जिला अस्पताल में एक ही एमएस गायनी के रहने से व्यवस्था नहीं बिगड़े, इसके लिए प्राइवेट अस्पताल की तीन एमएस गायनी का एक पैनल बनाया गया है। सरकारी अस्पताल में एक मात्र सेवाएं दे रही एमएस गायनी के छुट्टी पर जाने या फिर डेऑफ के दिन अस्पताल प्रशासन पैनल में शामिल तीन चिकित्सकों में एक को बुलाया जा रहा है। पैनल में सेवानिवृत एमएस गायनी डॉ. ओला, डॉ. सीमा खीचड़ व डॉ. प्रेरणा राठौड़ को शामिल किया गया है। इनकी सेवाएं के बदले जिला अस्पताल प्रशासन प्रति सर्जरी तीन हजार रुपए शुल्क देगा। गौरतलब है कि 2020 में भी जिला अस्पताल प्रशासन ने आउट सोर्स के जरिए यह व्यवस्था की थी। लेकिन ज्यादा दिन तक चल नहीं पाई थी। इन आउट सोर्सेज के पैनल में शामिल चिकित्सकों का भुगतान भी अटक गया था। जिला अस्पताल में तीन माह में तीन एमएस गायनी सरकारी सेवाएं छोड़कर जा चुकी है। दो एसएस गायनी पूर्व में अपनी सेवाएं छोड़कर गई थी तो हाल ही में एक एमएस गायनी जिला अस्पताल छोड़कर चली गई हैं।
गत माह में जिला अस्पताल प्रशासन ने सीएमएचओ को पत्र लिखकर अनुबंध पर एमएस गायनी लगाने की मांग की थी। 2020 में जिला अस्पताल की एमसीएच यूनिट में एक भी एमएस गायनी नहीं होने के कारण करीब 46 दिन तक ताला लटका रहा था। एमएस गायनी नहीं होने के कारण परिजन साधारण प्रसव करवाने के लिए भी गर्भवती को जिला अस्पताल में लाने से कतराते थे। गर्भवती की तबीयत खराब होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है।
एमसीएच यूनिट में एक माह में 125 से अधिक सर्जरी होती है। कई बार यह आंकड़ा 150 से अधिक भी पहुंच जाता है। हालांकि मार्च में केवल 77 सजेरियन ही हुए।
वहीं 400 से अधिक साधारण प्रसव होते हैं। वर्तमान में जिला अस्पताल में सात एनस्थेसिया चिकित्सक है और छह पीडियाट्रिशन हैं। चार एमएस गायनी में एक ही रह गई हैं। नियमों के अनुसार सौ बेड के एमसीएच यूनिट के लिए चार एमएस गायनी होना आवश्यक है।
जिला अस्पताल को लेबर रूम व जेएसएसवाई वार्ड में बेहतर व्यवस्था होने पर राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन अब एक ही एमएस गायनी होने के कारण प्रसव की संख्या में भी कमी आ रही है। आउट सोर्स के जरिए एमएस गायनी सर्जरी के लिए जिला अस्पताल तो आएंगी। लेकिन वार्ड में भर्ती प्रसूता के सार संभाल के लिए बार-बार आना मुश्किल है।