प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी
गांव बंद आंदोलन के दौरान नौवें दिन शनिवार को ग्रामीणों का आक्रोश और तेज हो गया। ढाबां में किसानों ने पीएम मोदी के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। उप तहसील ढाबां में किसानों ने जमकर नारेबाजी की और पीएम मोदी को कोसा। सरपंच यूनियन अध्यक्ष गुरपास बराड़ के नेतृत्व में बस स्टैंड पर हुई सभा में किसानों ने सरकार को कोसते हुए अपनी मांगे दोहराईं। मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। महेंद्र बेनीवाल, शहीद भगत सिंह क्लब अध्यक्ष दारासिंह गिल, उपाध्यक्ष भूपेंद्र धारीवाल, वेद सहारण, कुलदीप बराड़, गुरमेल, महेंद्र, श्रवण बेनीवाल, कुलविंद्र सिद्धू, देवीलाल व अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।
गांव बंद आंदोलन के दौरान नौवें दिन शनिवार को ग्रामीणों का आक्रोश और तेज हो गया। ढाबां में किसानों ने पीएम मोदी के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। उप तहसील ढाबां में किसानों ने जमकर नारेबाजी की और पीएम मोदी को कोसा। सरपंच यूनियन अध्यक्ष गुरपास बराड़ के नेतृत्व में बस स्टैंड पर हुई सभा में किसानों ने सरकार को कोसते हुए अपनी मांगे दोहराईं। मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। महेंद्र बेनीवाल, शहीद भगत सिंह क्लब अध्यक्ष दारासिंह गिल, उपाध्यक्ष भूपेंद्र धारीवाल, वेद सहारण, कुलदीप बराड़, गुरमेल, महेंद्र, श्रवण बेनीवाल, कुलविंद्र सिद्धू, देवीलाल व अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।
सरकार की फसली ऋण माफी योजना का विरोध इसके साथ ही सरकार की फसली ऋण माफी योजना का विरोध शुरू हो गया है। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अनुसार यह ऋण माफी योजना किसानों के साथ छलावा है। शुक्रवार को अजमेर के डूमाड़ा ग्राम सेवा सहकारी समिति, अजमेर जिला सहकारी संघ, कायड़ ग्राम सेवा सहकारी समिति, गेगल ग्राम सेवा सहकारी समिति, गढ़ी ग्राम सेवा सहकारी समिति पंचायत समिति पीसांगन, रामनेर ढाणी ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष व्यवस्थापकों ने जिला कलक्टर आरती डोगरा को ज्ञापन सौंपा।
किसी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं
समितियों के अनुसार फसली ऋण माफी योजना 2018 में किए गए पचास हजार तक के कर्ज माफी के प्रमाण पत्र वितरण कराने के लिए समितियों में कैम्पों का आयोजन कराया जा रहा है। इसमें समिति व्यवस्थापक के हस्ताक्षर द्वारा जारी ऋण माफी प्रमाण पत्र वितरित कराए जा रहे हैं। इन पर बैंक या राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। साथ ही ना ही बैंक या सरकार द्वारा किसी भी प्रकार से समितियों को लिखित में कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं कि सरकार या बैंक द्वारा किस प्रकार से यह राशि किसानों या समितियों के खातों में कब और कैसे देगी?