अंतरराज्यीय जल समझौते के तहत रावी व्यास के शेयर में राजस्थान का हिस्सा ८.६ एमएफ निर्धारित किया गया था। जल समझौते के तहत यह तय किया गया था कि रावी व्यास के पानी में से राजस्थान को ८.६ एमएफ पानी मिलेगा। जिस समय समझौता हुआ, उस समय राजस्थान में नहरों को पक्का करने का कार्य चल रहा था। इसलिए नहरों की क्षमता इतनी नहीं थी कि वह इतना पानी ले सके। इसलिए समझौते के तहत यह तय किया गया कि जब तक राजस्थान की नहर पक्की नहीं हो जाती तब तक ०.६ एमएफ पानी का उपयोग पंजाब कर सकता है। कुछ वर्ष बाद नहरों को पक्का करने का कार्य जब पूरा हो गया और राजस्थान ने अपने हिस्से के ०.६ एमएफ पानी पंजाब से मांगा तो पंजाब ने देने से इनकार कर दिया। कुछ समय बाद पंजाब ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर समस्त अंतरराज्यीय जल समझौतों को निरस्त कर दिया। राजस्थान इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट गया तो कोर्ट ने पंजाब की इस हरकत को असंवैधानिक करार देकर मामले को रेफरेंस के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया। अब गेंद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पाले में है।
1981 में पांच राज्यों के बीच हुए जल समझौते के तहत राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा जम्मू-कश्मीर में पेयजल तथा सिंचाई पानी उपलब्ध करवाने के लिए पांचों राज्यों के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक चंडीगढ़ में होती है। बीबीएमबी की बैठक में सभी सदस्यों की उपस्थिति में डैम के जल स्तर के अनुपात में राज्यों को पानी वितरित किया जाता है। 21 मई से 21 सितंबर तथा फिलिंग अवधि तथा 21 सितंबर से 20 मई तक डिप्लिशन अवधि के हिसाब से विभिन्न राज्यों को वितरित होने वाले पानी के हिस्से का निर्धारण होता है। पौंग बांध में रावी व्यास का पानी आता है। जबकि भाखड़ा में सतलुज का पानी आता है। इन नदियों से भंडारित पानी का कॉमन पूल बनाकर विभिन्न प्रदेशों का शेयर निर्धारित किया जाता है।
-जल समझौते के तहत इस बांध में रावी व्यास नदी से भंडारित कुल पानी में से राजस्थान को ४९ प्रतिशत पानी देने का करार है।
-राजस्थान क्षेत्र में इंदिरागांधी नहर की लंबाई ४४५ किमी है।
-इंदिरागंाधी नहर से प्रदेश के १० जिलों को जलापूर्ति हो रही है।
-बीबीएमबी में सदस्यता को लेकर राजस्थान सरकार करीब ०३ दशक से प्रयासरत है।