इस बार जिले में गेहूं के पकाव के वक्त तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने से उत्पादन प्रभावित हुआ है। मगर बाजार भाव ऊंचे रहने से किसानों को काफी मदद मिली। परंतु अब केंद्र सरकार स्तर पर निर्यात पर रोक लगाने से फिर से इसके भाव नीचे जा रहे हैं। ऐसे में किसान अब फिर सरकार की अगली नीति की तरफ नजरें लगाए बैठे हैं। अब तक की बात करें तो कनक की चमक फीकी ही रही है।
जिले की कुछ मंडियों में अभी तक गेहूं का एक दाना भी बिकने को नहीं आया है। जबकि यहां पर सरकार ने खरीद केंद्र स्वीकृत किया हुआ है। इसमें पक्कासारणा, तलवाड़ा झील, लखासर, पल्लू, भादरा, चक जहाना, अमरपुरा राठान आदि खरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक नहीं हुई है। जिले की तलवाड़ा मंडी कभी गेहूं से अटी पड़ी होती थी। लेकिन इस बार इस मंडी में गेहूं की आवक शून्य रही है। क्योंकि कुछ किसानों ने सीधे व्यापारियों को फसल बेच दी तो कुछ ने पड़ौसी मंडियों में जाकर फसल दे दी। जानकारों का कहना है कि कुछ किसानों ने भाव बढऩे की उम्मीद में अभी गेहूं बाहर नहीं निकाला है।
जिले की मंडियों में इस रबी सीजन में गेहूं के शुरुआती भाव २३०० रुपए प्रति क्विंटल तक रहे हैं। वहीं सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य २०१५ रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। बीते माहों में विदेशों में गेहूं की मांग बढऩे की वजह से किसानों को अच्छे रेट मिल गए। लेकिन अब सरकार स्तर पर निर्यात पर रोक लगाने की वजह से रेट नीचे की तरफ जा रहे हैं। इस स्थिति में सरकारी खरीद की मियाद भी बढ़ा दी गई है।
-वर्ष २०२१-२२ में ७२५१४५.०० एमटी गेहूं की आवक हुई। चालू वर्ष २०२२-२३ में २७७९२४.६५ एमटी गेहूं की आवक ही जिले की मंडियों में हो पाई है।
-जिले की मंडियों में इस समय करीब २० से ३० प्रतिशक गेहूं की आवक शेष है। इसकी खरीद होनी बाकी है।
-बीते बरसों में दोनों जिलों में गेहूं की सरकारी खरीद से २५०० से ३००० करोड़ रुपए किसानों को मिलते रहे हैं।
-जिले की मंडियों में चालू सीजन में पूर्व में गेहूं २३०० रुपए तक बिका है। जबकि इसका समर्थन मूल्य २०१५ रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है।