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पीर की दरगाह के चलते नाम पड़ा पीरकामडिय़ा

locationहनुमानगढ़Published: Dec 11, 2022 10:59:51 pm

Submitted by:

Manoj Goyal

पीर की दरगाह के चलते नाम पड़ा पीरकामडिय़ा
- आओ गांव चलें

पीर की दरगाह के चलते नाम पड़ा पीरकामडिय़ा
पीर की दरगाह के चलते नाम पड़ा पीरकामडिय़ा
हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर हनुमानगढ-बणी सड़क मार्ग पर स्थित गांव पीरकामडिय़ा अपनी ऐतिहासिकता व साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए जाना जाता है। घग्घर नदी तथा एनजीसी नहर के बीच उपजाऊ भूमि पर १२६५ हैक्टेयर क्षेत्र पर बसे पीरकामडिय़ा गांव में छह राजस्व गांव शामिल है। बताया जाता है कि करीब चार सौ साल पहले इस गांव को सबसे पहले मुसलमानों ने बसाया था। उसके बाद चाहर जाटों ने यहां की साढे १२ हजार बीघा जमीन ४२ सौ रूपए में खरीदी तथा यहां चाहर, बैनीवाल, सहारण, सियाग, खीचड़, गोदारा, डूडी के साथ मेघवाल, वाल्मीकी, नायक, जटसिख व अन्य जाति व धर्म के लोग आकर बसने लगे। फिलहाल इस गांव में सभी जाति व धर्म के लोग निवास करते है जिसके चलते इस गांव में सर्व धर्म समभाव के दर्शन होते है।
गांव के बुजुर्ग श्री राम चाहर, जयनारायण बैनीवाल, जगदीश प्रसाद शर्मा आदि के अनुसार ऐतिहासिकता को समेटे इस गांव में वर्तमान में एक हजार से अधिक घर है, गांव की आबादी सात हजार है तथा यहां ४३०० मतदाता है। गांव में धार्मिक स्थल के तौर पर सबसे पुरानी पीर की दरगाह के अलावा ठाकुर जी का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर, बाबा रामदेव मंदिर, गोगामेड़ी, शिवमंदिर, महर्षि वाल्मीकी मंदिर, दो गुरूद्वारा व मस्जिद मौजूद है। जिनमें आए दिन धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते है। गांव में ही बाबा भोला गिरी महाराज की कुटिया भी है जो सभी लोगों के लिए श्रद्धा का स्थल है।
वर्तमान में यहां कलावती देवी चाहर सरपंच है। गांव में बच्चों की शिक्षा के लिए उच्च माध्यमिक स्कूल के अलावा दो प्राथमिक व एक बालिका उच्च प्राथमिक स्कूल है। इसके अलावा गांव में पशु चिकित्सा केन्द्र, आयुर्वेदिक औषधालय, उपस्वास्थ्य केन्द्र, पटवार घर, ग्राम सेवा सहकारी समिति, ग्राम पंचायत, सैंट्रल बैक ऑफ इण्डिया की शाखा आदि सरकारी कार्यालय संचालित है। गांव में प्राचीन कुएं के साथ चार जोहड़ भी है जिनमें बरसाती व गंदे पानी की निकासी होती है। गांव की श्री शिव गौशाला में ग्रामीणों के सहयोग से करीब सात सौ गोवंश की सेवा की जा रही है।
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