उस समय यूनिट के उपकरणों आदि पर ३० लाख रुपए से अधिक खर्च आ रहा था। इसके बाद चुनाव हुए और कांग्रेस निपट गई। भाजपा ने नए लिफाफे में पुराने माल की कहावत को चरितार्थ करते हुए वर्ष २०१५ में प्रदेश के नौ अस्पतालों में तत्व विभाजक यूनिट स्थापित की घोषणा कर फिर प्रशंसा बटोर ली। इस घोषणा को भी तीन वर्ष हो चुके हैं। अब जाकर इसे शुरू किया
गया है।
ब्लड कंपोनेट प्रिपे्रशन यूनिट में ब्लड से आरबीसी, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, फ्रोजन प्लाज्मा, डब्ल्यूबीसी आदि तत्व अलग कर लिए जाते हैं। फिर रोगी को आवश्यकतानुसार इनमें से कोई तत्व चढ़ाया जाता है। तत्व विभाजन के दौरान खून से प्लाज्मा प्रोटीन भी अलग कर लिया जाता है। इसके बाद किसी भी रोगी पर उस ब्लड का रिएक्शन होने की आशंका खत्म हो जाती है। इसी तरह एमरजेंसी में ब्लड ग्रुप की जांच किए बिना ही रोगी को ‘ओ पॉजीटिव’ ब्लड के आरबीसी दिए जा सकते हैं। इसमें एंटीजन व एंटीबॉडी नहीं होने से शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। एक यूनिट खून कई रोगियों के काम आ जाता है।
चिकित्सकों के अनुसार थैलेसीमिया पीडि़तों को सिर्फ रक्त में लाल कणिकाओं मतलब पैकसेल की ही आवश्यकता होती है। लेकिन तत्व विभाजन के अभाव में थैलेसीमिया रोगियों को ब्लड ही चढ़ाया जाता है। इसमें आरबीसी के साथ-साथ प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, डब्ल्यूबीसी आदि भी होते हैं। जबकि इन तत्वों की उन्हें कतई जरूरत नहीं होती। प्लाज्मा प्रोटीन थैलेसीमिया पीडि़तों के लिए खतरनाक है। जबकि उन्हें तो हर माह खून चढ़ाना पड़ता है। निरंतर प्लाज्मा प्रोटीन चढ़ाने व कम उम्र होने के कारण रोगियों के शरीर पर कई दुष्प्रभाव पडऩे लगते हैं। पैथोलॉजिस्ट हार्ट सर्जरी में रोगी को केवल प्लाज्मा की जरूरत होती है।
उद्घाटन कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष बलबीर बिश्नोई, सभापति राजकुमार हिसारिया, उपसभापति नगीना बाई, पार्षद महादेव भार्गव, अमरसिंह राठौड़, राजेश पंवार, पीएमओ डॉ. दीपक सैनी, डॉ. नजेन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे। पत्रिका अभियान का असर
इस यूनिट में धूंक फांक रहे उपकरण व मशीनों की निकल रही गारंटी अवधि, रोगियों को इसकी जरूरत को लेकर पत्रिका ने पिछले दस माह में सैंकड़ों खबरों को प्रकाशित कर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को जगाने का काम किया। पत्रिका के लगातार अभियान के बाद गाजियाबाद की टीम ने यूनिट का निरीक्षण कर लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू की। गत माह में चिकित्सा विभाग ने लाइसेंस जारी करते हुए यूनिट को शुरू करने की हरी झंडी दी थी। जिसके चलते सोमवार को इसकी शुरूआत की गई।
पीएमओ डॉ. दीपक सैनी ने बताया कि राजकीय अस्पताल में भर्ती के मरीजों के लिए सुविधा निशुल्क रहेगी। सिंगल डोनर प्लैटलेट्स के लिए ७५०० रुपए देने होंगे। जबकि बीकानेर व जयुपर जैसे शहरों इसके लिए दस से पंद्रह हजार रुपए का शुल्क लिया जाता है। इसी तरह निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन को हॉल ह्यूमन ब्लड के लिए १२५०, पैक्ड रेड सेल्स के लिए भी१२५०, प्लाजमा के लिए ४०० व प्लेटलेट्स कंसनट्रेट के लिए भी ४०० रुपए शुल्क देना होगा। डॉ. सैनी ने बताया कि यूनिट का शुरू होना जिले के लिए बड़ी उपलब्धि है, इसका लाभ हनुमानगढ़ जिले को मिलेगा। अब डेंगू रोगियों का इलाज, प्लेटलेट्स व प्लाजमा आदि की सुविधा होने से इलाज यहां संभव हो सकेगा।