'दर्पण झूठ ना बोले' काव्य संग्रह का विमोचन, वक्ता बोले, समाज व देश की समस्याओं को कवि जिस तरह महसूस कर सकता है, कोई दूसरा नहीं कर सकता
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हनुमानगढ़. गुरदीपसिंह सोहल के काव्य संग्रह 'दर्पण झूठ ना बोलेÓ का विमोचन शनिवार को सूचना एवं जन संपर्क विभाग कार्यालय में किया गया। मुख्य अतिथि सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी सुरेश बिश्नोई, वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन व बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा, सीमांत सोहल तथा वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा ने पुस्तक का विमोचन किया।
हनुमानगढ़
Updated: June 25, 2022 07:38:21 pm
'दर्पण झूठ ना बोले' काव्य संग्रह का विमोचन, वक्ता बोले, समाज व देश की समस्याओं को कवि जिस तरह महसूस कर सकता है, कोई दूसरा नहीं कर सकता
-काव्य संग्रह में मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक मूल्यों, रिश्तों की कशमकश सहित विभिन्न पहलुओं पर 86 कविताएं शामिल
हनुमानगढ़. गुरदीपसिंह सोहल के काव्य संग्रह 'दर्पण झूठ ना बोलेÓ का विमोचन शनिवार को सूचना एवं जन संपर्क विभाग कार्यालय में किया गया। मुख्य अतिथि सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी सुरेश बिश्नोई, वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन व बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा, सीमांत सोहल तथा वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा ने पुस्तक का विमोचन किया। काव्य संग्रह में मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक मूल्यों, रिश्तों की कशमकश सहित विभिन्न पहलुओं पर 86 कविताएं हैं। वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन एवं बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने कहा कि समाज व देश की समस्याओं को कवि जिस तरह महसूस कर सकता है, कोई दूसरा नहीं कर सकता। नि:संदेह गुरदीपसिंह सोहल की कविताएं मन- मस्तिष्क पर चोट कर चिंतन को विवश करती हैं7 जीवन में समस्याओं से जूझकर आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित करती है। पीआरओ सुरेश बिश्नोई ने कवि सोहल को बधाई दी। कवि गुरदीपसिंह सोहल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान कविताएं लिखनी शुरू की। प्रारंभ में कोरोना आपदा को लेकर कविताएं लिखी। मित्रों आदि से प्रोत्साहन मिला तो फिर हर मुद्दे व विषय पर कविताएं लिखी। इससे पहले उनका कहानी संग्रह 'बंद घड़ी की मौत' का वर्ष 1995 में प्रकाशन हो चुका है। राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के आर्थिक सहयोग से इसका प्रकाशन हुआ। इसके अलावा वर्ष 2007 में 'घर बसाने की तमन्ना' हास्य नाटक संग्रह प्रकाशित हो चुका है।

'दर्पण झूठ ना बोले' काव्य संग्रह का विमोचन, वक्ता बोले, समाज व देश की समस्याओं को कवि जिस तरह महसूस कर सकता है, कोई दूसरा नहीं कर सकता
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