श्रीगंगानगर से नहीं आएंगे चिकित्सक
स्वास्थ्य विभाग ने श्रीगंगानगर जिला अस्पताल से प्रतिनियुक्ति पर हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में डॉ. मुकेश स्वामी को लगाया था। श्रीगंगानगर के अस्पताल प्रशासन से आदेश मिलते ही चिकित्सक को रिलीव भी कर दिया था। लेकिन हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में कार्यभार नहीं संभाला। डॉ. स्वामी के प्रतिनियुक्ति के आदेश निरस्त हो चुके हैं और इन्हें पुन: श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में कार्यभार भी संभाल लिया है।
स्वास्थ्य विभाग ने श्रीगंगानगर जिला अस्पताल से प्रतिनियुक्ति पर हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में डॉ. मुकेश स्वामी को लगाया था। श्रीगंगानगर के अस्पताल प्रशासन से आदेश मिलते ही चिकित्सक को रिलीव भी कर दिया था। लेकिन हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में कार्यभार नहीं संभाला। डॉ. स्वामी के प्रतिनियुक्ति के आदेश निरस्त हो चुके हैं और इन्हें पुन: श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में कार्यभार भी संभाल लिया है।
13 दिन पहले विधायक ने लिखा था पत्र
दस फरवरी 2020 को संयुक्त निदेशक बीकानेर ने उच्चाधिकारियों का आदेश मिलते ही नोहर की एमएस गायनी के प्रतिनियुक्ति के आदेश को निरस्त कर दिया था। जिला अस्पताल में तीन एमएस गायनी के पद रिक्त होने का हवाला देते हुए पूर्व मंत्री व विधायक चौधरी विनोद कुमार ने दस फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर स्वास्थ्य विभाग के मंत्री को दो एमएस गायनी लगाने की मांग करते हुए पत्र दिया था। पत्र दिए को 13 दिन हो चुके हैं। दो एमएस गायनी तो दूर स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक एक भी एमएस गायनी को नहीं लगाया गया है।
दस फरवरी 2020 को संयुक्त निदेशक बीकानेर ने उच्चाधिकारियों का आदेश मिलते ही नोहर की एमएस गायनी के प्रतिनियुक्ति के आदेश को निरस्त कर दिया था। जिला अस्पताल में तीन एमएस गायनी के पद रिक्त होने का हवाला देते हुए पूर्व मंत्री व विधायक चौधरी विनोद कुमार ने दस फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर स्वास्थ्य विभाग के मंत्री को दो एमएस गायनी लगाने की मांग करते हुए पत्र दिया था। पत्र दिए को 13 दिन हो चुके हैं। दो एमएस गायनी तो दूर स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक एक भी एमएस गायनी को नहीं लगाया गया है।
संविदा पर एमएस गायनी लगाने की तैयारी
जिला अस्पताल में निजी अस्पताल की एमएस गायनी को संविदा पर लगाने का निर्णय लेते हुए अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को भिजवाया है। जिला अस्पताल में 29 अगस्त 2019 से 09 नवंबर 2019 तक केवल एक ही एमएस गायनी संविदा पर कार्यरत थी। ऐसे में एमएस गायनी के साप्ताहिक अवकाश के दौरान निजी अस्पताल से एमएस गायनी को बुलाकर सर्जरी की जाती थी। इसके लिए एमएस गायनी को तीन हजार रुपए प्रति सर्जरी का भुगतान भी किया जाता था। लेकिन अब अस्पताल में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण निजी अस्पताल से एमएस गायनी को बुलाकर सर्जरी करना संभव नहीं है।
जिला अस्पताल में निजी अस्पताल की एमएस गायनी को संविदा पर लगाने का निर्णय लेते हुए अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को भिजवाया है। जिला अस्पताल में 29 अगस्त 2019 से 09 नवंबर 2019 तक केवल एक ही एमएस गायनी संविदा पर कार्यरत थी। ऐसे में एमएस गायनी के साप्ताहिक अवकाश के दौरान निजी अस्पताल से एमएस गायनी को बुलाकर सर्जरी की जाती थी। इसके लिए एमएस गायनी को तीन हजार रुपए प्रति सर्जरी का भुगतान भी किया जाता था। लेकिन अब अस्पताल में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण निजी अस्पताल से एमएस गायनी को बुलाकर सर्जरी करना संभव नहीं है।
नहीं मिल पा रही निशुल्क सुविधा
इसी कांग्रेस की सरकार ने अपने गत कार्यालय में जिला अस्पतालों में निशुल्क ऑपरेशन, निशुल्क दवा व जांच योजना लेकर आई थी। लेकिन अस्पताल में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण अब गर्भवती की सर्जरी पर निजी अस्पताल में 30 से 35 हजार रुपए खर्च देना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में प्रतिमाह 180 के करीब सिजेरियन किए जाने का रिकार्ड है। लैबर रूम में बेहतर सेवाएं के लिए राज्य सरकार की लक्ष्य योजना के तहत जिला अस्पताल अव्वल भी आ चुका है। इसके अलावा 570 के करीब प्रतिमाह साधारण प्रसव होने का आंकड़ा वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज है। वार्षिक 1232 सजेरियन करने का आंकड़ा दर्ज है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के ुअनुसार जिला अस्पताल में चार एमएस गायनी के पद हैं। लेकिन एक ही एमएस गायनी होने के कारण व्यवस्थाएं ठप पड़ी हैं।
इसी कांग्रेस की सरकार ने अपने गत कार्यालय में जिला अस्पतालों में निशुल्क ऑपरेशन, निशुल्क दवा व जांच योजना लेकर आई थी। लेकिन अस्पताल में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण अब गर्भवती की सर्जरी पर निजी अस्पताल में 30 से 35 हजार रुपए खर्च देना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में प्रतिमाह 180 के करीब सिजेरियन किए जाने का रिकार्ड है। लैबर रूम में बेहतर सेवाएं के लिए राज्य सरकार की लक्ष्य योजना के तहत जिला अस्पताल अव्वल भी आ चुका है। इसके अलावा 570 के करीब प्रतिमाह साधारण प्रसव होने का आंकड़ा वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज है। वार्षिक 1232 सजेरियन करने का आंकड़ा दर्ज है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के ुअनुसार जिला अस्पताल में चार एमएस गायनी के पद हैं। लेकिन एक ही एमएस गायनी होने के कारण व्यवस्थाएं ठप पड़ी हैं।
जयपुर जाकर व्यक्तिगत मिलूंगा
जिला अस्पताल में एमएस गायनी लगाने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को पत्र दिया जा चुका है। सोमवार को जयपुर में स्वास्थ्य मंत्री से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर दो एमएस गायनी लगाने का आग्रह करूंगा। एक एमएस गायनी संविदा पर लगाने को लेकर भी अनुमति ली जाएगी।
चौधरी विनोद कुमार, विधायक, कांग्रेस
जिला अस्पताल में एमएस गायनी लगाने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को पत्र दिया जा चुका है। सोमवार को जयपुर में स्वास्थ्य मंत्री से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर दो एमएस गायनी लगाने का आग्रह करूंगा। एक एमएस गायनी संविदा पर लगाने को लेकर भी अनुमति ली जाएगी।
चौधरी विनोद कुमार, विधायक, कांग्रेस
श्रीगंगानगर से नहीं आएंगे चिकित्सक
श्रीगंगानगर से जिन एमएस गायनी को हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में लगाया गया था। उनका प्रतिनियुक्ति आदेश निरस्त हो चुका है और उन्होंने पुन: श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में कार्यभार संभाल लिया है।
डॉ. एमपी शर्मा, पीएमओ, जिला अस्पताल
श्रीगंगानगर से जिन एमएस गायनी को हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में लगाया गया था। उनका प्रतिनियुक्ति आदेश निरस्त हो चुका है और उन्होंने पुन: श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में कार्यभार संभाल लिया है।
डॉ. एमपी शर्मा, पीएमओ, जिला अस्पताल
सरकार विफल, करेंगे घेराव
जिला अस्पताल में एमएस गायनी नहीं होना जिले की गंभीर समस्या है। जनहित के लिए इस सुविधा पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए था। लेकिन सरकार हर तरफ विफल साबित हो रही है। जिला अस्पताल में एमएस गायनी लगाने की मांग करते हुए जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
बलबीर बिश्नोई, जिलाध्यक्ष, भाजपा
जिला अस्पताल में एमएस गायनी नहीं होना जिले की गंभीर समस्या है। जनहित के लिए इस सुविधा पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए था। लेकिन सरकार हर तरफ विफल साबित हो रही है। जिला अस्पताल में एमएस गायनी लगाने की मांग करते हुए जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
बलबीर बिश्नोई, जिलाध्यक्ष, भाजपा