विभागीय अधिकारियों के अनुसार पहले भाखड़ा क्षेत्र में औसतन हर किसान के पास २५ बीघा जमीन थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अब औसतन छह बीघा जमीन ही बची है। इस स्थिति में नक्के स्वीकृत करने को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। एक्सईएन ने जो प्रस्ताव बनाया है, उसमें नक्कों का नया नक्शा तैयार करके प्रत्येक मुरब्बे के लिए स्टोन प्वाइंट के अलावा तीसरे किले पर अतिरिक्त नक्के का प्रावधान किया जाकर संशोधित आड का नक्शा स्वीकृत कर करने का जिक्र किया गया है। विभाग की ओर से तैयार किए गए संशोधित प्लान के तहत प्रत्येक मुरब्बे के अंतिम छोर के बीघों के लिए आड की लम्बाई पांच बीघा निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है। इस तरह तीन बीघा की सीधे बचत होगी। ऐसा करने से किसानों के बीच विवाद थमने के साथ ही बेहतर सिंचाई सुविधा मिलने की उम्मीद है। इससे उत्पादन में भी बढ़ोतरी के आसार हैं।
भाखड़ा परियोजना से करीब डेढ़ लाख किसान जुड़े हुए हैं। इसमें अकेले भाखड़ा खंड प्रथम क्षेत्र से ७५ से ८० हजार के करीब किसान जुड़े हुए हैं। इनसे करोड़ों का आबयाना जल संसाधन विभाग को प्राप्त होता है। इस स्थिति में नक्कों की स्वीकृति को लेकर तैयार किया गया प्लान लागू होता है तो क्षेत्र के इन किसानों को काफी लाभ मिलेगा। अभी एक स्वीकृत नक्के के अलावा दूसरा नक्का स्वीकृत करने से पहले संबंधित क्षेत्र के किसानों का पक्ष जाना जाता है। इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लग जाता है। दूसरे नक्के का प्रावधान स्वत: लागू करने पर मांग के अनुसार किसान नक्शे के अनुसार नक्का स्वीकृत करवा सकेंगे। भाखड़ा खंड प्रथम हनुमानगढ़ के एक्सईएन रामाकिशन ने बताया कि मुख्य अभियंता स्तर पर यदि नक्कों का नया प्लान लागू हो जाता है तो निश्चित तौर पर किसानों के बीच विवाद के मामले कम होंगे। साथ ही किसान चिंता और तनाव मुक्त होकर सिंचाई सुविधा प्राप्त कर सकेंगे।