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मरुधरा के हक को लेकर गंभीर नहीं हमारी सरकार

locationहनुमानगढ़Published: Mar 18, 2019 08:58:44 pm

Submitted by:

Purushottam Jha

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मरुधरा के हक को लेकर गंभीर नहीं हमारी सरकार


-हिस्से का पानी दिलाने के प्रति जनप्रतिनिधि नहीं दिखा रहे रुचि
-पानी पर हो रही राजनीति का खामियाजा भुगत रहे दस जिलों के किसान
हनुमानगढ़. पानी का महत्व मरुधरा के लोग बखूबी समझते हैं। लेकिन सियासी लोग शायद इसका महत्व नहीं समझ रहे हैं। तभी तो राजस्थान के हिस्से का पानी आज तक उसे नसीब नहीं हुआ है। अंतरराज्यीय जल समझौते के तहत करीब चार दशक पहले रावी व्यास के शेयर में राजस्थान का हिस्सा ८.६ एमएफ निर्धारित किया गया था। लेकिन राजनीतिक जागरुकता के अभाव में आज तक प्रदेश को निर्धारित हिस्सा नसीब नहीं हुआ। हमारे शेयर पर कुंडली मारे बैठा पंजाब लगातार मनमानी कर रहा है। मगर शीर्ष पर बैठे राजनेताओं में ऐसी समझ नहीं कि वह इस जल विवाद को मिल बैठकर निपटाए। जानकारी के अनुसार जल समझौते के तहत यह तय किया गया था कि रावी व्यास के पानी में से राजस्थान को ८.६ एमएफ पानी मिलेगा। जिस समय समझौता हुआ, उस वक्त राजस्थान में नहरों को पक्का करने का कार्य चल रहा था। इसलिए नहरों की क्षमता इतनी नहीं थी कि वह निर्धारित हिस्से के अनुसार पानी ले सके। इसलिए समझौते के तहत यह तय किया गया कि जब तक राजस्थान की नहर पक्की नहीं हो जाती तब तक ०.६ एमएफ पानी का उपयोग पंजाब कर सकता है। कुछ वर्ष बाद नहरों को पक्का करने का कार्य जब पूरा हो गया और राजस्थान ने अपने हिस्से के ०.६ एमएफ पानी पंजाब से मांगा तो उसने देने से इनकार कर दिया।
इतना ही नहीं कुछ समय बाद ही पंजाब ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर समस्त अंतरराज्यीय जल समझौतों को निरस्त कर दिया। राजस्थान इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट गया तो कोर्ट ने पंजाब की इस हरकत को असंवैधानिक करार देकर मामले को रेफरेंस के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया। अब गेंद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पाले में है। राजस्थान के नेता तटस्थ होकर इस समस्या का हल निकालने का प्रयास करेंगे तभी मामला निपट सकता है। इसका फायदा प्रदेश के दस जिलों को होगा। आखिरकार हमारी जीवनदायिनी इंदिरागांधी नहर को पानी इन्हीं नदियों से मिलता है। इंदिरागांधी नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुंनू, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, नागौर सहित करीब दस जिलों को जलापूर्ति होती है। केंद्र और प्रदेश सरकार की हालत तो यह है कि नहरों में शुद्ध जलापूर्ति को लेकर भी ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं। इसके कारण आए दिन पंजाब क्षेत्र का सीवरेज व फैक्ट्रियों का अपशिष्ट नहरों के आसपास में प्रवाहित कर दिया जाता है।
चार दशक पूर्व भाखड़ा और पौंग डैम बनने के बाद बरसात के पानी का उचित भंडारण करने को लेकर भी केंद्र और राज्य सरकारों ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई। इसके कारण हर वर्ष हजारों क्यूसेक पानी पाकिस्तान क्षेत्र में चला जाता है। चाहे कितनी तकनीक तरक्की हो रही हो। लेकिन बरसाती पानी के भंडारण को लेकर सरकारें कोई प्रोजेक्ट नहीं बना रही। इसके कारण राजस्थान जैसे मरु प्रदेश में पानी की जरूरत बढ़ती जा रही है जबकि पानी कम होता जा रहा है। वक्त के साथ होना तो यह चाहिए था कि प्रदेश का हिस्सा बढ़ाने की पैरवी हमारे जनप्रतिनिधि उच्च स्तर पर करते। लेकिन जो तय हिस्सा है, उसे लेने में भी हमारे जनप्रतिनिधि ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे। इसका खामियाजा प्रदेश के लोगों को उठाना पड़ रहा है।
…….वर्जन…..
फैसले का इंतजार
राजस्थान को मिलने वाले ०.६ एमएफ पानी को लेकर पंजाब विवाद कर रहा है। उक्त विवादित मामले में अंतिम फैसले का इंतजार है। हिस्से का पानी अगर प्रदेश को मिल जाए तो लोगों को काफी फायदा होगा। नहरों को तय रेग्यूलेशन के अनुसार चलाना संभव होगा।
विनोद कुमार मित्तल, मुख्य अभियंता, जल संसाधन उत्तर संभाग हनुमानगढ़
स्वर्णिम अवसर गंवाया
अबकी बार स्वर्णिम अवसर था, जब केंद्र सरकार में दो जल संसाधन मंत्री राजस्थान से बने थे। परंतु दोनों मंत्रियों ने शायद पानी का महत्व नहीं समझा। इसलिए पानी का विवाद सुलझ नहीं पाया। पानी पर की जा रही राजनीति को हम किसानों के सामने रखेंगे। प्रदेश को हक का पानी दिलाने के लिए सरकारों को मजबूर कर देंगे।
ओम जांगू, किसान नेता, हनुमानगढ़
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