scriptकम नामांकन वाले सरकारी पाठशालाओं के अनुदान पर चलाई कैंची | Scissors run on subsidies of government schools with low enrollment | Patrika News

कम नामांकन वाले सरकारी पाठशालाओं के अनुदान पर चलाई कैंची

locationहनुमानगढ़Published: Dec 02, 2018 11:27:20 am

Submitted by:

adrish khan

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/
 

madhyamik nideshalay ka faisla

कम नामांकन वाले सरकारी पाठशालाओं के अनुदान पर चलाई कैंची

कम नामांकन वाले सरकारी पाठशालाओं के अनुदान पर चलाई कैंची
– नामांकन के आधार पर मिलेगा विद्यालयों को अनुदान
– पिछले बरस के नामांकन को माना आधार, कई विसंगतियां
हनुमानगढ़. सरकारी विद्यालयों को मिलने वाले वार्षिक अनुदान को लेकर इस बार मापदंडों में बदलाव किया गया है। मगर कई विसंगतियों के चलते सैकड़ों विद्यालयों को इससे फायदे की बजाय नुकसान हो रहा है। यद्यपि जहां नामांकन बहुत ज्यादा है, उन विद्यालयों को इससे फायदा हो रहा है। जिले से लेकर प्रदेश में सैकड़ों ऐसे स्कूल हैं जिनको पिछले वर्ष जो अनुदान मिला था, उससे कई हजार कम रुपए इस बार मिले हैं। जिले में माध्यमिक सेटअप के 43 विद्यालय ऐसे हैं जहां नामांकन ढाई सौ से कम है। नए मापदंडों के चलते इन विद्यालयों को गत वर्ष से कम राशि मिलेगी।
जानकारी के अनुसार गत वर्ष तक रमसा की ओर से विद्यालय वार्षिक अनुदान (एसएडी) मावि व उमावि को 50 हजार तथा एसएसए की ओर से 12 हजार रुपए स्कूल फेसिलिटी ग्रांट तथा पांच हजार रुपए स्वच्छता के पेटे दिए जाते थे। इस तरह कुल 67 हजार रुपए विद्यालयों को मिल जाते थे। मगर अब रमसा व एसएसए को मर्ज समसा बना दिया गया है। ऐसे में अनुदान अलग-अलग जारी नहीं होगा। अब कम्पोजिट स्कूल ग्रांट (सीएसजी) के नाम से राशि जारी की गई है।

अनुदान इस आधार पर
नए प्रावधानों के तहत एक से पन्द्रह के नामांकन पर 12500 रुपए, 16 से 100 के नामांकन पर 25000 रुपए तथा 101 से 250 के नामांकन पर 50000 रुपए अनुदान मिलेगा। जबकि 251 से 1000 के नामांकन पर 75000 रुपए तथा एक हजार से ऊपर नामांकन होने पर एक लाख रुपए अनुदान जारी किया जाएगा। मगर जिले में ऐसे विद्यालय बहुत कम हैं।

फायदा कम, नुकसान ज्यादा
नए मापदंडों से 250 तक नामांकन वाले विद्यालयों को 17 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है मतलब इतनी राशि इनको गत वर्ष की तुलना में कम मिलेगी। जबकि 251 से 1000 नामांकन वाले विद्यालयों को 75 हजार रुपए अनुदान मिलेगा। गत वर्ष से केवल तीन हजार अधिक। जाहिर है कि नुकसान 12 हजार का हो रहा है। जबकि फायदा केवल तीन हजार का। क्योंकि एक हजार से अधिक नामांकन वाले विद्यालय तो गिनती के ही हैं।

अब दस प्रतिशत
गत वर्ष तक स्वच्छता के लिए 5000 रुपए की राशि जारी होती थी। मगर नए मापदंडों के तहत अब कुल जारी अनुदान का दस प्रतिशत हिस्सा स्वच्छता संबंधी कार्यों पर खर्च होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो