जंक्शन के अधिकांश इलाके मेें सीवरेज लाइन सुचारू है। इनकी साफ-सफाई के लिए नगर परिषद के पास पर्याप्त साधन है। वर्तमान में सिविल लाइन में सीवरेज की लाइनें बिछाई जा रही हैं।
करवाए थे जमा
रिडकोर ने मेगा हाइवे पर सीवरेज लाइनें डालने के लिए
आरयूआईडीपी से 42 लाख रुपए की डिमांड की थी। कई माह तक खींचतान के बाद आरयूआईडीपी ने राशि तो जमा करवा दी। लेकिन कार्यकारी एजेंसी काम बीच में छोड़ भाग गई।
टाउन में सीवरेज लाइन का कार्य करीब नौ वर्ष से अधूरा पड़ा है। लेकिन विद्युत निगम बिजली बिलों में 15 पैसे प्रति यूनिट नगरीय कर वसूला जा रहा है। इस नगरीय कर में सीवरेज संचालन की व्यवस्था भी शामिल है। सीवरेज सुविधा नहीं होने के बावजूद टाउन के वासी विद्युत बिलों के माध्यम से नगरीय कर अदा कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार 200 यूनिट से अधिक खपत होने पर विद्युत निगम 15 पैसे प्रति यूनिट कर वसूलता है।
आरयूआईडीपी ने 2018 में टाउन में 1500 मैन हॉल की सफाई करवाई थी। उस वक्त कई जगह पीएचईडी की पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण सीवरेज चैंबर पानी से भरे हुए मिले थे। अब नगर परिषद को फिर से फ्लो टेस्ट के दौरान सीवरेज चैंबरों की सफाई करवानी होगी।
2017-18 में टाउन के वार्ड 22 व पंजाबी मोहल्ले के कई गलियों में पीएचईडी की पाइप लाइन लीकेज होने के कारण पानी सीवरेज के चैंबरों में जमा होने लगा। इसके बाद एकत्रित पानी घरों की नीवों तक पहुंच गया। जिसकी वजह से कई घरों में दरारें तक आ गई थी।
देरी से चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट को आरयूआईडीपी बार-बार रिवाइज करती रही। 2010 में प्रोजेक्ट की लागत 54 करोड़ थी। इसे बढ़ाकर 66 करोड़ रुपए कर दी गई। इसके बाद भी कंपनी ने कार्य नहीं किया तो आरयूआईडीपी 2018 में 281 करोड़ का एक नया प्रोजेक्ट हनुमानगढ़ में लेकर आई। इसके तहत टाउन व जंक्शन के सभी 60 वार्डों में नई पेजयल पाइप लाइनें बिछाई जानी थी। इसके अलावा टाउन व जंक्शन के शेष सभी वार्डों में सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य भी इसी प्रोजेक्ट में किया जाना था। लेकिन इस कंपनी के साथ भी विवाद होने के कारण प्रोजेक्ट शुरू होते ही बंद हो गया।
आठ करोड़ की टैक्निकल सेंक्शन भेजी जा चुकी है। इस राशि से टाउन में सीवरेज लाइनें शुरू करने को लेकर काम होगा। इसमें मिसिंग लिंक, मैनहॉल की सफाई, फ्लो टेस्ट व पंप हाउस को अपग्रेड किया जाएगा।
सुभाष बंसल, अधिशासी अभियंता, नगरपरिषद