पेटी की सील तोड़कर जमा करवाई चहेतों की निविदा
हनुमानगढ़Published: Jun 25, 2019 09:59:37 pm
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हनुमानगढ़. जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर, सेफ्टी टैंक की सफाई आदि के टैंडर मंगलवार को गड़बड़ी की शिकायत के चलते निरस्त कर दिए गए। यह निविदाएं मंगलवार को ही खोली जानी थी। मगर गड़बड़ी की शिकायत के बाद जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमपी शर्मा ने निविदा निरस्त कर दी। यद्यपि इसका कारण निविदा निरस्त आदेश में नहीं बताया गया।
पेटी की सील तोड़कर जमा करवाई चहेतों की निविदा
पेटी की सील तोड़कर जमा करवाई चहेतों की निविदा
– शिकायत के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन ने की निविदा निरस्त
– जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर व सफाई ठेके का मामला
हनुमानगढ़. जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर, सेफ्टी टैंक की सफाई आदि के टैंडर मंगलवार को गड़बड़ी की शिकायत के चलते निरस्त कर दिए गए। यह निविदाएं मंगलवार को ही खोली जानी थी। मगर गड़बड़ी की शिकायत के बाद जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमपी शर्मा ने निविदा निरस्त कर दी। यद्यपि इसका कारण निविदा निरस्त आदेश में नहीं बताया गया।
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में एक वर्ष के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई, सेफ्टी टैंक की सफाई, पलम्बर व इलेक्ट्रशियन संबंधी कार्य कराने को लेकर टैंडर जारी कर निविदाएं आमंत्रित की गई थी। इसके लिए कई फर्म ने आवेदन किए। मंगलवार को निविदाएं खोली जानी थी। मगर उससे पहले अरुण कुमार पुत्र जगदीशचंद्र ने लिखित में पीएमओ को शिकायत दी कि अस्पताल के कर्मचारियों ने अपने चहेतों को लाभ दिलाने के लिए तय अवधि बीतने के बाद पेटी की सील तोड़कर दो लिफाफे उसमें डाल दिए। विवाद बढ़ता देख जिला अस्पताल प्रशासन ने टैंडर ही निरस्त कर दिए। हालांकि शिकायतकर्ता ने पेटी की सील तोड़कर लिफाफा डालने वालों के खिलाफ जांच करवा कर कार्यवाही की मांग की है। इस संबंध में चिकित्सा निदेशालय को भी शिकायत भेजी गई है।
कितने का था काम
जिला अस्पताल में मंगलवार को जो निविदाएं खोली जानी थी वह 22 लाख रुपए से अधिक के कामकाज से संबंधित थी। जानकारी के अनुसार इलेक्ट्रोनिक्स सामान का ठेका सात लाख रुपए, पलम्बर सामान ठेका पांच लाख, मेडिकल ऑक्सीजन व गैस रिफलिंग आठ लाख रुपए तथा सेफ्टी टैंक की सफाई ढाई लाख रुपए में ठेके पर दी जानी थी। यह अनुमानित लागत निविदा पत्र में दर्शाई गई थी। जिला अस्पताल में लाखों रुपए का सफाई का ठेका इससे अलग है। जाहिर है कि इतनी मोटी राशि का ठेका लेने के लिए कई प्रयासरत रहते हैं। इसके लिए सब राजनीतिक दबाव डलवाने से लेकर सारे हथकंडे अपनाते हैं।