कुछ मीठा जाए, बस जरा संभल कर, जिले में 236 सैंपल फेल
हनुमानगढ़Published: Nov 10, 2023 11:54:21 am
पर्व हो या कोई और शुभ अवसर, खुशियों को मनाने के लिए सब ही कहते हैं कि कुछ मीठा हो जाए। मगर जरा संभल कर, क्योंकि मीठे के साथ विश्वास भी जरूरी है। जिले में इस साल सवा दो सौ से ज्यादा खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल हो चुके हैं।


कुछ मीठा जाए, बस जरा संभल कर, जिले में 236 सैंपल फेल
कुछ मीठा जाए, बस जरा संभल कर, जिले में 236 सैंपल फेल
- जिले में खाद्य एवं पेय पदार्थों में अमानक पाए जाने वाले सर्वाधिक दूध तथा दूध से बने उत्पाद के सैंपल
- मिलावट के भय से मिठाई के विकल्प के तौर पर सूखे मेवों आदि की भी बढ़ रही बिक्री
हनुमानगढ़. पर्व हो या कोई और शुभ अवसर, खुशियों को मनाने के लिए सब ही कहते हैं कि कुछ मीठा हो जाए। मगर जरा संभल कर, क्योंकि मीठे के साथ विश्वास भी जरूरी है। गुणवत्तापूर्ण मीठे खाद्य पदार्थ अपनी परिचित व विश्वास वाली जगहों से ही खरीदा जाए। यह ताकीद इसलिए कि मिलावट संबंधी तथ्य चिंताजनक हालात को बयां करते हैं। जिले में इस साल सवा दो सौ से ज्यादा खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल हो चुके हैं। यह आंकड़ा अब तक का रेकॉर्ड है मतलब इतनी संख्या में कभी सैंपल फेल नहीं हुए। हालांकि इसका यह कारण भी है कि सैंपल संग्रहण कार्य भी खूब हुआ है।
बड़ी बात यह है कि जो सैंपल फेल हुए हैं, उनमें 40 प्रतिशत से भी ज्यादा सैंपल दूध तथा दूध से बने उत्पादों के हैं। जाहिर है कि दूध तथा दूध से बने उत्पादों की मिठाई ही ज्यादा खपती है। ऐसे में चिंता बढऩा स्वाभाविक है। इस साल एक जनवरी से अब तक दही और पनीर के ही करीब 50 सैंपल फेल हो चुके हैं जो सब स्टैण्डर्ड पाए गए। गौरतलब है कि जिले के रावतसर, पल्लू और नोहर क्षेत्र में तो कई दफा मिलावटी व नकली दूध पकडऩे के मामले सामने आ चुके हैं। चिकित्सा विभाग को भी उपरोक्त क्षेत्र में दूध में मिलावट की शिकायतें मिलती रहती हैं। इसके आधार पर कार्रवाई भी की जाती रही है।
हर तीसरा-चौथा सैंपल फेल
चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनवरी से अक्टूबर तक कुल 711 सैंपल संग्रहित किए गए। इनमें से 647 की जांच रिपोर्ट आ चुकी है। इसमें से कुल 236 नमूने फेल हुए हैं। फेल नमूनों में अधिकांश मिठाई, दूध व इससे बने उत्पादों के हैं। मतलब हर तीसरा व चौथा सैंपल फेल हो रहा है। मिलावट का बड़ा उदाहरण यह है कि मावा अपने लागत मूल्य से भी बहुत सस्ती दर पर बाजार में सहजता से उपलब्ध है। कोई घाटा खाकर व्यापार थोड़े ही करेगा। सीधी सी बात है कि मावे में मिलावट का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है।
इनकी बढ़ रही बिक्री
त्योहारी सीजन में मिलावट व अमानक मिठाइयों की बिक्री की आशंका बढ़ जाती है। हाल के वर्षों में जिले सहित प्रदेश भर में पकड़े गए मिलावट के मामलों के चलते लोग धीरे-धीरे मिष्ठान से दूर हो रहे हैं। ऐसे में मिठाई की जगह व चॉकलेट व सूखे मेवे तोहफे के रूप में देने का रिवाज बढ़ गया है। सूखे मेवे काफी महंगे पड़ते हैं। जिले में इन दिनों वैरायटी स्टोर पर विभिन्न तरह से चॉकलेट के ढेरों पैकेट देखकर अंदाजा इसकी बिक्री बढऩे का अंदाजा लगाया जा सकता है।
घी से घबराए जी
मिलावट के बढ़ते धंधे का नमूना देखिए कि जिले में तीन तरह का देसी घी बिक रहा है। व्यापारी इसे पूजा का घी, दाह संस्कार का घी व खाने के घी के रूप में विभाजित करते हैं। इनके दाम भी अलग-अलग हैं। नोहर-भादरा व रावतसर क्षेत्र में मिलावटी घी का कारोबार ज्यादा हो रहा है। जनवरी से अक्टूबर तक देसी घी के भी दो दर्जन से अधिक नमूने फेल हुए हैं।
यूं जांचें मिलावट
जब देसी घी में वनस्पति घी व पशु चर्बी मिली हो या सिंथेटिक दूध से बना हो।
- घी की जांच: सुनारों के इस्तेमाल किया जाने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (नमक का तेजाब) लेकर कांच के बर्तन में थोड़ा सा घी लें। इसमें अम्ल की चार-पांच बूंदें डालकर घी गर्म करें। अगर यह हल्के लाल रंग हो गया तो घी में मिलावट है।
- दूध की जांच: सिंथेटिक व नकली दूध को गर्म करने पर उसमें कुछ पीलापन आ जाता है।
मिलावट व नुकसान
- देसी घी में : पॉम तेल, आलू, वनस्पति घी व तेल।
- नुकसान: पेट संबंधी रोग।
- दूध में: सोडा, यूरिया, आरारोठ की मिलावट
- नुकसान: पाचन क्रिया व गुर्दे संबंधी रोग।
- अरहर दाल व बेसन में : काफी मात्रा में केवड़ा की मिलावट।
- नुकसान: लकवा, शरीर में अकडऩ व कंपन।
- सरसों के तेल में : आर्जिमोन
- नुकसान: डॉप्सी रोग, इसमें पाचन तंत्र में खराबी, त्वचा में लाल निशान व सूजन।
निरंतर जांच व सैंपल
खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के नेतृत्व में विभागीय टीम निरंतर प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर रही है। तीन खाद्य सुरक्षा अधिकारी कार्यरत हैं। इससे अधिक संख्या में सैंपल संग्रहण, प्रतिष्ठानों की जांच आदि का कार्य हो रहा है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत बढ़ाए गए जुर्माने व सजा का असर निरीक्षण के दौरान दिखता है। दीपोत्सव के दृष्टिगत निरंतर जांच व नमूने लेने से मिलावट पर काफी हद तक रोक लगती है। मिलावट संबंधी कोई भी शिकायत विभाग से की जा सकती है। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखकर कार्यवाही की जाएगी। - डॉ. नवनीत शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी।