हैं।