इन आरोपों पर जवाब देना है… नोटिस में दूसरा आरोप लगाया गया है कि 9 जनवरी को तहसीलदार उमा मित्तल अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन के लिए पंचायत समिति कार्यालय पहुंची तो विकास अधिकारी शर्मिला छल्लाणी ने उन्हे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। इतना ही नहीं राजकार्य करने से रोका।
नोटिस में तीसरा आरोप लगाया गया है कि 2 जनवरी को जिला कलेक्टर की चाहूवाली में रात्रि चौपाल के दौरान विकास अधिकारी के बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित रही। जिस पर जबाव मांगा गया है।
विकास अधिकारी के खिलाफ नोटिस में चौथा आरोप लगाया गया है कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय निशक्तजन कल्याण शिविर में उन्हें जिला कार्यालय के आदेश पर 28 दिसम्बर को सहायक प्रभारी नियुक्त किया गया था। उन पर आरोप है कि विकास अधिकारी न तो किसी शिविर में गई और न ही एसडीएम के निर्देशों के बावजूद किसी प्रकार का सहयोग किया गया।
पांचवा आरोप लगाया गया है कि विकास अधिकारी एसडीएम की अध्यक्षता में आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में एक बार भी उपस्थित नहीं हुई, जिससे राज्य सरकार के महत्वांकाक्षी कार्यक्रम जनसुनवाई की अवहेलना हुई। जबकि नोटिस में छठा आरोप है कि उनका व्यवहार अपने साथी अधिकारियों के साथ शालीन और मर्यादित नहीं है। जिला कलेक्टर ने छह आरोपों के जबाव दस दिनों में देने को कहा है। साथ ही ऐसा नहीं होने की स्थिति में एकतरफा कार्रवाई अमल में लाने की जानकारी दी गई है।