याचिकाकर्ताओं ने बताया कि भौतिक सत्यापन के दौरान जालंधर में बुढ़ा नाला में 123 एमएलडी पानी बिना शोधन किए डालने तथा काला सिंधिया में चमड़ा उद्योग का पानी मनमर्जी से प्रवाहित करने की बातें सामने आई। नहरों में प्रदूषण रोकने को लेकर पंजाब ने ट्रिब्यूनल के समक्ष जितने दावे किए, उसके अनुसार व्यवस्था माकूल नहीं मिली। याचिकाकर्ता भौतिक सत्यापन संबंधी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश करेंगे। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली ने इंदिरागांधी नहर में प्रदूषित पानी प्रवाहित होने की समस्या को गंभीर बताकर इसके समाधान को लेकर संबंधित पक्षकारों से जवाब तलब किया था।
इसमें पंजाब प्रदूषण बोर्ड व सीवरेज के अफसरों ने प्रदूषण रोकने को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे। दावों से संबंधित रिपोर्ट भी ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश किए थे। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इन दावों को कागजी बताकर इसकी जांच करवाने की मांग की थी। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ताओं को ही इन दावों की हकीकत जानने के लिए पाबंद किया तथा जिन जगहों पर प्रदूषण रोकने को लेकर पंजाब ने दावे पेश किए थे, उसका भौतिक सत्यापन करके, इसकी रिपोर्ट मांगी थी। इसके तहत याचिकाकर्ताओं में शामिल पूर्व हनुमानगढ़ उप जिला प्रमुख शबनम गोदारा, पूर्व उप प्रधान राजेंद्र नायक, एडवोकेट रविंद्र भोबिया व नवीन सेठी ने पंजाब में जाकर उसके प्रयासों की हकीकत जानी थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राजस्थान की नहरों को जलापूर्ति देने वाली सतलुज-व्यास नदियों में पंजाब में बड़े पैमाने पर औद्योगिक अपशिष्ट डाले जा रहे हैं। वहां काला संघिया व फगवाड़ा ड्रेन तथा बुड्ढ़ा नाला में चमड़ा फैक्ट्रियों व अन्य उद्योगों का अपशिष्ट तथा सीवरेज का पानी छोड़े जाने से राजस्थान में हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू,
बीकानेर , नागौर,
जोधपुर ,
जैसलमेर व बाड़मेर जिलों के दो करोड़ नागरिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। राजस्थान की नहरों में पंजाब से आ रहे प्रदूषित पानी के मुद्दे पर पूर्व जिला प्रमुख शोभा डूडी, पूर्व उप जिला प्रमुख शबनम गोदारा व हनुमानगढ़ पंचायत समिति के पूर्व उप प्रधान राजेन्द्र प्रसाद ने गत दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। इसके बाद पंजाब व राजस्थान सरकार में हलचल हुई। अब देखना यह है कि छह नवम्बर को अंतिम बहस के बाद ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या फैसला सुनाता है।